मोदी-अडानी एक हैं तो मोदी जी भी सेफ हैं और अडानी जी भी सेफ हैं। मोदी और अडानी सेफ हैं तो अडानी को कर्ज पर कर्ज देनेवाली बैंकें भी सेफ हैं। अडानी की कंपनी में पैसा लगानेवाली, तमाम इधर-उधर के धंधों में लिप्त सेबी प्रमुख माधवी पुरी बुच भी सेफ हैं। महाराष्ट्र की महायुति सरकार पहले भी सेफ थी। अब अडानी के सहयोग तथा हस्तक्षेप से और भी सेफ है।
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ये बंट जाते तो इनके मुनाफे कट जाते। अडानी जी का कटता तो मोदी जी का कद भी कटता और इन दोनों का नुक़सान होता तो माधवी पुरी बुच भी नहीं बचतीं। ये एक हैं तो सेफ हैं। और सेफ हैं तो एक हैं।
इस बार कुंभ मेले में दुनिया के नक्शे से पाकिस्तान का नाम मिटाने का नारा देनेवाला नफरती रामभद्राचार्य जी भी सेफ हैं। देश के गद्दारों को गोली मारो सालों को कहनेवाला दुर्जन भी सेफ हैं। सांपों का फन कुचल डालो कहनेवाले सेफ हैं। इन आक्रमणकारियों को जला डालो के नारे लगानेवाले सेफ हैं। घुसपैठियों के नाम पर राजनीति करनेवाले नफरतिया बिग्रेड और उसके चरम परम नेता भी सेफ हैं। गोदी मीडिया सेफ है, बीजेपी की आईटी सेल सेफ है। कांग्रेस का वध करने का आह्वान करनेवाले मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव सेफ हैं। दुनिया में प्रेस की स्वतंत्रता में भारत का नीचे खिसकाते रहना सेफ है। जनता अनसेफ है तो क्या? जनता को तो अनसेफ होना ही नहीं चाहिए।
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मोदी-योगी एक हैं तो बुलडोजर चलाना अभी भी काफी सेफ है। थूक जिहाद सेफ है। पेशाब जिहाद, लव जिहाद, ट्रेन जिहाद सेफ है। पापुलेशन जिहाद सेफ है। वोट जिहाद सेफ है। माइनर जिहाद सेफ है। और भी जितने जिहाद हैं और होनेवाले हैं, सब के सब सेफ हैं। फर्जी मुठभेड़ है। गुंडागर्दी सेफ है। मस्जिद के सामने डीजे बजाकर जयश्री राम के नारे लगाना सेफ है, मस्जिद पर भगवा फहराना सेफ है। और मोदी का यूपी आना- जाना सेफ है। नुपूर शर्मा सेफ है। सारे ढोंगी, सारे पाखंडी सेफ हैं। सारे राम-रहीम सेफ हैं। गोबर-गोमूत्र का सेवन सेफ है।
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एक हैं तो सेफ है। बंट जाते तो कट जाते! बंट जाते तो मोदी जी के पर कट जाते तो योगी जी के पंख भी कट जाते। लोकसभा चुनावों ने योगी के पर तो काट दिए थे मगर फिर मोदी जी को समझ में आया कि बंटेंगे तो कटेंगे। एक हैं तो सेफ है। सेफ है तो सारा का सारा फेक सेफ है। फेंका- फेंकी सेफ है।
एक हैं तो सारे सेठ सेफ हैं। जिनके स्विस बैंक एकाउंट हैं, वे सेफ हैं। भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी, चुनावी चंदा लेकर दोषियों को बचानेवाली मोदी सरकार सेफ है।
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मोदी-ट्रंप एक हैं तो ट्रंप का तो पता नहीं मगर मोदी जी सेफ हैं और मोदी जी सेफ हैं तो सिख उग्रवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या के प्रयास का मुद्दा अब विवादों से सेफ है।
वैसे जब तक कुर्सी सेफ है तो सबकुछ सेफ है। 2002 सेफ है। जय शाह सेफ हैं। ब्रजभूषण शरण सिंह यौन उत्पीड़न के मामले में सेफ हैं। बीजेपी के आपराधिक मामलों में फंसे 39 फीसदी सांसद और मंत्री भी सेफ हैं। लारेंस बिश्नोई और भाटी गैंग सेफ है।
और जब अदालत -सरकार एक है तो दोनों के दोनों सेफ हैं। बंट जाते तो कट जाते।
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बीजेपी और आरएसएस एक हैं तो आर एस एस भी सेफ है, मोदी भी सेफ है। चुनाव में बंटे तो मोदी जी का कद कटा। अब मोदी जी सेफ हैं तो संघ भी सेफ है। मोहन भागवत सबसे अधिक सेफ हैं।
मोदी जी सेफ हैं तो एन.बीरेन सिंह भी सेफ हैं और दोनों सेफ हैं तो मणिपुर में डेढ़ साल से चल रही हिंसा भी सेफ है। सैकड़ों लोगों का मारा जाना और घायल होने पर भी सरकार सेफ है। घरों का जलना-जलाना सेफ है। मैत्रेई और कुकी की दुश्मनी सेफ है। बीरेंद्र सिंह और मोदी एक हैं तो दोनों की गद्दी सेफ है। ये बंट जाते तो मणिपुर सेफ हो जाता और इनका पत्ता कट जाता। इसलिए एक हैं तो सेफ हैं।
क्या एक है और क्या सेफ है? गरीब की घटती आमदनी सेफ है। महंगाई सेफ है। महंगा पेट्रोल सेफ है। बेरोजगारी सेफ है। नफ़रत सेफ है, तिरंगा खतरे में है, संविधान खतरे में है तो क्या हुआ, केसरिया तो सेफ है, नागपुर तो सेफ है!
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