जम्मू-कश्मीर में कुलगाम सीट से सीपीएम विधायक मोहम्मद यूसुफ तारिगामी भी जम्मू-कश्मीर के उन नेताओं में शामिल थे जिन्होंने गुरुवार को दिल्ली में प्रधानमंत्री के साथ बैठक में हिस्सा लिया। इस बैठक में जम्मू-कश्मीर से जुड़े तमाम मुद्दों पर बात हुई। करीब तीन घंटे चली इस बैठक के दौरान तारिगामी ने जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने और अनुच्छेद 370 पुन: लागू करने की मांग के साथ ही कई मुद्दे उठाए। तारिगामी के मुताबिक प्रधानमंत्री ने राज्य का दर्जा दिए जाने की कोई समयसीमा नहीं बताई और 370 के मुद्दे पर खामोशी अपना ली।
बैठक के बाद तारिगामी ने नेशनल हेरल्ड के साथ बातचीत की। इस बातचीत के अंश:
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कॉमरेड तारिगामी प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के साथ बैठक कैसी रही? क्या उन्होंने जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने की कोई समय सीमा निर्धारित की?
प्रधानमंत्री ने बैठक में कहा कि वह जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने और लोकतंत्र बहान करने को लेकर प्रतिबद्ध हैं। लेकिन उन्होंने इसके लिए कोई समयसीमा निर्धारित नहीं की।
बैठक में क्या मुद्दे उठे?
सीपीएम की तरफ से मैंने प्रधानमंत्री सेकहा कि इस तरह की बातचीत स्वागत योग्य है, लेकिन अच्छा होता कि इस तरह की बैठक अगस्त 2019 में हुई होती। मैंने प्रधानमंत्री को बताया कि जम्मू-कश्मीर के सभी राजनीतिक दलों ने सरकार से अपील की थी, लेकिन सरकार ने उसे नहीं सुना। अब सरकार बातचीत करना चाहती है...दूसरी बात जो मैंने उन्हें बताई वह यह संविधान में जिस भी चीज की गारंटी दी गई है उससे कम जम्मू-कश्मीर के लोगों को कुछ भी मंजूर नहीं होगा।
हमें संविधान के नियमों का पालन करना होगा। मैंने पीएम और गृहमंत्री से कहा कि, जम्मू-कश्मीर के लोग संविधान में विश्वास करते हैं लेकिन इस सरकार ने इसकी सीमाएँ तोड़ी हैं।
सबको बोलने के लिए कितना समय दिया गया? प्रधानमंत्री ने सभी को सुनने के बाद क्या कहा?
प्रधानमंत्री और गृहमंत्री दोनों ने ही सबकी बातें गौर से सुनीं। हम सभी को बोलने का पर्याप्त समय दिया गया। समय की कोई पाबंदी नहीं थी। इसीलिए बैठक करीब तीन घंटे चली।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सभी मुद्दे और बिंदु जो उठाए गए हैं उन्हें नोट किया गया है और सरकार इस पर अपना रुख आगे होने वाली बैठक में सामने रखेगी। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के भविष्य के लिए सबको मिलकर काम करना चाहिए।
मोदी ने कहा कि वे हम सबसे मिलकर बहुत खुश हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी सरकार जम्मू-कश्मीर के लोगों को लेकर चिंतित है। उन्होंने कहा कि नेताओँ ने जो बातें और मुद्दे बैठक में रखे हैं उससे जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने में मदद मिलेगी।
इस बैठक में गृहमंत्री अमित शाह ने क्या कहा?
गृहमंत्री ने दो बातें कहीं। एक तो उन्होंने सभी नेताओं से परिसीमन की प्रक्रिया में हिस्सा लेने को कहा और कहा कि एक बार परिसीमन हो जाएगा तो जल्द से जल्द चुनाव कराए जा सकेंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री और वे राज्य का दर्जा बहाल करने को प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि यह सही समय आने पर किया जाएगा।
लेकिन उन्होंने भी कोई समयसीमा नहीं बताई। क्या आपमं से किसी ने सरकार से पूछा कि आखिर समयसीमा क्यों नहीं बताई जा रहा?
मैंने और गुलाम नबी आजाद ने इस पर दखल दिया था। आजाद साहब ने जोर दिया कि जम्मू-कश्मीर एक एलजी-स्टेट नहीं होना चाहिए। इसे पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाना चाहिए। लेकिन उन्होंने यही कहा कि जल्द से जल्द राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा।
परिसीमन का आधार क्या तय किया जा रहा है? क्या यह आबादी के आधार पर होगा या फिर क्षेत्रफल के आधार पर?
गृहमंत्री ने कहा कि परिसीमन राजनीतिक दलों की सिफारिशों के आधार पर किया जाएगा। इस पर मैंने टोका कि, “जब परिसीमन की बात हुई तो उसमें असम और अन्य राज्य भी थे, लेकिन असम में तो बिना परिसीमन के चुनाव करा दिए गए। ऐसे में सरकार सिर्फ जम्मू-कश्मीर में परिसीमन पर जोर क्यों दे रही है।”
क्या आपने अनुच्छेद 370 का मुद्दा भी उठाया? अगर हां तो इस पर सरकार की प्रतिक्रिया क्या थी?
सरकार ने अनुच्छेद 370 पर कुछ नहीं कहा। वे इस पर खामोश रहे।
सवाल : क्या बिना 370 के राज्य का दर्जा आपको मंजूर होगा?
जैसा कि मैंने शुरु में कहा, हम संविधान सभा द्वारा जम्मू-कश्मीर के लोगों से किए गए वादे की बहाली चाहते हैं, इसे बाद में अनुच्छेद 370 के रूप में संविधान में शामिल किया गया था।
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