भारतीय जनता पार्टी और उसके नेता अक्सर ऐसे बयान दे देते हैं, जिस पर पूरे देश में नई बहस शुरू हो जाती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी ऐसे बयान देने में पीछे नहीं हैं। इस मामले में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ काफी आगे हैं। हाल ही मे उन्होंने एक नया बयान देते हुए कहा कि 'सनातन धर्म भारत का राष्ट्रीय धर्म है...'। उनके इस बयान ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है।
यहां याद दिला दें कि भारत का एक देश के तौर पर कोई भी आधिकारिक धर्म या पन्थ नहीं है। भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, जहां भारत का संविधान सभी नागरिकों को अपनी पसंद के किसी भी धर्म का पालन करने, उपदेश देने और प्रचार करने का अधिकार देता हैै। ऐसे में सवाल यह है कि आखिर सनातन धर्म भारत का राष्ट्रीय धर्म कैसे हो सकता है?
राजस्थान के जालोर में उत्तर प्रदेश के सीएम योगी ने कहा, “हमारा सनातन धर्म भारत का राष्ट्रीय धर्म है। हमारा देश सुरक्षित हो, हमारे महान बिंदुओं की पुनर्स्थापना हो, किसी कालखंड में अगर हमारे धर्मस्थलों को अपवित्र किया गया है तो उनकी पुनर्स्थापना का एक अभियान चले।”
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42वें संविधान संशोधन 1976 द्वारा भारतीय संविधान की प्रस्तावना में संशोधन करके धर्म निरपेक्ष शब्द अंकित करके भारत को स्पष्ट रूप से धर्म-निरपेक्ष देश घोषित किया गया। संविधान में कई ऐसे अनुच्छेद मौजूद हैं, जिनके आधार पर भारत को एक धर्मनिरपेक्ष देश कहा जाता है। अनुच्छेद 25 के अनुसार, भारत के सभी नागरिकों को किसी भी धर्म को मानने की आजादी है।
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संविधान द्वारा नागरिकों को यह विश्वास दिलाया गया है कि उनके साथ धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जायेगा।
संविधान में भारत का कोई धर्म घोषित नहीं किया गया है और न ही किसी खास धर्म का समर्थन किया गया है।
अनुच्छेद 14 के अनुसार भारत में सभी व्यक्ति कानून की दृष्टि से समान होंगे और धर्म, जाति अथवा लिंग के आधार पर उनके साथ कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा।
अनुच्छेद 15 के अनुसार, धर्म, जाति, नस्ल, लिंग और जन्म-स्थान के आधार पर भेदभाव पर पाबंदी है।
अनुच्छेद 25 में हर व्यक्ति को अपने धार्मिक विश्वास और सिद्धान्तों का प्रसार करने का अधिकार दिया गया है।
अनुच्छेद 26 धार्मिक संस्थाओं की स्थापना का अधिकार देता है।
अनुच्छेद 27 के अनुसार, नागरिकों को किसी विशिष्ट धर्म या धार्मिक संस्था की स्थापना या पोषण के बदले में कर देने के लिये बाध्य नहीं किया जाएगा।
अनुच्छेद 28 के द्वारा सरकारी शिक्षण संस्थाओं में किसी प्रकार की धार्मिक शिक्षा नहीं दिए जाने का प्रावधान है।
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संविधान द्वारा प्रदान किए गए इन अधिकारों से यह साफ होता है कि भारत का कोई भी राष्ट्रीय धर्म नहीं है। ऐसे में सवाल यह है कि आखिर सीएम योगी के मुताबिक, सनातन धर्म भारत का राष्ट्रीय धर्म कैसे हो सकता है? आखिर सीएम योगी ने यह बयान क्यों दिया? क्या एक खास धर्म से जुड़े लोगों का वोट हासिल करने के लिए इस तरह के बयान दिए जा रहे हैं और संविधान के मूल्यों को दरकिनार किया जा रहा है?
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