अब से कुछ ही घंटे बाद नए साल के साथ नया दशक 2020-30 भी आरंभ हो जाएगा। यह दशक किसी साधारण दशक की तरह नहीं है। कुछ विशेष कारणों से इस दशक का महत्व बहुत बढ़ गया है। अनेक वर्षों से वैज्ञानिक यह चेतावनी दे रहे हैं कि अनेक गंभीर पर्यावरणीय समस्याओं की वजह से धरती की जीवनदायिनी क्षमता ही खतरे में पड़ गई है। इन पर्यावरणीय समस्याओं में सबसे महत्त्वपूर्ण स्थान जलवायु बदलाव को दिया गया है। पर इसके अतिरिक्त अनेक अन्य महत्त्वपूर्ण पर्यावरणीय समस्याएं भी हमारे सामने हैं।
स्टाॅकहोम रेसिलियंस सेंटर के वैज्ञानिकों के अनुसंधान ने हाल के समय में धरती के सबसे बड़े संकटों की ओर ध्यान केंद्रित करने का प्रयास किया है। यह अनुसंधान बहुत चर्चित रहा है। इस अनुसंधान में धरती पर जीवन की सुरक्षा के लिए 9 विशिष्ट सीमा-रेखाओं की पहचान की गई है, जिनका अतिक्रमण मनुष्य की क्रियाओं को नहीं करना चाहिए। गहरी चिंता की बात है कि इन 9 में से 3 सीमाओं का अतिक्रमण होना आरंभ हो चुका है। यह तीन सीमाएं है- जलवायु बदलाव, जैव-विविधता का ह्रास और भूमंडलीय नाईट्रोजन चक्र में बदलाव।
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इसके अतिरिक्त चार अन्य सीमाएं ऐसी हैं जिनका अतिक्रमण होने की संभावना निकट भविष्य में है। यह चार क्षेत्र हैं- भूमंडलीय फासफोरस चक्र, भूमंडलीय जल उपयोग, समुद्रों का अम्लीकरण और भूमंडलीय स्तर पर भूमि उपयोग में बदलाव। जलवायु बदलाव पर सबसे अधिक मान्यता प्राप्त प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों ने साल 2015 में चेतावनी दी थी कि अगले 12 वर्ष जलवायु बदलाव का संकट नियंत्रित करने के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण हैं। 2018-2030 का जो समय उन्होंने दिया उसमें से भी कुछ समय गुजर गया है। अब तो 2020-30 का दशक ही हमारे सामने है। यदि इस दशक में यह संकट नियंत्रित नहीं किया गया तो यह हाथ से बाहर निकल जाएगा।
पर्यावरण की कुछ अन्य समस्याएं भी बहुत गंभीर हैं। इन समस्याओं के साथ टिपिंग प्वाइंट भी जुड़े हैं और यह सीमा अधिक पार हो गई तो समस्या मनुष्य के नियंत्रण से बाहर निकल सकती है। उदाहरण के लिए ग्रीनहाऊस गैसों के बारे में कहा गया है कि इनका उत्सर्जन एक सीमा से आगे बढ़ने पर स्थिति मनुष्य के नियंत्रण से बाहर जा सकती है।
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महाविनाशक हथियारों का प्रसार भी धरती की जीवनदायिनी क्षमता को खतरे में डाल रहा है। इस दृष्टि से भी हम एक विशेष खतरनाक दौर में पहुंच गए हैं, क्योंकि परमाणु हथियारों के नियंत्रण के कुछ पहले से हुए समझौते टूट रहे हैं और साथ में रोबोट या एआई हथियारों का नया दौर तेजी से आगे बढ़ रहा है।
अतः धरती की जीवनदायिनी क्षमताओं को बचाने के लिए 2020-30 एक विशेष महत्त्वपूर्ण दशक है और इस कारण इसे विश्व स्तर पर धरती रक्षा दशक के रूप में घोषित किया जाना चाहिए। ‘धरती को अभी बचाएं’ अभियान (सेव द अर्थ नाऊ कैम्पेन) के अंतर्गत यह मांग संयुक्त राष्ट्र महासचिव को भेजी गई है। इस मांग को अनेक विद्वानों और विख्यात जन-संगठनों का समर्थन मिला है। यदि यह मांग स्वीकार होती है तो इससे विश्व स्तर पर धरती की जीवनदायिनी क्षमताओं को बचाने की जरूरत पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलेगी।
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इस अभियान ने यह भी जोर देकर कहा है कि जो भी समाधान खोजे जाएं, वे न्याय, समता और लोकतंत्र के दायरे में हों। इस संदर्भ में यह पहले से भी और जरूरी हो गया है कि न्याय व समता, अमन-शांति और पर्यावरण रक्षा के विभिन्न आंदोलन और प्रयास एक-दूसरे के नजदीक आएं और एक बड़ी ताकत बन कर धरती की जीवनदायिनी क्षमताओं को बचाने के प्रयासों को मजबूत करें।
निश्चय ही यह प्रयास समकालीन दुनिया के सबसे सार्थक प्रयास माने जाएंगे और इन्हें सशक्त करने, इनकी एकता बढ़ाने के लिए 2020-30 का दशक अति महत्त्वपूर्ण है। इस दशक का विशेष महत्त्व समझते हुए इस दिशा में प्रयास तेज करने चाहिए।
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