महाराष्ट्र की लड़ाई एक अहम सवाल पर टिकी है: क्या कल्याणकारी योजनाएं जनता के असंतोष को खत्म कर सकती हैं? शरद पवार का मानना है कि मतदाताओं को लुभाने के लिए महायुति ने जो कुछ भी किया है, वह एक और कार्यकाल जीतने के लिए पर्याप्त नहीं। ‘फ्रंटलाइन’ पत्रिका के लिए अमय तिरोडकर के साथ बातचीत में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) के प्रमुख शरद पवार ने राज्य के राजनीतिक मूड पर बात की। उन्हें इस चुनाव में कई अंतर्धाराएं दिखती हैं- एक तो, 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की छवि का फीका पड़ना और दूसरा, मराठा आरक्षण का मुद्दा। राज्य को जानने का दावा इस दिग्गज नेता से बेहतर शायद ही कोई कर सकता है। उन्होंने पिछले लोकसभा चुनाव के पहले भी ठीक-ठीक बता दिया था कि नतीजे कैसे रहेंगे। अब वह कह रहे हैं कि ‘लाडकी बहीण’ जैसी योजनाओं के बावजूद किसानों की दिक्कतें, बेरोजगारी और उनके अपने परिवार के सदस्यों पर छापे समेत ‘विपक्षी नेताओं के खिलाफ सरकारी मशीनरी के अभूतपूर्व दुरुपयोग’ बड़े मुद्दे हैं और ये चुनावी नतीजों में अभिव्यक्त होंगे।
आप विधानसभा चुनाव अभियान को किस तरह देखते हैं?
लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी पूर्ण बहुमत का लक्ष्य लेकर चल रहे थे। संविधान में संशोधन के मुद्दे ने उन्हें नुकसान पहुंचाया। खासकर कमजोर वर्गों ने इस विचार को पूरी तरह खारिज कर दिया। दूसरे, अल्पसंख्यकों के प्रति मोदी के नजरिये के कारण एक अलग रणनीति उभरी। चुनाव के बाद सदन में पूर्ण बहुमत हासिल करने के लिए मोदी के पास नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू पर निर्भर रहने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। यह संकेत था कि लोग मोदी और उनकी नीतियों से नाखुश हैं। महाराष्ट्र में भी विपक्ष ने अधिक सीटें जीतीं। (विधानसभा) चुनाव इसी पृष्ठभूमि में हो रहे हैं।
क्या आपको लगता है कि लोकसभा का वह रुझान अब भी जारी रहेगा?
अभी नहीं कह सकता। उस चुनाव के बाद, सरकार ने अपनी पूरी मशीनरी का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया और ‘लाडकी बहीण’ योजना जैसे कई लोकलुभावन फैसले लिए, पैसे देकर माहौल बदलने की कोशिश की। इसका थोड़ा-बहुत असर हो सकता है। लेकिन मैं आपको एक अलग कहानी बताता हूं। हाल ही में अपनी यात्रा के दौरान मैंने खेतों में काम कर रही 15-20 महिलाओं को देखा। मैंने कार रोकी और उनसे बात की। पूछा कि ‘लाडकी बहीण’ योजना के बारे में उनका क्या खयाल है। क्या उन्हें पैसे मिले? क्या वे इससे खुश हैं? सभी महिलाओं ने कहा कि उन्हें पैसे मिले लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने एक हाथ से पैसे दिए और दूसरे से वापस ले लिए। उन्होंने समझाया, महंगाई ही इतनी है।
तो यही आम भावना है। किसानों और बेरोजगार युवाओं को भी पैसे दिए जा रहे हैं। सरकार अलग-अलग वर्गों को अलग-अलग तरीके से लुभा रही है।
इन योजनाओं का असर निर्णायक तौर पर महायुति के पक्ष में रहेगा या विपक्ष के पास अब भी लड़ने का मौका है?
मेरा मानना है कि योजनाओं का कुछ तो प्रभाव पड़ा है, लेकिन जनता सरकार में बदलाव चाहती है और अगर यह भावना बनी रहती है, तो हमें स्पष्ट बहुमत मिलेगा। दूसरी बात, कांग्रेस, उद्धव ठाकरे और एनसीपी (एसपी) का हमारा गठबंधन कुछ निर्वाचन क्षेत्रों को छोड़कर हर जगह अच्छा काम कर रहा है।
महा विकास अघाड़ी का मुख्यमंत्री कौन होगा, इसपर काफी चर्चा हो रही है...
हमने अभी नाम तय नहीं करने का फैसला किया है। अगर हमें बहुमत मिलता है तो सहयोगियों में सबसे ज्यादा सीटें पाने वाली पार्टी यह तय करेगी।
मराठा कोटा ऐक्टिविस्ट मनोज जरांगे पाटिल ने चुनाव नहीं लड़ने का फैसले किया है। इस पर आपकी क्या राय है?
पाटिल ने समझदारी भरा फैसला लिया है। उनके चुनाव न लड़ने से विपक्ष को निश्चित ही फायदा होगा। साथ ही, उन्होंने हाल ही में मराठा आरक्षण की मांग के साथ-साथ मुस्लिम और धनगर आरक्षण के समर्थन में भी बयान जारी किया है। इसका मतलब है कि उन्होंने अपना दायरा बढ़ाया है और अपने आधार का विस्तार किया है। इससे यह भावना भी बनी है कि वह ओबीसी के खिलाफ नहीं हैं।
क्या इसका मतलब यह है कि जमीनी स्तर पर गैर-मराठा ध्रुवीकरण नहीं हो रहा है?
लग तो ऐसा ही रहा है।
हरियाणा में बीजेपी की रणनीति का यह अहम हिस्सा था। वहां वे जाटों के खिलाफ गैर-जाटों को एकजुट करने में सफल रहे थे। आपको क्यों लगता है कि महाराष्ट्र में ऐसा नहीं हो रहा है?
मैं हरियाणा गया हूं। वहां कांग्रेस के बहुत से उम्मीदवार थे और कई निर्दलीय और बागी भी थे। शुरू में हमें लगा कि महाराष्ट्र में भी ऐसा हो सकता है। लेकिन उनमें से ज्यादातर ने अपने नाम वापस ले लिए हैं।
क्या आपको लगता है कि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) और वंचित बहुजन अघाड़ी (वीबीए) जैसी छोटी पार्टियां एमवीए को नुकसान पहुंचाने वाली हैं?
पांच साल पहले वीबीए की स्थिति अलग थी। इस बार उनका कोई खास प्रभाव पड़ने का अनुमान नहीं है।
क्या आपको लगता है कि आज भी ईडी और सीबीआई जैसी एजेंसियों का इस्तेमाल एमवीए के खिलाफ किया जा रहा है?
छगन भुजबल के बयान से यह बात साबित हो जाती है (भुजबल ने कहा है कि उन्हें ईडी मामलों के कारण शरद पवार की पार्टी छोड़नी पड़ी)। हम सभी ने इसे देखा है। हमारे खिलाफ धनबल और एजेंसियों का इस्तेमाल किया जा रहा है। मैं आपको एक उदाहरण दे सकता हूं। मेरी बेटी सुप्रिया सुले चौथी बार सांसद बनी हैं। जब भी वह सरकार पर हमला करती हैं, उनके पति को आयकर नोटिस मिल जाता है। मेरे भाई की बेटियों पर छापे पड़े हैं। केन्द्र सरकार ने मेरे परिवार के खिलाफ भी एजेंसियों का दुरुपयोग किया है।
यह ऐसा चुनाव है जिसमें हम सत्ता और सरकारी एजेंसियों का पूरी तरह दुरुपयोग होते देख रहे हैं। ऐसा हमने पिछले चुनावों में कभी नहीं देखा।
कपास और सोयाबीन किसानों की बात करें तो आप केंद्र सरकार की नीतियों को कैसे देखते हैं?
कपास और सोयाबीन किसान गंभीर समस्याओं का सामना कर रहे हैं। कीमतें गिर गई हैं। खेती की लागत भी नहीं निकल पा रही। इसलिए ये किसान बेहद नाखुश हैं। सरकार का यह कहना सही नहीं है कि पैसे मिल जाने से ये किसान संतुष्ट हो गए हैं। गन्ने और इथेनॉल के लिए नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज ने न्यूनतम समर्थन मूल्य की मांग की है। उन्हें पूरा नहीं किया जा रहा है। इसका मतलब है कि सुनिश्चित आय वाली फसल के मामले में भी उसी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। कुल मिलाकर चाहे कपास हो या सोयाबीन या फिर गन्ना, इनके किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
आप अभियान के दौरान बीजेपी नेताओं द्वारा उठाए गए ‘वोट जिहाद’ के मुद्दे को कैसे देखते हैं?
यह सत्तारूढ़ पार्टी के सांप्रदायिक नजरिये का सबूत है। पिछले चुनाव में बीजेपी के चार-पांच नेता ऐसे थे जो संविधान बदलने की बात कर रहे थे। इससे सरकार की असली छवि उजागर होती है। इससे यह भी पता चलता है कि उनके पास उपलब्धियों के नाम पर दिखाने के लिए कुछ नहीं है। इसलिए सांप्रदायिकता ही अकेली ऐसी चीज है जिस पर वे भरोसा कर रहे हैं।
लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान आपने महाराष्ट्र के सटीक आंकड़ों की भविष्यवाणी की थी। अब विधानसभा के नतीजों के बारे में क्या कहेंगे?
मैंने अभी-अभी चुनाव प्रचार शुरू किया है। मैं पूरी कोशिश कर रहा हूं कि ज्यादा से ज्यादा जगहों तक पहुंच सकूं। अभी सीटों की भविष्यवाणी तो नहीं कर सकता लेकिन मुझे यकीन है कि लोग बदलाव चाहते हैं। मैं तो बस चुनाव प्रचार पर और राज्य भर में लोगों तक पहुंचने पर ध्यान केंद्रित कर रहा हूं।
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