विचार

जातीय जनगणना का लाभ क्या सिर्फ ओबीसी की वर्चस्व वाली जातियों और इन पर आधारित राजनीतिक दलों को होगा!

जातीय जनगणना के विमर्श में एक पहलू यह भी है कि इसका लाभ उन जातियों और पार्टियों को होगा जिनका आधार ओबीसी की डॉमिनेन्ट जातियों में है। ओबीसी में जो नया उभरता प्रभावकारी वर्ग है, वह इस लड़ाई को आगे बढ़ा रहा है। पढ़िए प्रोफेसर बद्रीनारायण क्या कहते हैं।

सोशल मीडिया
सोशल मीडिया 
जातीय जनगणना कराने की मांग काफी पहले से समय-समय पर होती रही है। इस बार इसने नए सिरे से और प्रभावी तरीके से जोर पकड़ा है। केंद्र की मोदी सरकार इस पर खामोश है। जातीय जनगणना के पक्षधरों का एक तर्क यह भी है कि मोदी सरकार ने अपने मंत्रिमंडल विस्तार में इस बात को बहुत प्रचारित किया कि उनके मंत्रिमंडल में इतने दलित और इतने ओबीसी हैं। इसके पीछे प्रमुख कारण यही है कि कैसे इसका चुनावी लाभ लिया जाए। जब सरकार यह करती है, तो वह जातीय जनगणना से क्यों भाग रही है? वहीं, जातीय जनगणना के इस विमर्श में एक पहलू यह भी सामने आ रहा है कि इसका फायदा केवल उन जातियों और उन पार्टियों को होगा जिनका आधार ओबीसी की डॉमिनेन्ट जातियों में है। ओबीसी में जो नया उभरता प्रभावकारी वर्ग है, वह जातीय जनगणना की इस लड़ाई को आगे बढ़ा रहा है। लेकिन इसका कोई बहुत जमीनी आधार नहीं है। इस विषय पर पढ़िए जीबी पंत सोशल साइंस इंस्टीट्यूट, इलाहाबाद के निदेशक प्रोफेसर बद्रीनारायण क्या कहते हैं।

जातीय जनगणना के माध्यम से जो लोग राजनीतिक फायदा लेने की कोशिश कर रहे हैं, उनको इसका कोई फायदा नहीं मिलने जा रहा है क्योंकि कुछ लोग हैं, कुछ जातियां हैं और उनके कुछ ओपीनियन मेकर्स हैं जो इसके पक्ष में माहौल बनाने में लगे हुए हैं। जातीयपन जब राजनीतिक रूप ले लेता है, तभी जातीय जनगणना-जैसी मांग उठती है। एक जातीय जनगणना अंग्रेजों ने की। यह कम्युनिटी की मांग नहीं थी। अंग्रेजों ने खुद किया था। लेकिन अब मांग कर रहे हैं कि जातीय जनगणना होनी चाहिए। यह भाव और जरूरत कब पैदा हुई। जातीय भावना एक बहुत ही राजनीतिक फार्म, एडवांस फॉर्म में आ जाएगी। दलितों में बहुत सारी जातियां हैं। उत्तर प्रदेश में 66 जातियां हैं। उनमें से लगभग 40 जातियों को यह पता भी नहीं है कि जातीय जनगणना क्या है।

जातीय जनगणना की मांग अगर राजनीतिक मांग बनती है, तो वह वोट का कारण नहीं बनेगी और वोट को अट्रैक्ट नहीं करेगी। जो लोग यह मानकर चल रहे हैं कि इससे वोट पाएंगे, वे धोखे में पड़ेंगे। इसका फायदा उन जातियों को होगा, उन पार्टियों को होगा जिनका आधार ओबीसी की डॉमिनेन्ट जातियों में है। जैसे आरजेडी और समाजवादी पार्टी क्योंकि कम्युनिटी चार्ज हो जाएगी और फिर से उनके साथ खड़ी हो जाएगी। अगर शिथिल पड़ रही होगी, तो और कड़ी हो जाएगी। लेकिन इसका फायदा उस तरह से पार्टियों को नहीं होगा। वामपंथी आदि जो सोचते हैं कि इससे हमें कोई फायदा हो जाएगा, तो शायद यह नहीं होगा क्योंकि यह चुनावी राजनीति में पॉपुलर डिमांड बनकर सबके लिए उभरे, यह संभव नहीं है।

Published: undefined

दलितों में सबसे हाशिये पर रहने वाले समुदाय के लोगों से बात करेंगे, तो पाएंगे कि उन्हें पता ही नहीं है कि जातीय जनगणना क्या होती है। इन समुदायों के लोगों से पूछिए कि सरकार जाति पूछेगी, तो क्या बता देंगे? तब यह लोग कहेंगे कि नहीं, हमें इससे कोई मतलब नहीं है। यह जो वैचारिकी बनाने वाला वर्ग है, ओबीसी में जो नया उभरता प्रभावकारी वर्ग है, वह जातीय जनगणना की इस लड़ाई को आगे बढ़ा रहा है। दलितों का भी एक ऐसा ही वर्ग है जो इसमें लगा हुआ है। लेकिन इसका कोई बहुत जमीनी आधार नहीं है।

जहां पर वर्षों से जातीय जनगणना हो रही है, वहां क्या चीजों का ठीक से डिस्ट्रीब्यूशन हो गया? इस तरह के प्रयासों का अभी तक सिर्फ तीन-चार जातियों को फायदा हुआ है- जाटव, पासी, धोबी और कोरी आदि। इन चार ही जातियों को लोग जानते हैं। अगर पूछ लिया जाए कि कितनी जातियों को जानते हैं, तो पता चलेगा कि लोगों को कुछ गिनती की जातियों के बारे में ही जानकारियां हैं। पांच या छह जातियों से अधिक के बारे में कोई नहीं जानता। कौन-कौन कम्युनिटीज हैं, यह भी लोगों को नहीं पता होता। उनका कोई पार्टिसिपेशन नहीं है। जब हालात इस तरह के हों, तो सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस जातीय जनगणना का क्या मतलब निकलने जा रहा है।

Published: undefined

सोशल ग्रुप्स में भी बहुत सारे लोग हैं जिनका इससे कोई बहुत मतलब नहीं है। ठीक है कि वे इसके खिलाफ नहीं खड़े हैं लेकिन कोई कहे कि खिलाफ खड़े हो जाइए, आंदोलन शुरू करिए, तो वे आंदोलन नहीं करेंगे। इसके लिए वे इन लोगों को वोट भी नहीं देंगे। और अगर बीजेपी को लगेगा कि जातीय जनगणना का मुद्दा फायदा देने वाली चीज बन रही है, तो वह अपने आप इस पर आगे बढ़ जाएगी और उसका पूरा फायदा ले लेगी।

(राम शिरोमणि शुक्ल से बातचीत पर आधारित)

Published: undefined

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia

Published: undefined