विचार

विष्णु नागर का व्यंग्यः लोगों की जेब काटने का समय और सलीका होता है, जिसे मोदी जी से बेहतर कोई नहीं जानता!

मोदी जी सबका साथ-सबका विकास में विश्वास करते हैं। खुदा न खास्ता मोदी जी की पार्टी पश्चिम बंगाल का चुनाव जीत गई तो फिर विकास की ऐसी गंगा, यमुना, सरस्वती बहेगी कि अगर इसकी बाढ़ में हमारे शरीर के कपड़े बच जाएं तो समझना कि हां हमारा वास्तविक विकास हुआ है!

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया 

भक्तों, जरूर कोई मोदी विरोधी षड़यंत्रकारी वित्त मंत्रालय में घुस चुका है, जिसने मोदी जी का बना-बनाया खेल बिगाड़ दिया। उस उजबक ने हमारी छोटी बचत पर ब्याज तेजी से घटाने का तोहफा हमें एक महीने पहले ही दे दिया, जो पांचों राज्यों में मतदान खत्म होने के बाद देना था। जरा नहीं सोचा कि इससे मोदी जी का कितना राजनीतिक नुकसान हो सकता है। जो शख्स मोदी जी का काम बिगाड़ने की हिम्मत कर सकता है, उससे बड़ा आतंकवादी कौन होगा! दिया हुआ 'तोहफा'  मोदी जी को वापिस लेना पड़े, इससे बड़ी देश की और उनकी बेइज्जती और क्या हो सकती है! कुछ करो भक्तों, कुछ करो!

भक्तों तुम्हारी-हमारी जेब काटने से बड़ा तोहफा चुनाव के बाद मोदी जी हमें क्या दे सकते थे! उसमें उसने टेम्परेरिली भांजी मार दी। भक्तों, मतदाताओं की जेब काटने का एक समय होता है, एक सलीका होता है, जिसे मोदी जी से बेहतर कोई नहीं जानता। और वैसे भी मोदी जी को बड़ी से बड़ी मूर्खता करके भी उससे पीछे हटने की आदत है नहीं। वह तक्षशिला को भारत में ला चुके तो ला चुके, नाले की बदबू से गैस बना चुके तो बना चुके। कृषि पर तीन कानून बनवा चुके तो बनवा चुके।इनसे हटे, अब उनकी जूती!

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किसान कह-कहके, धरना दे-दे कर हार चुके मगर बंदा नहीं माना तो नहीं माना। इसे पद जाई पर (अडाणी-अंबानी को दिया) वचन न जाई जैसा  मामला बना दिया। धन्ना सेठों की नजर में अपनी उपयोगिता उन्होंने कुछ और बढ़ा ली। सच भी है कि जब धन्नासेठ अपने न्यूज चैनलों समेत साथ हों तो भाड़ में जाएं मतदाता और कूड़े में जाएं भक्त! ऐसे मोदी जी को पीछे हटना पड़ा भक्तों, तुम्हें जरा इस पर गुस्सा नहीं आया!

खैर मोदी जी, मोदी जी हैं। वह हार मानने वाले नहीं। 30 अप्रैल को अंतिम बार वोट पड़ जाएं, फिर देखना भक्तों, हम संग तुम्हारी जेब भी कट कर रहेगी। भक्तों और भक्तिनों, मोदी जी को तुम्हारी अटूट भक्ति के अलावा कुछ नहीं चाहिए। तुम्हारी (और हमारी भी) छोटी-मोटी बचत तो बिल्कुल नहीं। उन्हें हमारा छोटा-मोटा निवेश नहीं, विदेशी निवेश चाहिए। उन्हें डॉलर और यूरो चाहिए, यह सड़ा हुआ रुपया नहीं। उन्हें स्वावलंबी भारत बनाना है और स्वावलंबन डॉलर-यूरो से आता है। रुपये से तो कालाधन समाप्त होता है। है आज किसी धन्ना सेठ के पास एक पैसे का भी कालाधन! है बीजेपी के पास संघ की टोपी जैसा एक भी काला पैसा!

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मोदी जी सबका साथ-सबका विकास में विश्वास करते हैं। वे भक्तों और भक्तिनों, भक्तों और अभक्तों में 'विकास' के मामलों में भेदभाव नहीं करते, वह इस मामले में हिन्दू-मुसलमान नहीं करते। वह इन मामलों में इतने अधिक सेक्युलर हैं कि जवाहर लाल नेहरू भी उनके सामने कुछ नहीं। उनका सेक्युलरिज्म यह है कि हमारी बचत पर जितना ब्याज घटेगा, उतना (अडानियों-अंबानियों को छोड़कर) सबका विकास होगा। पेट्रोल-डीजल के भाव बढ़ाकर वह विकास के राजमार्ग पर हमें चला ही रहे हैं। आजकल वह महंगाई बढ़ा कर, अर्थव्यवस्था को गड्ढे में फेंक कर भी हमारा विकास कर रहे हैं!

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वरिष्ठ नागरिकों का विकास उन्होंने रेल किराए में छूट खत्म करके कर दिया, गरीबों का विकास भी रसोई गैस पर सबसिडी खत्म करके कर दिया। सरकारी बैंकों की हजारों शाखाएं बंद करके, उन तक गरीबों की पहुंच घटाकर भी वह यही काम कर रहे हैं। सारे सार्वजनिक उपक्रमों को बेचने का उनका उद्देश्य भी विकास करना है। नोटबंदी से भी तुम्हारा-हमारा बहुत विकास उन्होंने किया था।और खुदा न खास्ता मोदी जी की पार्टी यानी भक्तों की पार्टी पश्चिम बंगाल का चुनाव जीत गई तो  फिर विकास की ऐसी गंगा, यमुना ,सरस्वती बहेगी कि अगर इसकी बाढ़ में हमारे शरीर के कपड़े बच जाएं तो समझना कि हां हमारा वास्तविक विकास हुआ है!

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भक्तों और भक्तिनों, जब तक तुम हो, इस देश का ऐसा विकास करने से मोदी जी को समस्त ब्रह्मांड में कोई रोक नहीं सकता। देखो तीन करोड़ से अधिक लोग पिछले एक साल में मध्य वर्ग से गरीब वर्ग में आ गए, इनमें तुम या तुम्हारे भाईबंद भी जरूर रहे होंगे तो क्या तुम्हें इससे फर्क पड़ा! आज तुम से अधिक इस भारत में कौन जानता है कि 'विकास' के मामले में मोदीजी कोई समझौता नहीं करते और वे जानते हैं कि तुम्हें भी मोदी ब्रांड विकास ही पसंद है। दरअसल इन वर्षों में इतना 'विकास' हो इसलिए पाया है कि मोदी जी जो भी करें, तुम्हें अच्छा लगता है। पीछे से लात पड़े या छाती पर घूंसे, तुम्हें इससे सुकून नसीब होता है। तुम कहते हो और मोदी जी और!

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वैसे भी भक्ति का यह अटल नियम है कि जो अच्छा-बुरा करता है, भगवान करता है और मोदी जी तुम्हारे भगवान ठहरे। वे जो भी करते हैं, तुम्हें लगता है कि आज चाहे अच्छा न लगे तो भी उसे  उनका प्रसाद मान कर ग्रहण करना चाहिए। पिछले एक साल में दुनिया के सबसे अधिक गरीब भारत में बढ़े, क्योंकि भक्तों, तुम्हें भरोसा है कि इसमें भी देश का भला है।

भक्तों, तुम्हारे इन्हीं कारनामों के कारण यह देश तुम्हें हमेशा याद रखेगा। तुम्हारा नाम भारत के इतिहास में कोयलाक्षरों में लिखा जाएगा और तुम्हारी संतानें गर्व करेंगी कि हमारे पूर्वज का नाम जैसे भी हो, दर्ज तो है!

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