उत्तर प्रदेश में चार चरणों का मतदान समाप्त और बीजेपी चारों खाने चित। जी हां, स्थिति इतनी गंभीर है कि स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चार दिनों तक काशी में रह कर पार्टी की हालत सुधारने की कोशिश करेंगे। लेकिन चिड़िया चुग गई खेत। प्रदेश में अब केवल तीन चरणों का मतदान बचा है और बीजेपी के हालात बदलते नहीं दिख रहे हैं। लेकिन बीजेपी के गढ़ उत्तर प्रदेश में यह राजनीतिक उलटफेर हुआ कैसे?
यह वही उत्तर प्रदेश है जो 2014 के लोकसभा चुनाव से 2017 के विधानसभा चुनाव और फिर 2019 के लोकसभा चुनाव तक मोदी पर फिदा था। हर चुनाव में बीजेपी को भर-भर कर वोट डाल रहा था। हद तो यह है कि 2016 की नोटबंदी की मार सहकर भी 2017 में केवल मोदी के आश्वासन पर प्रदेश वासियों ने बीजेपी को विधानसभा में भारी बहुमत से विजयी बनाया। पर आज योगी तो क्या, मोदी को भी सुनने को तैयार नहीं है।
प्रदेश में बीजेपी के खिलाफ एक तूफान चल रहा है। कहीं बीजेपी प्रत्याशी प्रचार नहीं कर पा रहे हैं, तो कहीं जनता का मन मोहने के लिए भगवा प्रत्याशी कान पकड़कर मंच पर उठक-बैठक कर रहे हैं। हर चरण के मतदान के बाद बीजेपी और पीछे होती नजर आ रही है। किसी को भले इस बात पर शक हो लेकिन मुझे तो अब यह साफ लग रहा है कि उत्तर प्रदेश बीजेपी के हाथों से गया।
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लेकिन क्यों! 2019 से 2022 के बीच केवल तीन वर्षों में ऐसा क्या हुआ कि स्वयं नरेंद्र मोदी उत्तर प्रदेश में खोटा सिक्का हो गए। इस बात को समझने के लिए कोई बड़ा ज्ञान नहीं चाहिए। मुख्य रूप से केवल एक कारण है जिसने मोदी एवं बीजेपी, दोनों का रहस्य खोल दिया। वह कारण यह है कि उत्तर प्रदेश में हिन्दुत्व राजनीति बुरीतरह नाकाम हो गई।
हिन्दुत्व धर्म की राजनीति है जिसके दो अंग हैं। इस राजनीति में नेता हिन्दू समाज के मन में यह भावना उत्पन्न करता है कि भारत एक हिन्दू राष्ट्र है और इस पर केवल हिन्दू समाज का ही अधिकार है लेकिन हिन्दू शत्रु मुसलमानों ने इस पर अपना वर्चस्व बना रखा है इसलिए जब तक उस शत्रु से नहीं निपटा जाएगा, तब तक हिन्दू प्रगति नहीं कर सकता है। एक बार जब यह भावना उत्पन्न हो जाती है, तो हिन्दू हृदय सम्राट मोदी जी उस शत्रु का वध कर भारत को रामराज्य में बदल देंगे।
इस राजनीति में धर्म का नशा ऐसा चढ़ता है कि मतदाता ‘मुस्लिम शत्रु’ के वध के इंतजार में अपनी हर समस्या को भूलकर मोदी-मोदी की रट लगाए रहता है और मोदीजी के नाम पर बीजेपी को अंधभक्ति से वोट करता रहता है, अर्थात इस राजनीति में वोटर धर्म के नशे में अपनी समस्याएं भूलकर बीजेपी को वोट देता रहता है।
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सन 2014 में जब से हिन्दू हृदय सम्राट नरेंद्र मोदी ने देश में इस नशे की राजनीति का अति सफलतापूर्वक चलन किया, तब से आज तक देश में ऐसा क्या परिवर्तन हुआ कि अब वह नशा हिरन हो गया। इसका मुख्य कारण देश की बिगड़ी आर्थिक स्थिति है। पिछले सात वर्षों में देश में केवल आर्थिक संकट ही नहीं उत्पन्न हुआ बल्कि देश कंगाली की कगार पर पहुंच गया।
आप स्वयं इस बात से अंदाजा लगाइए कि मोदी ने सरकारी खर्च के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया में रखी देश की संपत्ति में से हजारों करोड़ रुपये निकालकर देश का खर्चा-पानी चलाया। ऐसा भारत के इतिहास में पहली बार हुआ। फिर जब उस पैसे से भी काम नहीं चला, तो सरकार ने एयर इंडिया एवं एलआईसी-जैसी देश की संपत्ति को नीलामी पर चढ़ा दिया। इतना ही नहीं, नोटबंदी एवं कोविड महामारी से उत्पन्न आर्थिक संकट इतना गहरा हो गया कि देश भुखमरी की कगार पर पहुंच गया और देश में बेरोजगारी का सैलाब फैल गया। देश में करोड़ों धंधे बंद पड़े हैं। आम आदमी के लिए दो वक्त की रोटी जुटा पाना कठिन हो गया है।
अभी पिछले सप्ताह ‘हंगर वाच’ के एक सर्वे के अनुसार, पिछले दो वर्षों में देश की 66 प्रतिशत निचले गरीब वर्ग की आमदनी घट गई। इनमें से 60 प्रतिशत गरीबों की आमदनी कोविड महामारी के दौरान आधी हो गई। स्पष्ट है कि इस वर्ग के लिए इस समय दो वक्त की रोटी कठिन हो चुकी है। इस पर से बेरोजगारी की मार ने उत्तर प्रदेश के युवा को विचलित कर दिया है। स्थिति यह है कि पढ़ा- लिखा नौजवान पेट की आग बुझाने को सड़क पर खोंचे लगाकर पैसा कमाने की होड़ में है।
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आर्थिक संकट की इस मार से हिन्दू समाज का हिन्दुत्व नशा हिरन हो गया और उसको यह समझ में आने लगा कि उसका शत्रु मुसलमान नहीं बल्कि बीजेपी है। तभी तो हिजाब जैसा उत्तेजक मुद्दा भी उत्तर प्रदेश के हिन्दू वोटर की आंखें नहीं मूंद सका।
उत्तर प्रदेश के इस चुनाव में पहले से अंतर यह है कि इस बार प्रदेश का हिन्दू समाज हिन्दुत्व के नशे में नहीं बल्कि पेट की आग से उत्पन्न बुद्धि से सोच रहा है। अब उसको यह साफ नजर आ रहा है कि मुसलमान नहीं, उसके शत्रु तो स्वयं मोदी-योगी हैं जिन्होंने उसको कंगाल बना दिया। अब गरीब पिछड़ी जातियों को यह दिख रहा है कि उनसे तो सत्ता में भागीदारी छीन ली गई। किसान साफ समझ रहा है कि नए कानून बनाकर सरकार उसकी जमीन छीनकर अंबानी- अडानी को सौंपना चाहती है।
नौजवान को यह साफ समझ में आ रहा है कि वह किसी मुसलमान के कारण नहीं बल्कि निकम्मी सरकार के कारण बेरोजगार है। उधर, मुस्लिम वर्ग सरकार के आतंक से परेशान है और एकजुट होकर सरकार को हराने के लिए वोट डाल रहा है। इस समय उत्तर प्रदेश में एक अजीब स्थिति है जिससे सरकार के खिलाफ एक नई हिन्दू-मुस्लिम एकजुटता उत्पन्न हो गई है जो बीजेपी के लिए घातक सिद्ध हो रही है। और यह स्थिति अगले तीन चरणों में बदलने नहीं जा रही है। इसलिए उत्तर प्रदेश बीजेपी के हाथों से गया ही समझिए।
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