संसद के दोनों सदनों से शीतकालीन सत्र के पहले दिन तीनों नए कृषि कानून खत्म करने वाले विधेयक पारित हो गए। लोकसभा सांसद जसबीर सिंह गिल विरोध कर रहे हैं। दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरने पर बैठे हैं। मानसून सत्र में किसानों के समर्थन में लोकसभा में प्रदर्शन किया और शीतकालीन सत्र में कानून निरस्त विधेयक वापस लिये जाने के बाद संसद में इसका विरोध किया। कांग्रेस सांसद गिल ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि जिस तरह से कानून लाया गया उसी तरह से वापस ले लिया गया। पेश हैं सांसद जसबीर सिंह गिल से बातचीत के कुछ अंश..
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सवाल- दोनों सदनों से कृषि कानून अब वापस ले लिया गया है इस पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है ?
जवाब- ये रात के अंधेरे में कानून लेकर के आये। जब लॉकडाउन लगा हुआ था तो ये ऑर्डिनेंस से कानून लेकर आये। जब संसद में ये कानून आये तब भी इन्होंने कोई चर्चा नहीं की। सदन में हमने वोटिंग की मांग की लेकिन वोटिंग भी नहीं कराई गई और सांसदों को निलंबित करके, बिना चर्चा के कानून बना। नियमों को दरकिनार करके ये कानून बना।
"हमारा सवाल था कि 700 किसान क्यों मरे, हमारा सवाल था कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी अपने पद पर क्यों बने हुए हैं। आज सवाल था कि केंद्र सरकार एमएसपी का कानून कब लेकर आएगी? विपक्ष का सवाल था कि स्वामीनाथन रिपोर्ट आप कब लागू करेंगे। आज सवाल था कि आप ने किन लोगों के लिए ये कानून बनाया, आप देखिये इस सरकार को जो लोग चला रहे हैं। उन्हीं की मर्जी से नोटबंदी हुई, उन्ही की मर्जी से कृषि कानून आये। जो सरकार की कंपनियां हैं, एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन, खदान। उनको उद्योगपतियों को क्यों बांटा जा रहा है। ये देश की संपत्ति है देश के लोगों के काम आनी चाहिए।"
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सवाल- आप लोग (कांग्रेस नेता) जंतर-मंतर पर किसानों के समर्थन में बैठे थे। अब जब कानून वापस हो गया है, अब धरना बंद होगा। क्या रहेगी आगे की रणनीति?
जवाब- बड़ा सरल सा जवाब है कि हम लोगों ने किसानों के समर्थन में धरना शुरू किया। जब तक किसान धरना देंगे, हम विपक्ष के नेता वहां उनके समर्थन में बैठे रहेंगे। जब तक किसान मोर्चा उठने का फैसला नहीं लेता तब तक हम लोग भी धरने पर रहेंगे।
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सवाल- आगे किसानों को लेकर कांग्रेस की, सभी विपक्षी दलों की क्या मांगे रहेंगी? क्या विपक्षी दल शीतकालीन सत्र को निर्विरोध चलने देंगे, क्या रणनीति है?
जवाब- हमें लोगों ने चुनकर संसद में भेजा है उनके मसले उठाने के लिए, हम चर्चा चाहते हैं। हम सदन को चलाना चाहते हैं। उनकी नीयत में खोट है वो जानबूझ कर ऐसे फैसले ले रही है कि विपक्ष हंगामा करे। सरकार अगर कृषि कानून वापस लेने वाले विधेयक पर अगर चर्चा करा लेती तो क्या गलत हो जाता। आज सरकार निरस्त कृषि कानूनों पर अपना पक्ष रख सकती थी पर ऐसा नहीं हुआ।
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