विचार

विष्णु नागर का व्यंग्य: कहानी एक चाकू की

मैंने बचपन से अपने घर में चाकू देखा है। मेरे मां- बाप से तो कभी किसी ने नहीं पूछा कि तुम्हारे घर में यह या वह चाकू क्यों है? कहाँ से आया? पढ़ें विष्णु नागर का व्यंग्य।

प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर 

तेरे घर में ये चाकू क्यों है बे? कहां से आया?

फल -सब्जी वगैरह काटने के लिए लाए हैं और मैं ही बाजार से लाया था। आपके यहाँ भी ऐसा चाकू होगा।

जितना पूछा जाए,उतना जवाब दे। क्या तू और तेरा परिवार फल- सब्जी बिना काटे नहीं खा सकता?

नहीं खा सकता।

जब चाकू नहीं होता होगा,तब तो खाते होंगे?

मैंने बचपन से अपने घर में चाकू देखा है। मेरे माँ- बाप से तो कभी किसी ने नहीं पूछा कि तुम्हारे घर में यह या वह चाकू क्यों है? कहाँ से आया? कभी दूसरों को जरूरत पड़ जाती थी तो हम दे देते थे। हमें उनके चाकू की जरूरत पड़ती थी तो हम उनसे ले लेते थे। कभी किसी को किसी के यहाँ चाकू होने से दिक्कत नहीं हुई। जब चाकू नहीं होता होगा, तब नहीं होता होगा। मुझे नहीं मालूम कि कब नहीं होता था और तब लोग क्या किया करते थे।

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तेरे बाप- दादा के बाप -दादा के बाप- दादा के समय तो नहीं रहा होगा।

तब शायद आपके पूर्वजों के यहाँ भी नहीं रहा होगा।

फिर बकवास! इन्क्वायरी मैं तेरी करने आया हूं या तू मेरी करने आया है? जवाब दे कि जब वे बिना चाकू के फल-सब्जी खा सकते थे, तो तू क्यों नहीं खा सकता?

हम नहीं खा सकते ।

क्यों नहीं खा सकता, मैं यही तो पूछ रहा हूँ बे?

बस कहा न, नहीं खा सकता।

उनसे पूछा कभी कि वे तब कैसे खाते थे? तू भी उसी प्रकार खाया कर।

 जब ऊपर जाऊंगा तो पूछ लूंगा और फिर आकर आपको बता दूंगा।

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पक्का है? आकर जवाब देगा?

हाँ एकदम पक्का है। 101 प्रतिशत।

तो अभी पूछ ले। देर क्यों करता है?

क्या, अभी से ऊपर चला जाऊँ?

हाँ-हाँ चला जा मगर जवाब देने वापस आना ।

और मान लो, नहीं आ सका तो? उन्होंने नहीं आने दिया तो?

अरे पहले जाकर तो देख। आने की कोशिश करना। नहीं आ सका तो हम तेरी गुमशुदगी की रिपोर्ट डाल देंगे।

 मगर जाऊँ कैसे?

कैसे-जाना है,यह तू जान। इसका पूरा अधिकार कानून तुझे देता है।

इतना अधिकार मुझे है?

हाँ आज तक तो है। कल की नहीं कह सकता। अगर आज तू गया और कोई आपत्ति आई तो मैं संभाल लूंगा। बेफिक्र होकर जा।

तो क्या करूँ, आत्महत्या कर लूँ?

मैंने कहा न, यह मुझसे मत पूछ। यह तेरा निर्णय है मगर एक बात सोच ले कि बच गया तो सजा होगी। यह मत कहना कि मैंने तुझे आत्महत्या के लिए प्रेरित किया था। वैसे यह भी कहते हैं कि आत्महत्या करना कायरता होती है।

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मैं कायर ही तो हूं कि हर घर में पाए जाने वाले चाकू पर आपने मुझ पर इतने सारे फालतू सवाल दागे और मैंने उनके जवाब दिए। अगर तू कायर है तो हमें कोई प्राब्लम नहीं मगर कायर ही बने रहना वरना तेरा ये चाकू तेरे ही खिलाफ काम आएगा। इसे हम जब्त कर रहे हैं और खबरदार जो दूसरा चाकू खरीद कर लाया तो! हमें सब खबर रहती है। हमारी सरकार फल और सब्जी के खिलाफ चाकू से की गई हिंसा के विरुद्ध है। नागरिकों को अब बिना चाकू के जीना सीखना होगा। बंदूक -पिस्तौल की बात अलग है। इनको आज से लाइसेंस मुक्त कर दिया गया है। तू चाहे तो बंदूक -पिस्तौल से फल- सब्जी काटना सीख ले। सीखने पर आज तक कोई पाबंदी नहीं है। कल से उसकी भी कोई गारंटी नहीं।

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