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देश में रेल हादसों का सिलसिला जारी, पिछले 13 दिन में 7 बड़े हादसे, पटरी से कब-कहां उतरी ट्रेन- देखिए तस्वीरें

झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिले में मंगलवार तड़के मुंबई-हावड़ा मेल के कम से कम 18 डिब्बे पटरी से उतर जाने के कारण दो लोगों की मौत हो गई और 20 अन्य लोग घायल हो गए। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। बता दें कि बीते 13 दिनों में 7 रेल दुर्घटनाएं हुई हैं।

मुंबई-हावड़ा मेल के कम से कम 18 डिब्बे पटरी से उतरे, 2 लोगों की मौत
मुंबई-हावड़ा मेल के कम से कम 18 डिब्बे पटरी से उतरे, 2 लोगों की मौत 
पिछले 13 दिन में 7 बड़े रेल हादसे हो चुके हैं।
18 जुलाई को यूपी के गोंडा में ट्रेन हादसा हुआ था। इस हादसे में चार लोगों की मौत हो गई थी।
21 जुलाई को बंगाल में एक मालगाड़ी ने सियालदह जाने वाली कंचनजंगा एक्सप्रेस को पीछे से टक्कर मार दी। टक्कर लगने से कंचनजंगा एक्सप्रेस की कई बोगियां पटरी से उतर गई। इस हादसे में 8 लोगों की मौत हो गई थी।
29 जुलाई को बिहार के समस्तीपुर में संपर्क क्रांति एक्सप्रेस ट्रेन दो हिस्सों में बंटी गई। दरभंगा से नई दिल्ली जा रही बिहार संपर्क क्रांति एक्सप्रेस ट्रेन दो हिस्सों में बंट गई। इस हादसे में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है।
21 जुलाई को राजस्थान के अलवर में माल गाड़ी पटरी से उतर गई।
20 जुलाई को यूपी के अमरोहा में ट्रेन हादसा हुआ। यहां भी मालगाड़ी की कई बोगियां बेपटरी हो गईं।
19 जुलाई को गुजरात के वलसाड में ट्रेन हादसा हुआ।
रेल हादसे पर पूर्व केंद्रीय रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने कहा कि 13 दिनों में 7 रेल दुर्घटनाएं! नियमित होती रेल दुर्घटनाएँ बेहद चिंताजनक है। सरकार ट्रेनों में सुरक्षा व्यवस्था के मूलभूत कदम भी नहीं उठा रही है। भारतीय रेलवे इतनी असुरक्षित हो चुकी है कि ट्रेनों पर चढ़ने से पहले यात्री प्रार्थना करते हैं कि यह यात्रा उनकी अंतिम यात्रा ना हो। रेल के डिब्बे आज चलते फिरते ताबूत बनकर रह गए हैं।

वहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, ट्रेन हादसे अब नियमित हो गए हैं। हर हफ्ते घटनाएं हो रही हैं। क्या यही शासन है। सुबह एक विनाशकारी रेल दुर्घटना हुई। हावड़ा-मुंबई मेल झारखंड में पटरी से उतर गई। कई मौतें और बड़ी संख्या में लोग घायल हुए हैं। यह बेहद दुखद है। रेलवे ट्रैक पर मौत और यात्रियों के घायल होने का सिलसिला कब तक चलता रहेगा? हम इसे कब तक बर्दाश्त करेंगे। क्या भारत सरकार की संवेदनहीनता का कोई अंत नहीं होगा?

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