सबसे पहले तो मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि मैं राम का वंशज नहीं हूं और कल अगर कृष्ण के वंशजों की खोज शुरू हो तो मैं उनका वंशज भी नहीं हूं। मैं किसी बड़े से लेकर छोटे-मोटे राजवंश, प्रधानमंत्री वंश, मुख्यमंत्री वंश, मंत्री वंश, नौकरशाह वंश, दलाल वंश का वंशज भी नहीं हूं। इसीलिए मैं इस समय जारी वंशज- युद्ध का मजा ले पा रहा हूं।
जैसे पाकिस्तान आजकल कश्मीर पर मोदी जी का मजा लेने में लगा है तो मैं भी रामवंश का मजा लेने में भिड़ा हूं। पाकिस्तान तो भ्रम में है कि अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे। अपने को तो ये मुगालता भी नहीं। हम तो ऊंट पर कभी बैठे तक नहीं तो अपना ऊंट होने का सवाल ही पैदा नहीं होता और उसके पहाड़ के नीचे आने का प्रश्न अपने आप खारिज हो जाता है! तो न अपना ऊंट हैं, न अपने दूर-दूर तक कोई पहाड़ है तो किसी का ऊंट अगर पहाड़ के नीचे आता हुआ लगता है तो अपन मजा लेना शुरू कर देते हैं। यही भारतीय परंपरा है। जब चौहान नहीं चूके तो ये विष्णु नागर क्यों चूके? आखिर वह आज इक्कीसवीं सदी में है!
अब सवाल पैदा होता है कि मैं दावे के साथ यह कैसे कह सकता हूं कि मैं राम का वंशज नहीं हूं, जबकि सबके सब कह रहे हैं कि वे राम के वंशज हैं! इस पर कभी और फुर्सत से बात करेंगे या नहीं करेंगे। तो साहेबान हुआ यह कि सुप्रीम कोर्ट के जज साहेब ने गलती से राममंदिर पक्षकार वकील से पूछ दिया कि क्या राम के कोई वंशज आज हैं?
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इतना पूछना था कि वंशजों की बाढ़ सी आ गई, जैसे देश के कई हिस्सों में आजकल पानी की घर-बार और जानलेवा बाढ़ आई हुई है। यूं भी कह सकते हैं कि राम के वंशजों की लाइन आज उसी तरह लग हुई है, जैसी नोटबंदी के समय बैंकों के आगे हमसब की लगी हुई थी। बल्कि आज तो धक्का-मुक्की है, जैसे प्रसिद्ध मिठाई वाले की दुकान पर दीपावली पर मचती है। मर जाएं, मिट जाएं मगर आज तो कालू हलवाई की मिठाई लेकर ही जाएंगे।
अब अगर सुप्रीम कोर्ट के सामने राम के वंशज तय करने का मामला आ गया तो समझिए रामजन्म भूमि मामला तो गया हजार साल गड्ढे में। वैसे रामजी के वंशवाला मामला भी बहुत सीरियस टर्न ले रहा है। रामजन्मभूमि मामले में तो सिर्फ दो पक्ष हैं, फिर भी मामला सुलट नहीं रहा है। राम के वंशवाले मामले में तो इतने पक्ष, उपपक्ष हैं कि सुप्रीम कोर्ट के जजों की सौ पीढ़ियां भी इसे सुलझा नहीं पाएंगी। लव और कुश के वंशज ही अभी सामने आए हैं।
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कल्पना करो कि अगर लक्ष्मण, भरत, शत्रुध्न के वंशज भी सामने आ गए, जो अभी नहीं आए हैं, तो रायता इतना फैल जाएगा कि किसी के समेटे नहीं सिमटेगा, क्योंकि आखिर रामजी भी तो दशरथ के ही पुत्र हैं न! राम का वंश महत्वपूर्ण तो दशरथ का क्यों नहीं? और जब राम के वंशज हैं तो बाकी तीन भाइयों के भी वंशज भी तो कहीं होंगे। ऐसा तो हो नहीं सकता कि वे तो मिट गए, सिर्फ राम के वंशज बच गए! एक पेंच यह भी खड़ा हो रहा है कि राम के काम तो वानर आए थे न, तो उनके असली वंशज तो वे हुए। तो लफड़ा दर लफड़ा, दर लफड़ा है।
तो खैर मारो गोली फिलहाल रामजन्मभूमि मामले को, और बाकी तीन भाइयों के वंशजों के मामले को भी। अपन फिर लौटते हैं राम वंशज प्रसंग पर। राम मान लो अगर थे तो जरूरी नहीं कि उनके वंशज आज भी भूतपूर्व राजा ही होंं! जब मुगलों के कई वंशज आज दर-दर ठोकर खा रहे हैं तो ऐसी दुर्घटना राम न करे मगर उनके वंशजों के साथ भी हो गई हो तो क्या कह सकते हैं, क्योंकि घटनाएं होती हैं तो दुर्घटनाएँ भी घटती हैं! और कोई गारंटी तो ले नहीं सकता कि राम के वंशजों के साथ घटनाएं ही हुई होंगी! वंशज भले भगवान के हों मगर रहते तो धरती पर हैं न!
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चलो एक मिनट के लिए असंभव को भी संभव मान लिया कि रामजी के वंशज भी राजा से कम नहीं हो सकते। अब समस्या यह है कि जयपुर के भूतपूर्व राजघराने की दीया कुमारी के बाद मेवाड़ का भी पूर्व राजघराना इस रामवंश युद्ध में कूद पड़ा है। दोनों के पास पूर्व राजघराने की वंशावलियों के प्रमाण हैं। एक का दावा है वे राम जी की 309वीं पीढ़ी के हैं, दूसरे का दावा 76वीं पीढ़ी का है।बढ़गुर्जर राजपूत जाति के धर्मनिरपेक्ष कांग्रेसी नेता महेन्द्र सिंह भी अपने को राम का वंशज मानते हैं। करणी सेना भी कहती है, वह हमारे वंशज हैंं। और भी भिन्न-भिन्न कोटि के तमाम राजपूत दावेदार हैं।
ये तो दावे हुए राजपूतों के, हिंदी के एक विशुद्ध हिंदुवादी अखबार का दावा है कि मुस्लिम भी राम के वंशज हैं, जो कभी हिंदू हुआ करते थे। ब्राह्मणों का भी दावा है और अग्रवाल समाज का भी सप्रमाण दावा है कि उसके पुरोधा अग्रसेन महाराज राम के पुत्र कुश की 35 वीं पीढ़ी के थे। बस दलित और आदिवासी रह गए दौड़ में, वरना जाति की पेचीदगियां गृहयुद्ध के स्तर पर आ जात़ींं।
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और इन सब दावों पर स्मृति ग्रंथों और पुराणों का कथन इतना भारी है कि सारे दावे धरे रह जाते हैं।इन ग्रंथों के अनुसार राम सतयुग में पैदा हुए थे और यह चल रहा है कलियुग। हिसाब लगाने में सक्षम लोग बताते हैं कि इसके अनुसार राम जी पैदा हुए थे आज से तैंतालीस लाख बीस हजार साल पहले। तो 309वीं,76वीं और 35 वीं पीढ़ी के दावे ढेर।
इसलिए मैंने अपनी जान बचाने के लिए रामवंशी होने का दावा छोड़ दिया है वरना सच यह है कि सतयुग में पैदा हुए राम की एक लाखवीं पीढ़ी का मैं हूं। इसे मेरी उदारता, सज्जनता, दुर्बलता जो भी कहिए कि मैंने अपने को इस विवाद से स्वयं को खींच लिया है मगर लोग नहीं मानेंगे तो अपन भी इस विवाद में कूद पड़ेंगे। एक काम ये और सही!
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