कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत से लगे सदमे से महामना अभी तक पूरी तरह उबर नहीं पाए हैं। तीन दिन तक तो महामना टीवी स्क्रीन से गायब रहे। पहले ये टीवी पर दिखे और बोले बिना एक दिन क्या, एक मिनट भी नहीं रहते थे। भक्तों और एंकरों की आंखें इनके दर्शनों के लिए तरस गई थीं, तब जाकर ये तीन दिन बाद आधा पर्दा खोलकर, रोजगार मेले के नाम पर वीडियो दर्शन देने हेतु प्रकट हुए। फिर गोता लगा गए। फिर वंदे भारत ट्रेन आदि के बहाने एक-दो दिन बाद प्रकट भए। फिर जनता की नज़रों से और अधिक दूर तीन देशों की यात्रा पर चले गए। चुनाव परिणाम के बाद एक सभा तक संबोधित नहीं की, जबकि विपक्ष लगा हुआ है। रोज नई-नई रणनीति बना रहा है। कोई रूठता है क्या अपनी जनता से इस तरह! वैसे भी अभी झोला लेकर चल देने में लगभग एक साल बाकी है। अभी से उदासीन मत हों प्रभो वरना जनता अभी से आपको भूल जाएगी! वह बेहद निर्मम होती है। भूलने में देर नहीं करती, चाहे कितनी ही वंदे भारत ट्रेन को कितनी ही बार झंडी दिखाते रहो! जितना उस पर कुछ एहसान लादते दिखोगे, उतनी ही वह एहसानफरामोशी पर उतर आएगी!
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लगता है कि दरअसल कर्नाटक से ज्यादा महामना को उत्तर प्रदेश से झटका लगा है। इस बार बुलडोजर बाबा ने नगर निकायों के चुनाव अपने दम पर जीत कर दिखा दिया है। अपने झंडे गाड़ दिए हैं। यह महामना के लिए और भी बड़ा सदमा है। ये बाबा अब आंतरिक प्रतिद्वंद्वी की तरह उभर रहा है। वह महामना की 'घर-वापसी' का संदेश देने का प्रयत्न कर रहा है। उत्तर प्रदेश हाथ से गया तो समझो, सबकुछ गया। उबरो फकीर, उबरो, इस दुर्घटना से-उबरो। मां की मौत के दुख से तो आप ऐसे उबर गए थे, जैसे कुछ हुआ ही नहीं मगर दोहरी हार के ग़म से अभी तक उबरे नहीं हो। विदेश में कितने ही झंडे गाड़ दो,, कितनी ही प्रवासी भारतीयों में आत्मप्रशंसा कर लो, वोटर इसे सिरियसली नहीं लेते!
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उबरो प्रभु, उबरो। रोजगार, विकास, शिलान्यास, भूमि-पूजन, लोकार्पण का खेला फिर से शुरू करो। विलंब मत करो। जिस भी राज्य में चुनाव होते हैं, आप वहां सबसे पहले ये धतकरम करते हो, फिर इस बार व्यर्थ का विलंब क्यों कर रहे हो? राजस्थान जाकर रुक गए। आप भूल गए आपको अभी बीस बार छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश भी जाना है। अंत में आपको जब समापन हिन्दू-मुसलमान, श्मशान-कब्रिस्तान, पिता जी-अब्बू जी से करना -करवाना है तो ये फिर देर क्यों? मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ के निवासी आपके श्रीमुख से विकास, रोजगार, शिलान्यास, लोकार्पण वगैरह की रटंत सुनने के लिए बेताब हैं। डबल इंजन के फायदे पुनः- पुनः - पुनः सुनना चाहते हैं। फिर अब लोकसभा चुनाव भी दूर नहीं हैं। जागो, महामना, जागो। विदेश मत भागो! विपक्ष के नेताओं के घर सघन छापेमारी का समय है। मुख्यमंत्रियों को डराने-धमकाने का समय है। मंत्रियों को जेल भेजना का समय है। एक-एक को बेईमान सिद्ध करने का काम सुचारू रूप से चलना चाहिए, उसमें और गति आना चाहिए। अभी फोकस इन तीन राज्यों पर रहना चाहिए। इधर-उधर मत करो, जितने अपने बलात्कारियों को बचा सकते हो, इस बीच बचा लो। इसमें पर्याप्त गति तब आएगी, जब विदेश जाने का मोह छोड़ दोगे। बहुत नाप चुके हो दुनिया, अब भारत को फिर से नापो वरना झोला लेकर चल देने का सपना कब पूरा हो जाए, पता नहीं! कोप भवन में रानियां बैठती हैं, राजा नहीं। यह नई रीत आरंभ मत करो।
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उधर देखो महामना, सामने कांग्रेस मैदान में तन कर खड़ी है। उधर कांग्रेस की जीत से बाकी विपक्षी दल भी उत्साहित हैं। सब तरफ उन्हें जीत के रंगीन नजारे नजर आ रहे हैं। जो विपक्षी दल कांग्रेस का चेहरा नहीं देखना नहीं चाहते थे, वे देखने को तैयार हैं। ऐसी स्थिति आपके अनुकूल नहीं। अर्जुन के सामने तो दुविधा थी। उसे तो उधर भी अपने भाई-बंधु, गुरू, नजर आ रहे थे,आपका मन तो दुविधा में कभी रही नहीं। आपने तो अपना किसी को माना नहीं, सिवाय अडानी- अंबानी के! तो उतरो युद्ध के मैदान में, ये सब आपके दुश्मन हैं,आपका कोई भाई -बंधु नहीं। उठाओ धनुष। लगाओ, सीबीआई,आईबी को इनके पीछे! फुर्ती दिखाओ।
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