मशहूर उद्योगपति और देश के प्रतिष्ठित औद्योगिक घराने के मानद चेयरमैन रतन टाटा का बुधवार देर रात मुंबई के अस्पताल में निधन हो गया। वे 86 साल के थे। देश के सबसे बड़े कारोबारी ट्रस्ट टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन टाटा मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में सोमवार के भर्ती थे। बढ़ती उम्र के कारण उन्हें कई तरह की परेशानियां थीं।
रतन टाटा की अगुवाई में टाटा समूह ने नई बुलंदियों को छुआ। रतन टाटा ने 1991 में टाटा समूह की चेयरमैन के तौर पर बागडोर संभाली थी। वे 2012 कंपनी के चेयरमैन रहे।
टाटा समूह ने एक अधिकारिक बयान जारी कर उनके निधन की जानकारी दी।
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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट उन्हें श्रद्धांजलि दी।
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महिन्द्रा समूह के प्रमुख आनंद महिन्द्रा ने भी एक बयान में रतन टाटा को श्रद्धांजलि देते हुए लिखा कि उन्हें विश्वास नहीं हो रहा है कि रतन टाटा अब नहीं हैं। उन्होंने आगे कहा है कि आज भारत की अर्थव्यवस्था एक ऊंची छलांग लगाने के ऐतिहासिक मोड़ पर खड़ी है, तो इसमें रतन टाटा की मेहनत का बड़ा योगदान है। आज उनके मार्गदर्शन की सबसे ज्यादा जरूरत थी। उनके जाने के बाद हम सब की जिम्मेदारी है कि इस मार्ग पर आगे बढ़े।
आनंद महिन्द्रा ने कहा कि रतन टाटा के लिए समृद्धि और सफलता के मायने वैश्विक समुदाय की सेवा करना था।
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देश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने रतन टाटा के निधन पर शोक व्यक्त किया है। कांग्रेस ने कहा है कि पद्मभूषण रतन टाटा भारतीय उद्योग जगत के दिग्गज और एक बहुत बड़े दानवीर थे जिन्होंने देश के कार्पोरेट पटल को नया आयाम दिया। कांग्रेस ने आगे कहा कि रतन टाटा की विश्वसनीयता और काम करने का जुनून आने वाली पीढियों को हमेशा प्रेरणा देता रहेगा।
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रतन टाटा को भारतीय उद्योग जगत का पितामह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी।उन्हें सोमवार को ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था और बुधवार को दिन में उनकी स्थिति "गंभीर" हो गई थी। वह मार्च 1991 से 28 दिसंबर 2012 तक टाटा समूह के अध्यक्ष रहे। उसके बाद 2016-2017 तक एक बार फिर उन्होंने समूह की कमान संभाली। उसके बाद से वह समूह के मानद चेयरमैन की भूमिका में आ गये थे। रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को हुआ था। उन्होंने अपने कार्यकाल में टाटा समूह को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया और उदारीकरण के दौर में समूह को उसके हिसाब से ढाला।
टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने कहा, "हम अत्यंत क्षति की भावना के साथ श्री रतन नवल टाटा को विदाई दे रहे हैं। वास्तव में एक असाधारण नेता हैं जिनके अतुलनीय योगदान ने न केवल टाटा समूह बल्कि हमारे राष्ट्र के मूल ढांचे को भी आकार दिया है। “टाटा समूह के लिए श्री टाटा एक चेयरपर्सन से कहीं अधिक थे। मेरे लिए वह एक गुरु, मार्गदर्शक और मित्र थे।
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