राजनीति

बगावत के बाद अकाली दल को एक और झटका, बीजेपी में तेज हुई अलग होने की मांग, ढींढसा नए विकल्प के रूप में उभरे

पंजाब बीजेपी की अहम बैठक कई नेताओं ने कहा कि अकाली दल की कारगुजारियां गठबंधन धर्म के खिलाफ हैं। महज कहने-सुनने को ही गठबंधन बचा है। एक प्रमुख नेता ने तो यहां तक कह दिया कि अब यह मजाक लगता है, जब कहा जाता है कि बीजेपी और अकाली दल में नाखून-मांस का रिश्ता है।

फोटोः अमरीक
फोटोः अमरीक 

अकाली-बीजेपी गठबंधन में आए दिन दरार गहरा रही है। पंजाब बीजेपी अब इस ओर बढ़ रही है कि आगामी विधानसभा चुनाव बादलों की सरपरस्ती वाले शिरोमणि अकाली दल से अलग होकर लड़ा जाए। राज्य बीजेपी की प्रदेश प्रभारी प्रभात झा की मौजूदगी और प्रदेशाध्यक्ष अश्विनी शर्मा की अध्यक्षता में हुई विशेष बैठक में पार्टी पदाधिकारियों ने 2022 का विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने की मांग पर खासा जोर दिया।

बीते एक साल के भीतर यह तीसरी बार है कि पंजाब बीजेपी के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने शिरोमणि अकाली दल से 'पीछा' छुड़ाकर चुनाव लड़ने की बात कही है। अश्विनी शर्मा के अध्यक्ष पद पर ताजपोशी के मौके पर भी पुरजोर ऐसी मांग उठी थी।

Published: 10 Jul 2020, 4:04 PM IST

चंडीगढ़ में हुई पार्टी की कोर कमेटी की बैठक में बीजेपी नेताओं ने अकाली दल के एक और विभाजन पर भी गहन विचार-विमर्श किया। इसके मायने भी गंभीर हैं। चंडीगढ़ स्थित पंजाब बीजेपी मुख्यालय में हुई इस विशेष बैठक में पार्टी के 37 पदाधिकारी शामिल थे। इनमें अधिकांश पूर्व मंत्री और विधायक हैं। बैठक का उद्देश्य पंजाब में भारतीय जनता पार्टी की मैदानी मजबूती और पार्टी प्रभारी (प्रभात झा) का स्थानीय नेताओं से सीधा संवाद था।

भरोसेमंद सूत्रों के मुताबिक बैठक में शामिल लगभग तमाम पदाधिकारियों ने प्रभात झा और अश्विनी शर्मा के आगे इस बात पर जोर दिया कि आगामी विधानसभा चुनाव बादलों के शिरोमणि अकाली दल के साथ मिलकर न लड़ा जाए। प्रभात झा से कहा गया कि वह पंजाब बीजेपी की इस अनिच्छा से आलाकमान को अवगत करवा दें। अगर अकाली दल के साथ मिलकर चुनाव लड़ना ही है तो पूर्व मंत्री और वरिष्ठ बीजेपी नेता मदन मोहन मित्तल के इस फार्मूले के तहत लड़ा जाए कि अब अकाली बीजेपी को अपना बड़ा भाई मानते हुए 59 सीटें दें।

Published: 10 Jul 2020, 4:04 PM IST

गौरतलब है कि मित्तल ने अश्विनी शर्मा की ताजपोशी पर दो टूक कहा था कि अगर शिरोमणि अकाली दल बीजेपी के साथ गठबंधन कायम रखना चाहता है तो उसे आधी-आधी सीटों के फार्मूले पर चलना होगा। मित्तल ने यह भी कहा था (और अब भी कह रहे हैं) कि बीजेपी 59 सीटों पर और शिरोमणि अकाली दल 58 सीटों पर चुनाव लड़े। राज्य बीजेपी के ज्यादातर नेता और कार्यकर्ता मदन मोहन मित्तल से पूरी तरह सहमत हैं, लेकिन अकाली दल इस फार्मूले पर खामोशी अख्तियार किए हुए है। जाहिर है यह फार्मूला उसे कतई मंजूर नहीं।

चंडीगढ़ में पंजाब बीजेपी की यह बैठक घंटों चली। बैठक में शामिल एक वरिष्ठ नेता ने 'नवजीवन' को जानकारी दी कि पदाधिकारियों ने प्रभात झा से बार-बार कहा कि गठबंधन के बारे में अभी से फैसला ले लेना चाहिए या फिर सीटों के बंटवारे पर सहमति बना लेनी चाहिए। ऐन चुनावों पर होने वाली हलचल कार्यकर्ताओं को उलझन में डालती है और शिरोमणि अकाली दल चालाकी के साथ बीजेपी को दबा लेता है।

Published: 10 Jul 2020, 4:04 PM IST

प्रभात झा और प्रदेशाध्यक्ष अश्वनी शर्मा ने सबकी सुनने के बाद अंत में कहा कि बैठक में मौजूद तमाम नेता पार्टी की रीढ़ हैं और उनके विचारों पर गंभीरता से ध्यान दिया जाएगा। जानकारी के अनुसार खुद अश्विनी शर्मा इस पक्ष में हैं कि प्रकाश सिंह बादल की सरपरस्ती और सुखबीर सिंह बादल की अध्यक्षता वाले शिरोमणि अकाली दल से गठबंधन तोड़ लेना चाहिए।

बैठक में शामिल एक अन्य नेता ने बताया कि यह बात भी कई नेताओं ने उठाई कि शिरोमणि अकाली दल की इन दिनों की कारगुजारियां गठबंधन धर्म के खिलाफ हैं। महज कहने-सुनने को ही गठबंधन बचा है। एक प्रमुख नेता ने तो यहां तक कहा कि अब यह मजाक लगता है, जब कहा जाता है कि बीजेपी और अकाली दल में नाखून-मांस का रिश्ता है।

Published: 10 Jul 2020, 4:04 PM IST

यहां गौरतलब है कि शिरोमणि अकाली दल के संस्थापकों में से एक पंजाब के दिग्गज पंथक नेता और सांसद सुखदेव सिंह ढींडसा द्वारा नया अकाली दल गठित करने पर भी बीजेपी की पैनी नजर रख रही है। चंडीगढ़ में हुई विशेष बैठक में प्रभात झा ने ढींडसा के शिरोमणि अकाली दल की बाबत बीजेपी के जिला प्रमुखों से फीडबैक ली। हालांकि यह मामला बैठक के एजेंडे में नहीं था।

भरोसेमंद सूत्रों के मुताबिक एक-एक जिला प्रधान से पूछा गया कि उनके जिले से कितने प्रभावी अकाली नेता ढींडसा के साथ गए हैं। इसका मतलब शीशे की मानिंद साफ है कि बीजेपी सुखदेव सिंह ढींडसा के (नए) अकाली दल के पर तोल रही है। 'नवजीवन' यह विश्लेषण पहले ही दे चुका है कि आगामी विधानसभा चुनाव तक बीजेपी और शिरोमणि अकाली दल गठबंधन टूट सकता है और सुखदेव सिंह ढींडसा, बादलों का विकल्प बनते हुए पंजाब में बीजेपी के नए साथी हो सकते हैं।

Published: 10 Jul 2020, 4:04 PM IST

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Published: 10 Jul 2020, 4:04 PM IST

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