शख्सियत

जयंती विशेष: 'आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की रचनाएं दशकों पहले थीं जितनी प्रासंगिक, आज उससे अधिक'

संगोष्ठी को संबोधित करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार और कवि अशोक वाजपेयी ने कहा कि आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की रचनाएं दशकों पहले जितनी प्रासंगिक थीं वह आज और अधिक प्रासंगिक हो गई हैं।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

हिंदी के दिग्गज निबंधकार, आलोचक और उपन्यासकार आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की 117वीं जयंती के मौके पर दिल्ली में आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी मेमोरियल ट्रस्ट ने संगोष्ठी का आयोजन किया। संगोष्ठी में कई हस्तियां शामिल हुईं। संगोष्ठी का विषय आचार्य द्विवेदी का प्रसिद्ध निबंध "मनुष्य ही साहित्य का लक्ष्य है" था। संगोष्ठी में मशहूर इतिहासकार प्रो. सुधीर चंद्र ने भी वक्ता के रूप में शिरकत की। जबकि इसकी अध्यक्षता जाने-माने साहित्यकार और आचार्य द्विवेदी के शिष्य डॉ. विश्वनाथ त्रिपाठी ने की।

इस मौके पर अशोक वाजपेयी, प्रो. सुधीर चंद्र, डॉ. विश्वनाथ त्रिपाठी,  प्रसिद्ध व्यंग्यकार पद्मश्री सुरेंद्र शर्मा, राजकमल प्रकाशन के प्रबंध निदेशक अशोक महेश्वरी, ट्रस्ट की अध्यक्ष डॉ. अपर्णा द्विवेदी और महासचिव नूपुर द्विवेदी पांडे ने ट्रस्ट द्वारा लगातार दूसरे वर्ष प्रकाशित स्मारिका "पुनर्नवा" का  संयुक्त रूप से लोकार्पण किया।

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संगोष्ठी को संबोधित करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार और कवि अशोक वाजपेयी ने कहा कि आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की रचनाएं दशकों पहले जितनी प्रासंगिक थीं वह आज और अधिक प्रासंगिक हो गई हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि आचार्य द्विवेदी किस स्तर के भविष्यदृष्टा थे। उन्होंने कहा कि हिन्दी पर जो सबसे बड़ा संकट हैं वह झूठ का है। हिन्दी में जितनी अभ्रद्रता होती है उतनी किसी अन्य भाषा में नहीं है। ऐसे में साहित्यकारों का दायित्व है कि वह सच और झूठ से पाठकों को बचाएं। उन्होंने कहा कि संवेदनशीलता और साझी मनुष्यता साहित्य से ही संभव है।

प्रो. सुधीर चंद्र ने कहा कि आचार्य द्विवेदी जैसा विद्वान हिन्दी में ही नहीं किसी अन्य भाषा में भी कोई नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि आचार्य जी कहते है कि जिस साहित्य का उद्देश्य मनुष्यता नहीं है वह कल्पना विलासिता है। आचार्य जी का 1948 में लिखा हुआ आज और भयावहता के साथ हमारे सामने मौजूद है।

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संगोष्ठी के अध्यक्ष डॉ. विश्वनाथ त्रिपाठी ने पंडित जी (द्विवेदी जी) के सौंदर्य बोध की चर्चा की और उनकी रचना चारु चंदल्रेख के अंश का उल्लेख करते हुए कहा कि जब ज्ञान आएगा तो फिर वह सीक्रेट नहीं रहेगा। जैसे एटम बम बन जाएगा तो फिर वह सीक्रेट नहीं रह जाएगा। उन्होंने मौजूदा समय में एआई (आर्टिफिशिटल इंटेलिजेस) पर चर्चा करते हुए कहा कि यह पत्रकार, लेखक, अध्यापक को खा जाएगा। इससे लाखों लोग बेकार हो जाएगें, लेकिन यह सब कुछ आज के विज्ञान के लिए एक अंक भर होगा।

आचार्य द्विवेदी के पारिवारिक सदस्य सुनील द्विवेदी ने आचार्य जी के साथ बिताए पलों को याद करते हुए उनकी खुलकर हंसने की प्रशंसा की। ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ. अपर्णा द्विवेदी ने ट्रस्ट द्वारा किए जा रहे कार्यों और अन्य गतिविधियों की जानकारी दी और अंत में सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन किया।

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