राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की सांसद सुप्रिया सुले पूरी तरह से आश्वस्त हैं कि इस बार महाराष्ट्र में लोकसभा और विधानसभा चुनावों में कांग्रेस-एनसीपी के गठबंधन को जीत हासिल होगी। उनका कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब एक चुकी हुई ताकत हैं। उन्होंने जो भी वादे किए थे उनको पूरा करने में वह विफल रहे हैं। सुप्रिया सुले से देश की वर्तमान राजनीति और महाराष्ट्र के राजनीतिक परिदृश्य को लेकर नवजीवन के लिए ऐशलिन मैथ्यू ने बातचीत की।
पश्चिम बंगाल में हाल में जो कुछ घटनाक्रम हुआ उसे आप किस तरह से देखती हैं। क्या आपका मानना है कि बंगाल में मोदी ने अपनी खुद की पोजीशन को नुकसान पहुंचाया है?
बंगाल में जो कुछ हुआ वह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। आज जो लोग सत्ता में हैं वे विपक्ष के प्रति शत्रुता रखते हैं। एक जीवंत लोकतंत्र में, जिस पर हमें गर्व है, यह पहली बार है जब इस तरह की शत्रुता देखी जा रही है। हमारे पास ऐसे नेताओं की विरासत है जिन्होंने उन लोगों की प्रशंसा की और उनका उत्साह बढ़ाया जो विपक्ष में होते थे। मैं नहीं मानती कि उन्होंने (मोदी) सही काम किया है।
क्या आप मानती हैं कि प्रधानमंत्री मोदी राफेल सौदे में गुनहगार हैं? उन्होंने अभी तक इस मामले में कुछ भी नहीं बोला है...
वह कभी भी फ्रंट से लीड नहीं करते हैं। उस व्यक्ति के लिए, जो अत्यंत संचार करने वाला व्यक्ति होने का दावा करता है और प्रधानमंत्री बनने से पहले यही उनकी टीआरपी भी रही, यह वास्तव में बहुत ही निराशाजनक और दुखद है कि वह इस मुद्दे पर बहसों और खुले मंचों पर बोलने से इनकार करते हैं। साफ है, सब कुछ साफ नहीं है। मुझे नहीं लगता कि वह फ्रंट पर आएंगे और संदेहों को दूर करेंगे। वे कुछ छिपा रहे हैं। छिपाने के लिए क्या है? अगर कुछ भी छिपाने के लिए नहीं है, तो उन लोगों को साफ-सुथरा होकर सामने आना चाहिए। अगर आपके पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है, तब आओ और फ्रंट से लीड करो। इसलिए, साफ है कि कुछ तो ग्रे (धुंधला) है।
चुनाव एकदम सिर पर हैं। कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) गठबंधन की क्या संभावना है? आपको लोकसभा और विधानसभा के चुनावों में कितनी सीटें जीतने की उम्मीद है?
निश्चय ही इस बार हम अच्छा करेंगे। पिछली बार काफी अंदरूनी लड़ाइयां थीं। 15 साल सत्ता में रहने के बाद ऐसा कुछ नहीं था जो सही दिखाई पड़ता हो। सब कुछ सही था, लेकिन सब कुछ सही भी नहीं था। वह एक मुश्किल समय था। मीडिया भी हमारे खिलाफ था और लोग भी गुस्से में दिखाई पड़ रहे थे। आप इसे समझ सकती हैं कि कुछ नाराजगी थी। अब यह सब बदल गया है। मैं यह नहीं कह सकती कि हम कितनी सीटें जीतेंगे, लेकिन हम निश्चय ही सफल होकर निकलेंगे। हम निश्चय ही विधानसभा और लोकसभा चुनावों में अच्छा करेंगे।
महाराष्ट्र की वर्तमान सरकार ने बहुत सारे मसले देखे हैं- कृषि संकट, सूखा, मराठा आरक्षण, आदिवासियों का मार्च। इन मसलों के बावजूद, कुछ राजनीतिक पंडितों का कहना है कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस अपना लोहा साबित कर लेंगे। क्या ऐसा है या फिर वे एक फिसलन भरी पिच पर हैं?
केवल इसलिए कि एक व्यक्ति प्रत्येक चुनाव जीतता है, इसका मतलब यह नहीं है कि वे अच्छा करेंगे या अच्छा कर रहे हैं। यह उन चंद लोगों के बारे में नहीं है जो चुनाव जीतते हैं। यह नागरिकों की संतुष्टि को सुनिश्चित करने के बारे में है। क्या लोग खुश हैं, यह सवाल है। आज, महाराष्ट्र बहुत ही ज्यादा खराब कृषि संकटऔर किसानों की आत्महत्याओं का गवाह बना हुआ है। राज्य में निवेश बहुत अच्छा नहीं हो पा रहा है। उनका पूरा गठबंधन झगड़े में उलझा हुआ है, तो क्या उनके पास लोगों के लिए समय है। यहां तक कि नेता नागरिकों के कल्याण के बारे में चिंतित नहीं है। निश्चय ही सत्तारूढ़ गठबंधन फिसलन भरी पिच पर है...
ऐसी अटकलें भी हैं कि मोदी की छवि पर सवार होकर लोकसभा चुनाव के साथ-साथ महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव भी कराए जा सकते हैं। क्या आप मानती हैं कि यह कांग्रेस-एनसीपी गठजोड़ की जीतने की क्षमता को प्रभावित करेगा?
प्रधानमंत्री मोदी के सिवा उनके पास पेश करने को कुछ भी नहीं है। इसलिए, वे क्या कर सकते हैं? राज्य में उनके खिलाफ एंटी-इन्कम्बन्सी है। कृषि संकट ने स्थानीय बाजारों और बहुत सारे परिवारों को तबाह कर दिया है। मोदी सरकार का बजट या यहां तक कि महाराष्ट्र का बजट भी काम आने वाला नहीं है। हमने भी बजट पेश किए हैं। बजट जरूरी नहीं है कि काम करें और इसे वोटों में कन्वर्ट कर दें। कृपया इस देश के मतदाताओं और उनकी समझदारी को कम करके न आंकें। वे जानते हैं कि इन सारे बजट में कृषि संकट का जिक्र भी नहीं है। और आखिर में, अचानक उन्हें किसानों के बारे में भान हुआ और उन्हें 17 रुपये प्रतिदिन देने की पेशकश की गई। यह कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन के जीतने की क्षमता को प्रभावित नहीं करेगा।
क्या आपको लगता है कि इस बार मोदी फैक्टर काम करेगा?
बिल्कुल नहीं। अब तो यह बिल्कुल साफ हो चुका है कि उन्होंने जो भी वादे किए उनको पूरा नहीं किया। बेरोजगारी की दर अब तक सबसे ऊंची है। वे लगातार कहते रहे कि वे न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाएंगे लेकिन यह तो हुआ नहीं। महाराष्ट्र सरकार ने एक अध्ययन भेजा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य कितना होना चाहिए, और स्वीकृत क्या हुआ, राज्य ने जितना मांगा उसका आधे से भी कम। 15 लाख रुपये और दो करोड़ नौकरियां देने का वादा किया गया था और हुआ कुछ नहीं। इस साल उन्होंने एक करोड़ नौकरियों की बात कही। यह एकदम जुमला सरकारहै। लोग भी देख रहे हैं। मतदाताओं की समझदारी को कम नहीं आंकना चाहिए। उन्होंने (मोदी) सबको निराश किया है, मेरे सहित। वह शिक्षा के मोर्चे पर, हेल्थ केयर इंफ्रास्ट्रक्चर के मोर्चे पर और नोटबंदी में साफ तौर फेल हुए हैं। नोटबंदी और जीएसटी ने पूरी तरह से देश की रीढ़ तोड़ दी है। काला धन भी वापस नहीं आया, इसके बजाय हीरा व्यापारी नीरव मोदी करोड़ों लेकर भाग गया। यह कैसे हुआ? यहां तक कि उनके मुद्रा ऋण भी निरर्थक साबित हुए हैं। 50 हजार रुपये से कौन सा व्यवसाय शुरू हो सकता है। बैंकों ने मुद्रा ऋण के रूप में जो पैसा दिया वह एनपीए में बदल गया और 2017-18 में यह बढ़कर 7,277.31 करोड़ रुपये हो गया। इसके अलावा बैंकों का एनपीए चार लाख करोड़ का है। तो इसके लिए कौन जिम्मेदार है?
आप को मुख्य चुनौती शिवसेना-बीजेपी गठबंधन से है। महाराष्ट्र में वे मजबूत हैं। उनके खिलाफ लड़ने की आपकी योजना क्या रहेगी?
जो काम हमने सरकार में रहते हुए किए और जो काम उन्होंने किए, हमें उन आंकड़ों के साथ जाना चाहिए। हमारे गठबंधन के दौरान का शासन ज्यादा बेहतर था। बीजेपी शासन के तहत महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की है। जब हम सत्ता में थे तो राज्य में शिशु मृत्यु दर में काफी गिरावटआई। यहां तक गरीबी में करीब 20 फीसदी की कमी आई थी। इसके अलावा प्रति व्यक्ति आय में भी बढ़ोतरी हुई थी। यह बढ़ोतरी दस फीसदी थी। सरकार में शामिल दोनों सहयोगी लड़ रहे हैं। यदि आप मुझसे पूछें तो यह गंदगी के अलावा कुछ नहीं है। उन्हें अपनी चिंता है न कि जनता के कल्याण की। कई मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप हैं। इसका परिणाम मेरा राज्य भुगत रहा है। हमारी रणनीति विकास की होगी और कुछ नहीं। विकास उस अर्थ में जो कि लोगों के हित में हो- शिक्षा, स्वास्थ्य, किसानों के लिए बेहतर न्यूनतम समर्थन मूल्य। क्या उन्होंने कोई नया स्कूल या कॉलेज शुरू किया है?
सार्वजनिक मतभेदों के बावजूद बीजेपी और शिवसेना साथ हैं। वे लड़ते हैं और फिर साथ आ जाते हैं, इस बारे में आप क्या सोचती हैं?
यह तो है। यह दुखद है, वे सौदेबाजी के लिए लोगों का उपयोग करते हैं। शिवसेना के संजय राउत आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के धरने पर आते हैं और कहते हैं कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे का संदेश देने के लिए आए हैं। अगर वे महसूस करते हैं कि वे इतने बुरे सहयोगी हैं, तो उन्हें अपने अलग रास्ते पर चले जाना चाहिए। उनके आपसी झगड़ों का खामियाजा राज्य में प्रशासन को भुगतना पड़ रहा है। सत्ता के लिए वे फिर साथ आ जाएंगे।
क्या आप नहीं मानतीं कि बहुतायत गठबंधन सत्ता के लिए ही होते हैं?
नहीं, मैं इससे असहमत हूं। सभी गठबंधन सत्ता के लिए नहीं होते हैं। कई बार, यह बुनियादी सवालों के लिए लड़ने को लेकर होते हैं। आज, हममें से अनेक लोग अमोल पालेकरजी के खिलाफ हमले की निंदा करने के लिए साथ आए हैं, जिन्हें एक कार्यक्रम में चुप रहने को कहा गया। ऐसा महाराष्ट्र में पहले कभी नहीं हुआ। यह अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला है।
क्या आपको लगता है कि विपक्षी गठबंधन की राजनीति असरकारी होगी?
अवश्य, क्यों नहीं? नरसिंहराव ऐसे प्रधानमंत्री थे जिन्होंने गठबंधन के जरिये इस देश की तकदीर ही बदल दी। कोई इस बात से असहमत नहीं हो सकता कि हमारे देश के लोगों के जीवन की बेहतरी के लिए स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा औरअन्य जरूरी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति की जरूरत है।
भविष्य के लिए आपकी राजनीतिक योजनाएं क्या हैं। क्या आप महाराष्ट्र या देश की राजनीति पर फोकस करना चाहती हैं?
मैं दोबारा बारामती से चुने जाने की उम्मीद रखती हूं। यह बेहतर परिणाम देने वाला क्षेत्र है और यहां कुपोषण समाप्त किया जा चुका है। मैं हमेशा लोकसभा चुनाव लड़ती रही हूं। महाराष्ट्र में हमारे पास एक मजबूत टीम है।
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