परसाई जी ने बहुत पहले कहा था कि तानाशाह इतना डरपोक होता है कि पांच गधे भी साथ-साथ खा रहे होंं तो उसे डर पैदा हो जाता है, हालांकि गधे अपनी बिरादरी वाले के विरुद्ध षड़यंत्र नहीं करते! (आगे की कहानी के सभी पात्र काल्पनिक हैं। इनका चरित्र-चित्रण किसी जीवित या मृत तानाशाह से मिलता-जुलता हो तो यह मात्र संयोग है।)
परसाई जी इक्कीसवीं सदी में होते तो शायद लिखते कि वह तो अपने महल में चींटियोंं को आता- आता देखकर भी डर जाता है। सोचता है कि इन्हें 'दुश्मनों' (विरोधियों) ने मेरी हत्या का षड़यंत्र रचने के लिए जासूसी करने भेजा है, वरना इतनी सारी चींटियों के एकसाथ लगातार आते-जाते रहने का सबब क्या हो सकता है? उसकी दृष्टि इतनी 'सूक्ष्म' है कि ये चींटियां क्या ला और क्या लेने जा रही हैं, यह नहीं देखता। ऐसा करना उसके षड़यंत्र-सिद्धांत के खिलाफ है!
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वह उन चींटियों के बिल पर ईडी, इनकम टैक्स, सीबीआई के छापे पड़वा देता है। उन पर तानाशाह के विरुद्ध हत्या के आपराधिक पड़यंत्र और राजद्रोह का केस करवा देता है। उनके घोंसले की छानबीन संभव नहीं तो उसे तुड़वा देता है। भागती चींटियों के पीछे पुलिस लगवा देता है। उधर घोंंसले से मिले सामान के साथ और सामान मिलाकर उसकी जब्ती को महत्वपूर्ण ‘सुराग’ मिलना बताता है। यह सिद्ध होना ही है कि इन्हें राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता फैलाकर तानाशाह की हत्या के इरादे से भेजा गया था!
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मगर चींटियों को पकड़ने आई पुलिस सोचती है कि इन्हें पकड़ें कैसे? जिन्हें हमने आज सुबह तक शक्कर खिलाई है, उन्हें पकड़ना तो वैसे भी बहुत बड़ा अधर्म है। तब इन सिपाहियों की गिरफ्तारी का आदेश पुलिस प्रमुख को देकर तानाशाह तय करता है कि यह काम अब स्पेशल ग्रुप करे। उसे भी इन्हीं कारणों से नाकामी मिलती है तो इसके सब सदस्य गिरफ्तार कर लिए जाते हैं। इनमें से हरेक को उन पेड़ों से बंधवा दिया जाता है, जिनमें लाल चींटियां हैं। इसके बाद पुलिस प्रमुख खुद पुलिस मंत्री के साथ तानाशाह को बुलाने जाता है। अपनी इस उपलब्धि का बखान करते हुए उसे एक-एक पेड़ के पास 30 इंच का सीना फुलाते हुए ले जाता है, मगर तानाशाह का सीना फूल कर 50 इंच का भी नहीं होता!
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तानाशाह इन सबकी यह दशा देखकर थोड़ा खुश तो होता है। फिर अपने साथ चल रही फोर्स को अचानक आदेश देता है कि “ऐ, इस पुलिस प्रमुख को भी पेड़ से बांधो। ये षड़यंत्र को खोल नहीं पाया। केवल पुलिस फोर्स को सजा देने से क्या होता है?” फिर पुलिस मंत्री से कहता है, “ऐ ये तेरी नाकामयाबी भी तो है।” फिर उसका जवाब सुनने से पहले आदेश देता है, “इसकी भी सजा यही है।हां, इसके कराहने की जब इंतेहा हो जाए तो इसे मेरे पास ले आना। मल्हम मैं लगाऊंगा।”
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इस बीच उन देशद्रोही षड़यंत्रकारियों की खोज चलती है, जिन्होंने तानाशाह के महल में चींटियां भिजवाई थीं। जो भी तानाशाह से शत-प्रतिशत सहमत नहीं थे, उसकी जय-जयकार में शामिल नहीं थे, सब षड़यंत्रकारी निकले। ऐसे लोग खेती करने वाले भी थे, खेत मजदूर भी, मजदूर और मजदूरों के हकों के लिए लड़ने वाली लड़की भी। पर्यावरणवादी लड़की भी। स्टैंडअप कॉमेडियन भी।पत्रकार, वकील, लेखक, अध्यापक सभी। दूसरे धर्मों के लोग भी। वे अस्सी साल के बूढ़े होंं या 21 साल की लड़की या पांच साल के बच्चे-बच्ची। मां के पेट में पलते बच्चे भी!
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सही है जिस देश में चींटियां तक षड़यंत्र की मजबूत कड़ी हों, वहां पेट में पलता बच्चा क्या कहर नहीं ढा सकता? अभिमन्यु भी तो आधी-अधूरी शस्त्र विद्या मां के पेट से सीख कर आया था। बाद में उसने सीखा नहीं तो मारा गया, मगर आजकल के बच्चे पेट से सीखने के बाद बाहर आकर भी कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल आदि से इतना सीख जाते हैं कि चार साल की उम्र में तानाशाह के विरुद्ध षड़यंत्र करने लगते हैं।
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तानाशाह पहले अट्ठारह घंटे जागता था, अब वह चौबीस घंटे जागने लगा, इसीलिए वह अपने विरुद्ध यानी देश के विरुद्ध सूक्ष्मतम षड़यंत्र को भी पकड़ लेता था। उसने गूगल से पता किया कि एक देश के बर्फीले समुद्र के तल में सबसे सूक्ष्मजीव पाए जाते हैं, वे भी उसके विरुद्ध षड्यंत्र में शामिल हैं।उसने वहां के मुखिया से अपने देश के गोताखोरों को उन सूक्ष्मजीवों की पकड़ कर उनको मौत की सजा देने की अनुमति मांगी। वहां के मुखिया ने मना कर दिया कि हमारे यहां षड़यंत्र नहीं होते, सरकार के फैसलों का विरोध होता है। समुद्र की तलहटी में पलने वाले जीव षड़यंत्री हो सकते हैं, यह विकृत दिमाग का तानाशाह ही सोच सकता है!
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तानाशाह ने अपने देश में वहां के मुखिया के खिलाफ वैश्विक संधि के उल्लंघन का आरोप लगाया।उसे समन भिजवाया कि वह पहले हमारी जांच एजेंसी के सामने पेश होंं, तब आगे का निर्णय होगा।ऐसा न करने पर हम उनकी गिरफ्तारी के लिए बाध्य होंगे। हमारा आदेश न मानने की स्थिति में हमारी जांच एजेंसी गुप्त रूप से आपके देश में घुसकर आपको पकड़ लाएगी। दुनिया भर में इस बात पर तानाशाह का मजाक बना, मगर वह हंसने वालों की परवाह करना छोड़ चुका था। उधर उसने अपने यहां की अदालत में भी वहां के मुखिया के खिलाफ केस दर्ज करवा दिया है। इसकी सुनवाई पूरी हो चुकी है। अदालत से अभी अपना निर्णय सुरक्षित रखने को कहा गया है!
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