शख्सियत

Exclusive इंटरव्यू: डॉ. कफील खान बोले- लोगों के अधिकारों का दमन करने के लिए NSA का इस्तेमाल कर रही योगी सरकार

जेल से रिहा होने के बाद डॉ कफील खान ने कहा कि उत्तर प्रदेश में तो NSA कानून थोक के भाव लगाया जा रहा है। 100-200 लोगों पर एक साथ एनएसए लगा दिया जाता है। बिना मामले की गंभीरता को जांचे परखे हुए। मेरा मानना है कि इस कानून को समाप्त कर देना चाहिए।

फोटो: Getty Images
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डॉक्टर कफील खान किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। सीएए-एनआरसी के खिलाफ चल रहे आंदोलनों में शामिल होने की वजह से डॉक्टर खान को उत्तर प्रदेश टास्क फोर्स ने मुंबई से फरवरी 2020 में गिरफ्तार किया और हिंसा भड़काने का आरोप लगाते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत जेल में बंद कर दिया।

यूपी की मथुरा जेल में छह महीने बिताने के बाद एक सितंबर 2020 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद योगी सरकार ने डॉक्टर कफ़ील खान को रिहा किया। योगी सरकार की खिंचाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आदेश में कहा का कफील के भाषण में हिंसा भड़काने जैसा कुछ नहीं।

डॉक्टर कफील खान की रिहाई का आदेश कोर्ट ने हालांकि दोपहर से पहले ही दे दिया था लेकिन जेल तक पहुंचते पहुंचते रात हो गई। तमाम औपचारिकताएं पूरी करने के बाद डॉ कफ़ील खान मध्य रात्रि के करीब 12 बजे मथुरा जेल से बाहर आए। गोरखपुर जाते हुए कफ़ील खान ने नवजीवन से फोन पर एक्सक्लूसिव बातचीत की।

डॉक्टर खान पहला सवाल ऐसा है जिसे कई दशकों से पूछा जा रहा है। उबाऊ भी है। लेकिन फिर भी जानना चाहेंगे कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद आपकी रिहाई हुई। आपकी प्रतिक्रिया क्या है?

सबसे पहले तो मैं भारत की न्याय व्यवस्था, देशवासियों का, दोस्तों का और उन तमाम लोगों को धन्यवाद देना चाहता हूं जिनकी बदौलत में जेल से रिहा हो सका। दूसरी बात यह है कि कोर्ट ने मेरे केस को बहुत आलोचनात्मक निगाह से देखा परखा है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि मेरे भाषण में ऐसा कुछ नहीं था जिससे हिंसा फैलती लेकिन फिर भी बीजेपी सरकार ने मुझे गिरफ्तार किया। गिरफ्तार ही नहीं किया बल्कि एनएसए जैसे कड़े कानून के तहत मुकदमा दर्ज़ किया। कोर्ट के आदेश के बाद यह साबित हो गया है कि मेरे ऊपर लगाए गए आरोपों में रत्ती भर भी दम नहीं था।

मैंने अपने भाषण में यह कहा था कि सीएएस-एनआरसी के खिलाफ़ लड़ाई एक तरह से वज़ूद की लड़ाई है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वज़ूद साबित करने के लिए मैंने हिंसा की पैरोकारिता की।

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आपको राष्ट्रीय सुरक्षा कानून जिसे अंग्रेजी मे एनएसएस कहते हैं इसके तहत बंद किया गया था। अब कोर्ट के आदेश के बाद यह आरोप गलत साबित हो चुका है। इस कानून के बारे में आपकी क्या सोच है ?

देखिए उत्तर प्रदेश में तो यह कानून थोक के भाव लगाया जा रहा है। 100-200 लोगों पर एक साथ एनएसए लगा दिया जाता है। बिना मामले की गंभीरता को जांचे परखे हुए। मुख्यमंत्री योगी कहते हैं कि इतने लोगों पर एनएसए लगा तो और एनएसए लग जाता है। मेरा मानना है कि इस कानून को समाप्त कर देना चाहिए क्योंकि एनएसए और इसके जैसे दूसरे कानूनों का जैसे कि पीएसए, एएफएसपीए जैसे कानूनों का इस्तेमाल सरकारें नागरिक अधिकारों का दमन करने के लिए कर रही हैं। जो भी सरकार के खिलाफ बोले उसे एनएसए लगाकर बंद कर दो। यह तो कोई बात नहीं हुई।

यूपी एसटीएफ का रवैया कैसा था आपके प्रति ?

मैं तो यूपी एसटीएफ को धन्यवाद देना चाहूंगा कि उन्होंने मुझे ज़िंदा रखा वर्ना मुंबई से मथुरा के बीच काफी लंबा रास्ता है। आप जानते हैं कि एसटीएफ की गाड़ियां रास्ते में कैसे पलटती हैं। बहरहाल, शुरु में तो टॉर्चर किया लेकिन बाद में ठीक हो गया।

क्या क्या सवाल पूछे गए थे आपसे ?

यूपी एसटीएफ के लोग कई बार विचित्र सवाल पूछते थे। जैसे मुझसे पूछते थे कि आप जापान गए थे। आप वहां की सरकार गिराना चाहते थे। शुरुआत में वो लोग मुझसे किसी पाउडर के बारे में पूछते थे। कहते थे कि मैंने कोई पाउडर बनाया है। जब मैंने कोई पाउडर बनाया ही नहीं तो मैं क्या जवाब देता। कई बार हंसी आती थी। कई बार तकलीफ भी होती थी। मैंने कहा कि मेरा पासपोर्ट तो जमा है, मैं कैसे विदेश जा सकता हूं।

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आप कितने दिन जेल में रहे? जेल में आपने क्या अनुभव किया ?

(हंसते हुए) ऐसा लगता है कि जेल से तो मेरा दिल का रिश्ता कायम होता जा रहा है। यूपी में बीजेपी की सरकार को आए हुए करीब साढ़े तीन साल हो चुके हैं। इस कार्यकाल को ये लोग राम राज्य के रूप में प्रचारित करते हैं। आप कह सकते हैं कि यूपी में राम राज्य के इस पूरे दौर में करीब दो साल जेल में बिता चुका हूं।

जहां तक जेल में बिताए गए दिनों के बारे में बात है तो इस बारे में मैंने एक चिट्ठी भी लिखी थी। कोरोना महामारी के दौरान जब लोगों से कहा जा रहा है कि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना है, जेल में भयानक भीड़ है। मैं जिस बैरक में था वहां 150 लोग थे। 150 लोगों के बीच में एक ही ट्वायलेट था। आप कल्पना कर सकते हैं कि क्या स्थिति होगी। खाने की गुणवत्ता इतनी खराब थी कि बयान नहीं किया जा सकता।

जेल के अंदर टीवी पर न्यूज़ देखा करता था। मैं यह देखकर हैरान होता था कि पूरे दिन सुशांत मर्डर केस चल रहा है। मैं सोचता था कि बाहर कोरोना महामारी समाप्त हो गई क्या? न अर्थव्यवस्था पर कोई बात, न चीन की घुसपैठ पर कोई बात। न बेरोज़गारी पर कोई चर्चा। जेल के अंदर लगता था कि बस एक ही मसला देश के सामने और वो है सुशांत की मर्डर मिस्ट्री।

अब जबकि आप जेल से रिहा हो चुके हैं आगे के लिए क्या कुछ तय किया है ?

अभी तो फिलहाल मैं कुछ वक्त अपने परिवार के साथ बिताना चाहता हूं। बहुत महीनों से अपने बेटे को नहीं देखा है। वो अब 11 महीने का हो चुका है। जब जेल गया था तो चल नहीं पाता था वो। अब शायद चलने लगा होगा। थोड़ा वक्त अपने बेटी और परिवार को देना चाहता हूं।

इसके बाद मैं निकलूंगा असम और बिहार की तरफ जाउंगा। जहां बाढ़ प्रभावित इलाकों में इस वक्त चिकनगुनिया, हैजा और दूसरी तमाम बीमारियां फैलती हैं। लोगों को दवाएं और मदद की ज़रूरत है। प्राथमिकता मेरी यही होगी कि मैं बाढ़ प्रभावित इलाकों में मेडिकल कैंप लगाकर लोगों की मदद कर सकूं। इसके बाद कोरोना वैक्सीन की टेस्टिंग के लिए खुद को रजिस्टर्ड कराऊंगा। कोरोना प्रभावित इलाकों में भी काम करना है।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आपके ही जिले के हैं। कहा जाता है कि वो आपसे व्यक्तिगत रूप से नाराज़ हैं।

मुख्यमंत्री जी से मैं यही अपील करूंगा कि बीआरडी मेडिकल कॉलेज में मेरी नियुक्ति फिर से करा दें ताकी मैं लोगों की सेवा कर सकूं। डॉक्टरी मेरा पेशा और पैशन दोनों है।

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आपको शायद पता होगा कि यूपी कांग्रेस ने आपकी रिहाई के लिए लंबी मुहिम चलाई।

जी हां, मैं प्रियंका गांधी जी का, अजय कूमार लल्लू जी का और माइनॉरिटी सेल के अध्यक्ष शाहनवाज भाई का तहे दिल से शुक्रिया अदा करना चाहता हूं। कांग्रेस पार्टी के अलावा समाजवादी पार्टी ने बीएसपी ने भी मेरी रिहाई के लिए लिए, इंसाफ के पक्ष में आवाज़ बुलंद की इन सब लोगों को भी धन्यवाद कहना चाहता हूं।

आप राजनीतिक रूप से काफी सचेत हैं. क्या राजनीति में शामिल होने का इरादा है? अगर हां तो कब तक?

आपको अगर व्यवस्था की बुराईयां दूर करनी है तो व्यवस्था में तो उतरना ही होगा। यही मेरा जवाब है। समय सीमा के बारे में अभी कुछ नहीं कह सकता।

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