शख्सियत

पुण्यतिथि विशेष: कुछ कक्षाओं में दो-दो साल पढ़ाई करने वाले राजस्थान के ‘जीत’ कैसे बने ग़ज़ल के ‘जगजीत’, जानिए

जगजीत सिंह का जन्म 8 फरवरी, 1941 को राजस्थान के गंगानगर में हुआ था। उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई गंगानगर के खालसा स्कूल से की और इसके बाद वह जालंधर चले गए। डीएवी कॉलेज से स्नातक की डिग्री ली।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

गजल गायकी की दुनिया के बादशाह कहे जाने वाले जगजीत सिंह की आज 8वीं पुण्यतिथि है। इस मौके पर उन्हें पूरा देश याद कर रहा है। वे 8 सालों से हमारे बीच नहीं हैं। उनकी मखमली आवाज के लोग आज भी दीवाने हैं। जगजीत सिंह का नाम मशहूर गजल गायकों में शुमार है। गजलों को आम आदमी के बीच लोकप्रिय बनाने का श्रेय किसी को दिया जाना हो, तो जगजीत सिंह का ही नाम सबसे आगे आता है। जगजीत जीत सिंह के पिता सरदार अमर सिंह धमानी भारत सरकार के कर्मचारी थे। जगजीत का परिवार पंजाब के रोपड़ में रहता था। उनकी मां का नाम बच्चन कौर था। उनके बचपन का नाम जीत था, लेकिन अपनी मधुर आवाज से लोगों के दिल में उतरने वाले जीत कुछ ही दशकों में जग को जीतने वाले यानी जगजीत बन गए।

Published: 10 Oct 2019, 2:19 PM IST

जगजीत सिंह का जन्म 8 फरवरी, 1941 को राजस्थान के गंगानगर में हुआ था। उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई गंगानगर के खालसा स्कूल से की और इसके बाद वह जालंधर चले गए। डीएवी कॉलेज से स्नातक की डिग्री लेने के बाद उन्होंने कुरुक्षेत्र विश्वविधालय से इतिहास में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की। अपने पुराने दिनों को याद करते हुए उन्होंने कहा था कि पढ़ाई में दिलचस्पी नहीं थी, जिसके चलते कुछ कक्षाओं में दो-दो साल तक भी रहना पड़ा।

Published: 10 Oct 2019, 2:19 PM IST

जगजीत सिंह ने एक बार खुद स्वीकार किया था कि जालंधर में पढ़ाई के दिनों में वह डीएवी गर्ल्स कॉलेज के आस-पास चक्कर लगाया करते थे। पिता की इजाजत के बगैर फिल्में देखना और टॉकीज के गेट पर गेटकीपर को एक घूंसा देकर हॉल में घुसना उनकी आदत थी।

Published: 10 Oct 2019, 2:19 PM IST

संगीत उन्हें बचपन में ही पिता से विरासत में मिला था। उन्होंने गंगानगर में पंडित छगन लाल शर्मा के सान्निध्य में दो साल तक शास्त्रीय संगीत सीखने की शुरुआत की। इसके बाद जगजीत सिंह ने जमाल खान साहब से ख्याल, ठुमरी और ध्रुपद की बारीकियां सीखीं।

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उनके पिता चाहते थे कि उनका बेटा भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) में जाए, लेकिन जगजीत सिंह पर गायकी की धुन सवार थी। कुरुक्षेत्र में पढ़ाई के दौरान कुलपति सूरजभान ने जगजीत की संगीत में लगन देख उन्हें बहुत प्रेरित किया और उनके कहने पर वह 1965 में मुंबई आ गए। मुंबई में यह विज्ञापनों में जिंगल्स और शादी में गाकर रोजी-रोटी की जुगाड़ करते थे। यहीं 1967 में इनकी मुलाकात चित्रा जी से हुई और दो साल साथ रहने के बाद दोनों ने 1969 शादी कर ली।

Published: 10 Oct 2019, 2:19 PM IST

जगजीत सिंह पाश्र्वगायन का सपना लेकर फिल्मी दुनिया में आए थे। तब लोग तलत महमूद, मोहम्मद रफी के गीतों को पसंद करते थे। 1976 में जगजीत सिंह ने अपनी पहली हिट अलबम 'द अनफॉरगेटेबल्स' रिलीज किया।

Published: 10 Oct 2019, 2:19 PM IST

जगजीत सिंह ने गजलों को फिल्मी गानों की तरह गाना शुरू किया, उसके बाद आम-आदमी ने गजलों में दिलचस्पी दिखानी शुरू की। लेकिन जगजीत सिंह की यह बदलाव गजल के शुद्धतावादियों को रास नहीं आया और जगजीत पर आरोप भी लगाया गया था कि उन्होंने गजल की शुद्धता के साथ छेड़छाड़ की है।

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1981 में जगजीत नें रमन कुमार द्वारा निर्देशित फिल्म 'प्रेमगीत' और 1982 में महेश भट्ट की फिल्म 'अर्थ' से फिल्मों में गाना शुरू किया और इन दो फिल्मों के गाने लोगों की जुबान पर चढ़ गए, लेकिन इसके बाद से जगजीत फिल्मों में हिट संगीत देने में नाकाम रहे। जगजीत सिंह अपने गायकी के सफर में अनेक विवादों में भी रहे थे। अपने संघर्ष के दिनों में इतने टूट गए थे कि इन्होंने कई प्लेबैक सिंगरों पर तीखी टिप्पणी कर दी थी।

Published: 10 Oct 2019, 2:19 PM IST

इसके बाद जगजीत सिंह ने राजनीति में भी अपनी दिलचस्पी दिखानी शुरू की। उनके हिट गानों में 'होठों से छू लो तुम मेरा गीत अमर कर दो', 'ओ मां तुझे सलाम', 'ये तेरा घर, ये मेरा घर', 'होशवालों को खबर क्या बेखुदी क्या चीज है', 'हाथ छूटे भी तो रिश्ते छूटा नहीं करते', 'कोई फरियाद तेरे दिल में दबी हो जैसे' और 'मेरी आंखों ने चुना है तुझको दुनिया देखकर' आदि शामिल हैं।

Published: 10 Oct 2019, 2:19 PM IST

जगजीत सिंह गजल गायकी के शौक के अलावा रेसकोर्स में घुड़दौड़ का शौक भी करते थे। इसी तरह लॉस वेगास के कसीनो भी उन्हें को खूब भाते थे। जगजीत सिंह ही पहले गायक थे, जिन्होंने चित्रा के साथ लंदन में पहली बार 'डिजिटल रिकॉर्डिग' करते हुए 'बियांड टाइम' अलबम जारी किया। उन्होंने क्लासिकी शायरी के अलावा साधारण शब्दों में ढली आम-आदमी की जिंदगी को भी सुर दिए।

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23 सितंबर, 2011 को ब्रेन हैमरेज होने के चलते जगजीत सिंह को मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया और 10 अक्टूबर, 2011 की सुबह 8 बजे उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।

Published: 10 Oct 2019, 2:19 PM IST

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Published: 10 Oct 2019, 2:19 PM IST

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