विचार

दिल्ली में तीन बच्चियों की भूख से मौत: भारत जरूर महान है, लेकिन हम भारतवासी कतई महान नहीं हैं

दिल्ली बदल गई है। यह अब महानगर है। लेकिन यहां अब इंसान नहीं, छोटे दिल और दिमाग के लोग रहते हैं। इस नगरी में एक नहीं, दो-दो सरकारें चलती हैं। केंद्र सरकार हर समय गरीबी के खिलाफ अभियान चलाने में व्यस्त रहती है। लेकिन गरीबी नहीं मिटती, हां गरीब जरूर मिट जाता है।

फोटो: जहीब अजमल
फोटो: जहीब अजमल मंडावली में भूख से जान गंवाने वाली तीनों बच्चियां 3 दिन पहले तक इसी घर में रहती थीं, जहां से उन्हें निकाल दिया गया था 

आज एक भारतीय होने के नाते मेरा सिर शर्म से झुका है। यह शर्म इसलिए नहीं कि भारत में कोई दिक्कत है। महान सभ्यता का यह रंगारंग देश बिना संदेह महान है। गौतम, राम, कृष्ण, चिश्ती, नानक, मीरा, कबीर, खुसरो, गांधी, नेहरू जैसे अनगिनत महापुरुषों का यह देश महान नहीं तो और क्या होगा! लेकिन हम भारतवासियों में महानता के लक्षण नहीं दिखाई पड़ते। अगर हम सचमुच महान होते तो देश की राजधानी के बीचो-बीच इस महान देश की तीन बेटियां भूख से तड़प कर मर नहीं जातीं।

धिक्कार है हम पर। मैं खुद पर से शर्मिंदा हूं। इस राजधानी की चमक-दमक और भाग-दौड़ में हम सब ऐसे लुप्त हो चुके हैं कि हमें अब यह भी एहसास नहीं होता कि हमारे पड़ोस में कोई भूख से मर रहा है। आज से लगभग चार दशक पहले मुंबई महानगरी में विक्टोरिया टर्मिनल के पास मैंने एक बीमार भिखारी को मरते देखा था। मुझे दो-तीन दिन तक ठीक से नींद नहीं आ पायी थी। लेकिन उस समय मेरे मन में यही ख्याल आया कि हमारे शहर में कम से कम यह नहीं होता है। हम सोचते थे कि दिल्ली में लोग भूखे सो तो सकते हैं, लेकिन भूख से मर नहीं सकते हैं।

लेकिन नहीं, अब यह झूठ साबित हो चुका है। दिल्ली बदल गई है। यह अब महानगर है। लेकिन यहां अब इंसान नहीं, छोटे दिल और दिमाग के लोग रहते हैं। इस नगरी में एक नहीं, दो-दो सरकारें चलती हैं। केंद्र सरकार हर समय गरीबी के खिलाफ अभियान चलाने में व्यस्त रहती है। लेकिन गरीबी नहीं मिटती, हां गरीब जरूर मिट जाता है। मंडावली जहां अभी तीन बच्चियों ने भूख से दम तोड़ा, वह दिल्ली के उपमुख्यमंत्री का चुनाव क्षेत्र है। सिसोदिया जी जब चलते हैं तो उनके साथ एक काफिला चलता है। उनकी देख-रेख पर प्रतिदिन हजारों का खर्च आता है। लेकिन अगर उनके क्षेत्र में कोई भूख से तड़प रहा हो तो उसको खाना देने का सरकार के पास कोई प्रावधान नहीं है।

Published: undefined

कैसी विडंबना है। बच्चियां मर गईं। इलाके के पार्षद से लेकर मंत्री-संतरी तक किसी को पता भी नहीं चला। पर अब उसी गरीब के घर के बाहर राजनेताओं की लाइन लगी है। वह गरीब बाप जिसका रिक्शा खो जाने के बाद वह अपने बच्चों को खाना नहीं खिला सका, अब मन ही मन व्याकुल होगा। अगर एक दिन पहले यही लोग उसके द्वार आ जाते तो आज ये दुखों का पहाड़ उस पर नहीं टूटा होता।

आज से कई दशक पहले प्रेमचंद ने ‘कफन’ कहानी लिखी थी। उस कहानी में नायक की पत्नी ऐसे ही भूख से मर जाती है। फिर वह कफन के लिए किये चंदे के पैसों से शराब पीकर अपना दुख मिटा लेता है। दिल्ली में भूख से मरी बच्चियों का बाप प्रेमचंद की उसी कहानी के मुख्य पात्र का एक जीता-जागता नमूना है। ऐसा कहा जा रहा है कि वह शराबी है। उसका रिक्शा चोरी हो चुका है। वह न जाने कब से बच्चों को खाना नहीं खिला पा रहा है। अगर वह इस अवस्था में शराब से अपना गम मिटा रहा है तो शायद यह उसकी गलती नहीं। यह उस समाज की गलती है जो पड़ोस में भूख से मरते बच्चों को दो रोटी नहीं खिला सकते।

भारत जरूर महान है, लेकिन हम भारतवासी महान नहीं हो सकते!

Published: undefined

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia

Published: undefined

  • छत्तीसगढ़: मेहनत हमने की और पीठ ये थपथपा रहे हैं, पूर्व सीएम भूपेश बघेल का सरकार पर निशाना

  • ,
  • महाकुम्भ में टेंट में हीटर, ब्लोवर और इमर्सन रॉड के उपयोग पर लगा पूर्ण प्रतिबंध, सुरक्षित बनाने के लिए फैसला

  • ,
  • बड़ी खबर LIVE: राहुल गांधी ने मोदी-अडानी संबंध पर फिर हमला किया, कहा- यह भ्रष्टाचार का बेहद खतरनाक खेल

  • ,
  • विधानसभा चुनाव के नतीजों से पहले कांग्रेस ने महाराष्ट्र और झारखंड में नियुक्त किए पर्यवेक्षक, किसको मिली जिम्मेदारी?

  • ,
  • दुनियाः लेबनान में इजरायली हवाई हमलों में 47 की मौत, 22 घायल और ट्रंप ने पाम बॉन्डी को अटॉर्नी जनरल नामित किया