शख्सियत

गौहर रज़ा की नज्म: जब साज़िश, हादसा कहलाए...

पढ़े देश के आज के ताजा हालात पर गौहर रज़ा की नज्म, जब साजिश, हादसा कहलाए... ।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

जब साज़िश, हादसा कहलाए

और साज़िश करने वालों को

गद्दी पे बिठाया जाने लगे

जम्हूर का हर एक नक़्श-ए-क़दम

ठोकर से मिटाया जाने लगे



जब ख़ून से लथपथ हाथों में

इस देश का परचम आ जाए

और आग लगाने वालों को

फूलों से नवाज़ा जाने लगे



जब कमज़ोरों के जिस्मों पर

नफ़रत की सियासत रक़्स करे

जब इज़्ज़त लूटने वालों पर

ख़ुद राज सिंघासन फ़ख़्र करे



जब जेल में बैठे क़ातिल को

हर एक सहूलत हासिल हो

और हर बाईज़्ज़त शहरी को

सूली पे चढ़ाया जाने लगे



जब नफ़रत भीड़ के भेस में हो

और भीड़, हर एक चौराहे पर

क़ानून को अपने हाथ में ले



जब मुंसिफ़ सहमे, सहमे हों

और माँगे भीख हिफ़ाज़त की



ऐवान-ए-सियासत में पहम

जब धर्म के नारे उठने लगे

जब मंदिर, मस्जिद, गिरजा में

हर एक पहचान सिमट जाए



जब लूटने वाले चैन से हों

और बस्ती, बस्ती भूख उगे

जब काम तो ढूँढें हाथ, मगर

कुछ हाथ ना आए, हाथों के

और ख़ाली, ख़ाली हाथों को

शमशीर थमाई जाने लगे



तब समझो हर एक घटना का

आपस में गहरा रिश्ता है

यह धर्म के नाम पे साज़िश है

और साज़िश बेहद गहरी है



तब समझो, मज़हब-ओ-धर्म नहीं

तहज़ीब लगी है दांव पर

रंगों से भरे इस गुलशन की

तक़दीर लगी है दांव पर



उट्ठो के हिफ़ाज़त वाजिब है

तहज़ीब के हर मयख़ाने की

उट्ठो के हिफ़ाज़त लाज़िम है

हर जाम की, हर पैमाने की

Published: undefined

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia

Published: undefined