मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री कमलनाथ की सरकार का पहला साल पूरा हो गया है। पिछली शिवराज सिंह चौहान की सरकार से तुलना करें तो फर्क हर जगह दिखता है। पैसे की कमी और केंद्र की मोदी सरकार के असहयोगपूर्ण बर्ताव के बावजूद कमलनाथ सरकार ने जिस परिपक्वता के साथ काम किया, जनहित के जितने फैसले लिए, राज्य में निराशा के भाव को जिस तरह बदलने की कोशिश की, वह अपने आप में काबिले तारीफ है। नवजीवन के लिए चंद्रकांत नायडू ने उनसे लंबी बातचीत की। पेश हैं बातचीत के प्रमुख अंशः
राष्ट्रीय राजनीति में चार दशक बिताने के बाद आपने एक साल पहले राज्य की कमान संभाली। इन दोनों के अनुभवों को आप कैसे देखते हैं?
निश्चित रूप से दोनों स्तरों पर प्रशासन के तौर-तरीके में बड़ा फर्कहै। जब हम बड़े फलक से राज्य की प्रशासकीय प्रणाली तक उतरते हैं तो परिप्रेक्ष्य, दृष्टि, कार्य क्षेत्र और शासन प्रणाली में बड़ा अंतर आ जाता है। राज्य की प्राथमिकताएं और संसाधन की भी अहम भूमिका होती है। अगर विकास योजनाओं और रणनीति का पैमाना व्यापक होता है तो संसाधन की समस्या खड़ी होती है और केंद्र पर निर्भरता बढ़ती है। इसी तरह, विकास प्राथमिकताएं भी बदलती रहती हैं, इसलिए सभी के लिए एक दृष्टिकोण काम नहीं करता। ऐसे में “जनता पहले” की नीति ही काम करती है।
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कोई खास सीख, जिसका उल्लेख करना चाहेंगे?
हां, ऐसी कई हैं, क्योंकि आप निरंतर सीखते रहते हैं। मेरा मानना है कि सीखने की प्रक्रिया चलती रहनी चाहिए। आम लोगों से मिल रही दृष्टि से मुझे रोज ही अपने नजरिये को बेहतर करने का मौका मिल रहा है। मुझे लगता है कि मध्य प्रदेश में कार्य संस्कृति का ह्रास हुआ है। अगर हमें विकास की रफ्तार बढ़ानी है तो बेहतर कार्य संस्कृति और इसके लिए उचित माहौल तैयार करना होगा।
पिछली सरकार की तुलना में आपके कार्यकाल में बिना शोर-शराबे के काम हो रहा है। आम लोगों तक पहुंचने में क्या आपको कोई परेशानी पेश आ रही है?
कई बार काम की अधिकता की वजह से वक्त निकालने में दिक्कत होती है। कई ऐसे अहम क्षेत्र रहे जिनपर पिछले शासन के दौरान अपेक्षित ध्यान नहीं दिया गया। मैं इसे दुरुस्त करने की कोशिश कर रहा हूं। सभी वर्तमान योजनाओं की समीक्षा कर रहा हूं, नई रणनीति तैयार कर रहा हूं। हमें लंबा रास्ता तय करना है, इसलिए राज्य की अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकने पर ध्यान केंद्रित कर रहा हूं।
आपकी पार्टी में गुटबाजी की अक्सर चर्चा होती है। आप क्या कहेंगे?
नहीं, पार्टी में किसी तरह की कोई गुटबाजी नहीं। सच्चाई तो यह है कि कांग्रेस ऐसी पार्टी है, जिसने हमेशा लोकतांत्रिक मूल्यों का पोषण किया है। पार्टी में नीचे तक यही लोकतांत्रिक व्यवस्था है, जो बाहर से देखने पर लोगों को गुटबाजी लग सकती है। पार्टी और जनता के हितों पर हम खुले दिल से बातचीत करते हैं और इसमें पार्टी का छोटा-बड़ा हर नेता भाग लेता है। हम एक हैं, मिलकर काम करते हैं और आगे भी अपनी सांगठनिक शक्ति को बढ़ाएंगे।
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आपके लिए पिछली सरकार की खस्ताहाल आर्थिक विरासत अधिक चुनौतीपूर्ण है या केंद्र सरकार का असहयोग?
पिछली सरकार ने कल्याणकारी प्रशासन में राजनीति की भरपूर चाशनी डाली। अतार्किक बातें कीं, जमीनी हकीकत पर विचार किए बिना लंबी-चौड़ी घोषणाएं कीं, बड़े-बड़े वादे किए, पैसे का दुरुपयोग किया, जनता के वास्तविक मुद्दों की अनदेखी की, जिसका नतीजा है कि आर्थिक विकास की गति धीमी हुई, बेरोजगारी बढ़ी। बेशकीमती समय को छुद्र राजनीति में गंवाया। भोले-भाले लोगों को लुभाने के लिए तमाम वादे किए, लेकिन बजट का इंतजाम नहीं किया। इसीलिए हम नए सिरे से चीजों को ठीक करने की कोशिश कर रहे हैं। मनमोहन सिंह सरकार का रुख बड़ा सहयोगपूर्ण था। मौजूदा सरकार से भी हम वैसे ही सहयोग की अपेक्षा करते हैं।
लोकसभा चुनाव के दौरान आपकी पार्टी राज्य में पाई जीत को बरकरार क्यों नहीं रख पाई?
आप जानते हैं, बीजेपी प्रोपेगंडा में विश्वास करती है, पब्लिक एजेंडा में नहीं। उन्होंने बड़े शरारतपूर्ण तरीके से छद्म राष्ट्रवाद के नाम पर लोगों को बरगलाया। बेरोजगारी, महंगाई, आर्थिक मंदी जैसे वास्तविक मुद्दे हाशिए पर चले गए। आज लोगों को अपनी गलती का अहसास हो रहा है। कहानी को सच बताकर पेश किया गया और सच को कहानी। अब तो सबकुछ जाहिर है।
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विधानसभा में आपको बड़े कम अंतर का बहुमत हासिल है। आपके मंत्रालय में काफी लोगों को अनुभव भी नहीं। ऐसे हालात से जूझना कैसा लग रहा है?
मेरे लिए सबसे जरूरी चीज है प्रतिबद्धता। पिछली सरकार को जबर्दस्त बहुमत हासिल था, लेकिन वे लोग जनता के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को नहीं निभा सके। जहां तक मंत्रियों के अनुभवी नहीं होने का सवाल है तो मैं कहूंगा कि मेरी कैबिनेट सबसे युवा है और जब तक युवाओं को आप काम करने का मौका नहीं देंगे, वे अनुभव कहां से पाएंगे।
एक साल के दौरान आपकी सबसे बड़ी उपलब्धि?
वैसे तो इस छोटे से समय में हमने कई बड़े फैसले लिए, लेकिन मैं इनमें सबसे ऊपर रखता हूं किसानों की कर्जमाफी को। मुश्किल हालात से गुजर रहे किसान आज कर्जमुक्त हैं। सूदखोरों से त्रस्त आदिवासियों को भी हमने राहत दी है। एक साल में हमने अपने 365 वादे पूरे किए हैं। जनता से किए वादे को पूरा करने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। धीरे-धीरे निवेशकों का भी भरोसा लौट रहा है, और आपको जल्दी ही इसका परिणाम भी दिखने लगेगा।
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