शख्सियत

सआदत हसन मंटोः विभाजन की त्रासदी को कागज पर उतारने वाला एक साहित्यकार

काली शलवार, टोबा टेकसिंह, खोल दो, ठंडा गोश्त जैसी कहानियां दुनिया को देने वाले सआदत हसन मंटो आज ही के दिन 1912 में भारत के समराला में पैदा हुए थे। साहित्य, फिल्म, रेडियो, स्क्रिप्ट राइटिंग, पत्रकारिता ऐसा कोई काम नहीं जो मंटो ने नहीं किया।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया सआदत हसन मंटो

आज सआदत हसन मंटो का 106 वां जन्मदिन है। मंटो किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। हर साल उनके जन्मदिन और बरसी पर उन्हें याद करने की रस्म सी हो चली है। हम भी उसी रस्म से बंधे हैं। लेकिन, मंटो महज वक्त या रस्म के तहत याद किये जाने वाली शख्सियत नहीं हैं। उनका लेखन और शख्सियत इस देश की (और उस देश की जो इसे विभाजित करके बना) सामूहिक स्मृति में हमेशा एक टीस बन कर कौंधते रहेंगे और याद दिलाते रहेंगे उन तमाम अनाम लोगों की पीड़ा को जिनका बयान भी नहीं किया जा सकता।

तमाम कहानियां, रेडियो प्ले, फिल्म लेखन और संस्मरण लिखने वाले मंटो की लेखनी में गजब का कटाक्ष, इंटेंसिटी और व्यग्रता थी। उनके किरदारों की दैहिकता और कहानी के विषय खुद उनकी तेज नजर और संवेदनशीलता का सुबूत हैं। अपने जमाने की फिल्मी हस्तियों पर उनका लेखन एक अद्भुत सेन्स ऑफ ह्यूमर को दर्शाता है जो फिल्म स्टार्स के ग्लैमर और तड़क-भड़क को झीना कर उनका इंसानी पहलू सामने लाता है, वो पहलू जो आम लोगों की तरह कमजोरियों, दुष्टताओं के साथ ही भलमनसाहत और अच्छाई से भी से भरा है।

मंटो को अंग्रेजी राज में करीब 6 बार और फिर पाकिस्तान में 3 बार अश्लीलता के आरोप में अदालत तक घसीटा गया लेकिन एक बार भी कोई मामला साबित नहीं हो पाया। अपनी दोस्त और बेबाक लेखिका इस्मत चुगताई की तरह वो भी बस वही लिख रहे थे जो समाज की हकीकत थी। वो समय था जब परत दर परत हमारे समाज का दोगलापन, धर्मान्धता और वहशीपन उघड़ कर जाहिर हो रहा था। विभाजन के दौरान न जाने कितने अपनी जमीन से उजड़े, कितने कत्ल हुए, लुटे और न जाने कितनी औरतें अमानवीय बर्ताव का शिकार हुयीं।

हिंदी की वरिष्ठ उपन्यासकार कृष्णा सोबती ने एक साक्षात्कार में जिक्र किया है कि उस पीढ़ी के लोग विभाजन की वीभत्सता के बारे में बात भी नहीं करना चाहते। वे अपने परिवार के उन सदस्यों, उन औरतों, लड़कियों या बच्चों का नाम भी जबान पर नहीं लाते जो उस यातना के शिकार हुए। वे अपनी स्मृति से भी यह सब गायब कर देना चाहते हैं, मानो वो कहर कभी हम पर टूटा ही नहीं। लेकिन हम चाहें उस नासूर को कितना ही नजरंदाज क्यों न करें, हकीकत ये है कि उसका असर रह-रह कर हमारे समग्र व्यवहार में, प्रतिक्रियाओं में झलक ही जाता है। और मंटो वैसे लेखक थे जिसने विभाजन के दर्द से मुंह नहीं मोड़ा बल्कि उसे जस का तस हमारे सामने रखा। एक देश को रातों-रात बांटने का फैसला कितना तर्कहीन, बेमानी था और उसका असर आमजन पर क्या हुआ, किस तरह के अकेलेपन, वहशीपन और हिंसा का कभी न मिटने वाला दाग हमारी अस्मिता का अंग बन गया।

Published: undefined

आज हम एक अजीब किस्म की हिंसक धर्मान्धता और सांप्रदायिकता का शिकार हो गए हैं, जिसमें दलित, औरत और मुसलमान यानी जो भी कमजोर हो उसे मारने और पीड़ित करने की घटनाएं रोज-ब रोज सामने आ रही हैं। ऐसे में मंटो को किसी खास मौके पर नहीं बल्कि रोज याद किया जाना चाहिए। ये याद किया जाना चाहिए कि कैसे उस हिंसक दौर में लोग असहाय हो गए थे और पाशविक भी; यह याद करना चाहिए कि हमें वो कहानियां फिर नहीं दोहरानी हैं जो मंटो ने लिखीं और जिनका सच हमें आज भी कचोटता रहता है। अगर हम मंटो की रचनाओं और उनमें छिपे एक बिखरते समाज के दर्द को याद करते रहें तो उम्मीद है कि सभ्यता, संस्कृति और इतिहास के नाम पर रोजाना दिए जा रहे बेमतलब बयानों और हिंसक वारदातों के बीच ठहर कर सोच सके, उस विवेक से काम ले सकें, जिसकी वजह से, धर्म, जाति और मर्द-औरत से ऊपर उठकर, हम इंसान कहलाते हैं।

Published: undefined

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia

Published: undefined

  • छत्तीसगढ़: मेहनत हमने की और पीठ ये थपथपा रहे हैं, पूर्व सीएम भूपेश बघेल का सरकार पर निशाना

  • ,
  • महाकुम्भ में टेंट में हीटर, ब्लोवर और इमर्सन रॉड के उपयोग पर लगा पूर्ण प्रतिबंध, सुरक्षित बनाने के लिए फैसला

  • ,
  • बड़ी खबर LIVE: राहुल गांधी ने मोदी-अडानी संबंध पर फिर हमला किया, कहा- यह भ्रष्टाचार का बेहद खतरनाक खेल

  • ,
  • विधानसभा चुनाव के नतीजों से पहले कांग्रेस ने महाराष्ट्र और झारखंड में नियुक्त किए पर्यवेक्षक, किसको मिली जिम्मेदारी?

  • ,
  • दुनियाः लेबनान में इजरायली हवाई हमलों में 47 की मौत, 22 घायल और ट्रंप ने पाम बॉन्डी को अटॉर्नी जनरल नामित किया