सुनते हैं कि गौतम अडानी को अब यह अहसास होने लगा है कि हमारा ये गुजराती भाई, अब किसी काम का नहीं रहा। इसका वक्त जा चुका। अरे जिसे पालापोसा, आगे बढ़ाया, यहां तक पहुंचाया, वह संकट के समय साथ न निभाए तो फिर वह किस काम का? हमारी भद पिटे, खुली आंखों यह सब देखता-सुनता रहे! एक शब्द तक न कहे, मुंह न खोले!। बड़ा पहुंचा हुआ पुरुष बनने का ढोंग करे! यह बेकार है। विपक्ष कहे, मोदी-अडानी भाई-भाई और इसमें इतनी हिम्मत भी नहीं कि कहे, हां हम भाई- भाई हैं! तुम्हें इससे क्या समस्या है? तुम्हारे पेट में दर्द क्यों है? तुम तय करोगे कि मेरा भाई कौन हो? और हम भाई हैं तो किसी का क्या खाते हैं? जो खाते हैं, देश का खाते हैं, देश को खाते हैं। इसका हक मुझे देश के वोटरों ने दिया है। मुझे अधिकार दिया है कि इसमें से जितना चाहूं, जिसे दूं, जिसे लुटाऊं! इसमें गलत क्या है? यही राष्ट्रहित है, यही हिंदूहित है।
इसे संसद में कहना चाहिए था कि हम एक मां की संतान नहीं तो क्या हम सगे नहीं हो सकते? अडानी उम्र में मुझसे छोटा है मगर हैसियत में मुझसे बड़ा है, इसलिए मैं इसे अपना बड़ा भाई मानता हूं। बड़े भाई के आदेश को सिर पर रखता हूं। हिंदू परंपरा का पालन करता हूं। यह मेरा अभिभावक, मेरा संरक्षक,मेरा दाता है। यह जो कुछ है आज मेरे पास, सबकुछ इसका दिया है। यह न होता, तो मैं यहां न होता! मैं छप्पन इंची हूं तो यह सत्तर इंची है! इससे खूब डर के रहना!
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मगर मेरे कल के इस भाई में इतना साहस कहां! जो बात यह सीना तान कर कह सकता था, नहीं कही! इस तरह कहता तो मैं मानता कि हां ये असली मर्द है, असली भाई है। खुल कर इसे कहना चाहिए था कि इस रिश्ते के आगे संविधान क्या, कानून क्या और अदालत क्या! सब इसके आगे कुर्बान है। मैं,मेरा पद, सब। थोड़ा सा भावुक टर्न देता, मजा आ जाता!
अगर ये सच्चा ही भाई होता तो ये खुद सरकारी विज्ञापन देकर जनता को बताता कि भारत की सोच अडानी है। भारत की शान अडानी है मगर यह विज्ञापन मुझे खुद देना पड़ा! खर्च मुझे करना पड़ा। ये चाहता तो मेरे पक्ष में सरकारी विज्ञापनों की झड़ी लगा देता। एक तरफ अपनी, दूसरी ओर मेरी आदमकद फोटो लगवाता और लिखवाता, भाई हो तो, मोदी -अडानी जैसा। देश के दो सच्चे भाई - अडानी और मोदी। देश की दो शान, दो जान - मोदी और अडानी। जगद्गुरु देश की दो आन-बान और मान - मोदी और अडानी। जहां मोदी, वहां अडानी। जहां अडानी, वहां मोदी। एक को चोट लगती है, दूसरे को दर्द होता है। दूसरे को लगती है,पहले को दर्द होता है।
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एक जमाने में ' हिंदू -मुस्लिम- सिख- ईसाई,आपस में सब भाई भाई ' के सरकारी विज्ञापन छपते थे तो क्या हिंदू राष्ट्र में मोदी- अडानी भाई -भाई के विज्ञापन नहीं छप सकते थे? अरे नेता और उद्योगपति ही तो असली भाई - भाई होते हैं! बाकी जगत के सारे रिश्ते झूठे हैं। ऐसे कुछ विज्ञापन मेरा यह गुजराती भाई देता तो किसकी हिम्मत थी कि इसे रोकता? कौन इससे पूछता कि सरकारी पैसे से ऐसा विज्ञापन क्यों छपा और पूछता तो उससे कहता, क्या तेरी इच्छा अब हो रही है छापा डलवाने की, जेल जाने की! ईडी के सामने आठ दिन तक दस- दस घंटे पेश होने की? और जरूरत पड़ती तो मेरे लिए हिंदू -मुसलमान करवा देता।अपने लिए तो ये सबकुछ करवा लेता है, मेरे लिए इतना भी नहीं!
ये सोचता होगा कि ये मेरी मदद के बगैर यह चुनाव जीत सकता है? भूल जा, ये सब! अब समय आ गया है हम पूंजीपति खुद देश की बागडोर संभालें। देश नामक कंपनी को हम चलाएं। इतनी कंपनियां हैं, हमारी, एक और सही! अडानी-इंडिया इंटरप्राइजेज। अगर अंबानी तैयार हो गया तो इसे अडानी-अंबानी इंडिया इंटरप्राइजेज नाम दे देंगे! हमें अब कोई ताकत रोक नहीं सकती। न संघ, न खुद मोदी, न इसके भक्त। बिजनेस चलाते हैं तो राजनीति करना भी जानते हैं। झूठे सपने दिखाने के हम भी बहुत बड़े उस्ताद हैं। फर्जीपन के हम भी विश्वगुरू हैं। हिंडनबर्ग रिपोर्ट से जनता में हमारी विश्वसनीय बढ़ी है, घटी नहीं। यह न्यू इंडिया है, पुराना हिंदुस्तान नहीं। यहां प्रतिष्ठा इसी तरह के कारनामों से बढ़ती है।
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पहले हम सोचते थे कि ये हमारा अच्छा मैनेजर है। हमारे मुंह से बात बाद में निकलती है, यह हमारा काम पहले कर देता है। दुनिया कुछ भी कहे, कुछ भी सोचे, कुछ भी करे, यह हमारी सेवा निर्भय होकर करता है। कानून- कायदों को जूते की नोक पर रखता है पर पहली बार बड़ा संकट आया और यह दुबक कर कोने में जा बैठा! बच्चू अब तू वहीं बैठ। बहुत राज कर लिया,अब आराम कर।अब हमारा खेल देख,खेल के दांव देख और दर्शक दीर्घा से बजा,ताली!
अब हम बताते हैं कि कंपनी- राज कैसे चलाया जाता है। अब हम बैकसीट ड्राइविंग नहीं करेंगे, खुद देश चलाएंगे।ये भी तो देश की गाड़ी कहीं भी, किसी से टकरा देता था, हम भी टकराएंगे ,पैसे बनाएंगे। यही असली देशभक्ति है,यही हिंदुत्व है। हमें भी चुप कराना आता है।जनता को बरगलाना आता है। जो लोग मोदी- मोदी करते थे, उनसे अडानी- अडानी कहलवाना हमें भी आता है।जिस तरह यह ' विकास ' करता है, उससे ज्यादा चतुराई से हम करेंगे।यह सब विरोधियों को अपना व्यक्तिगत दुश्मन मानता है,हम असली बनिया हैं। हम मीठी- मीठी बातें करेंगे और सबको चूना लगाएंगे।हम चूना लगाएंगे तो, लोग यह नहीं कहेंगे, देखो,अब चूना लगाने अडानी आ गया।वे कहेंगे,भाई अडानी जी, इतने से चूने से क्या होता है, मज़ा नहीं आया। और लगाओ।हाथ मत रोको। कंजूसी मत दिखाओ।देश का चूना है ,देश के लोग हैं। मजे से चूना -सेवा करो। चूना कम पड़ जाए तो फर्जी कंपनी से आयात करो। चूना लगाओ, डॉलर कमाओ। हमें दस साल से चूना लगवाने की ऐसी आदत पड़ चुकी है कि चूना लगवाए बगैर अब आनंद नहीं आता। वोट चाहिए, तो चूना लगाओ।
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