हिंदी भाषा के प्रसिद्ध लेखक, साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता और कवि मंगलेश डबराल का आज (बुधवार) को निधन हो गया है। मंगलेश डबराल कोरोना से संक्रमित थे और उनका इलाज चल रहा था। उनकी लगातार हालत नाजुक बनी हुई थी। मंगलेश डबराल समकालीन हिन्दी कवियों में सबसे चर्चित नाम हैं। इनका जन्म 14 मई 1949 को टिहरी गढ़वाल, उत्तराखण्ड के काफलपानी गांव में हुआ था। उनकी इनकी शिक्षा-दीक्षा देहरादून में हुई थी। मंगलेश डबराल दिल्ली में हिन्दी पैट्रियट, प्रतिपक्ष और आसपास में काम करने के बाद वे भोपाल में मध्यप्रदेश कला परिषद्, भारत भवन से प्रकाशित साहित्यिक त्रैमासिक पूर्वाग्रह में सहायक संपादक रहे।
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मंगलेश डबराल 1963 में जनसत्ता में साहित्य संपादक के पद रहे। कुछ समय वो सहारा समय में संपादक के पद पर भी कार्यरत रहे। आजकल वे नेशनल बुक ट्रस्ट से जुड़े हुए थे। मंगलेश डबराल के पांच काव्य संग्रह प्रकाशित हुए हैं। पहाड़ पर लालटेन, घर का रास्ता, हम जो देखते हैं, आवाज भी एक जगह है और नये युग में शत्रु। इसके आलावा इनके दो गद्य संग्रह लेखक की रोटी और कवि का अकेलापन के साथ ही एक यात्रावृत्त एक बार आयोवा भी प्रकाशित हो चुके हैं।
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