विचार

खरी-खरी: तबलीगी जमात की गलती ने मुस्लिम समाज को बना दिया ‘कोरोना आतंकी’, भाजपाई मीडिया को मिला चिल्लाने का मौका

क्या मौलाना साद को इतनी समझ नहीं थी कि देश में चल रही राजनीतिक परिस्थितियों में तबलीगी जमात की जरा सी चूक मुस्लिम समाज के लिए फांसी का फंदा बन जाएगी। स्पष्ट है कि जब जमात की इस चूक की पकी-पकाई हांडी बीजेपी को मिल गई तो भला वह और उसका गोदी मीडिया उसको क्यों नहीं भुनाएंगे।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

इस बात में तनिक भी संदेह नहीं है कि मीडिया में निजामुद्दीन के तबलीगी जमात मरकज को लेकर जो हंगामा मचा हुआ है उससे इस्लाम विरोध की दुर्गंध आ रही है। यह भी स्पष्ट है कि समस्त मीडिया में तबलीगी जमात के संबंध में जो हो-हल्ला चल रहा है वह एक संगठित योजना और षडयंत्र के तहत हो रहा है। और इस षडयंत्र का ताना-बाना कहीं न कहीं बीजेपी से मिलता है। इस षडयंत्र का मकसद मुसलमान को हिंदू शत्रु की छवि देकर देश में बीजेपी की मुस्लिम घृणा की राजनीति के बीज बोना है।

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बीजेपी और खासकर पीएम मोदी की राजनीतिक चाल यही रहती है कि वह मुस्लिम समाज की किसी एक गलती को हिंदू दुश्मनी का रंग देकर बड़ी सफलतापूर्वक अपनी राजनीति चमका लेते हैं। मीडिया प्रचार के माध्यम से एक मुस्लिम घृणा और शत्रुता का बीज बो दिया जाता है। इस प्रचार के माध्यम से मुस्लिम समाज के प्रति संदेह और घृणा का भाव उत्पन्न हो जाता है। फिर चुनाव के समय नरेंद्र मोदी बाहर निकलते हैं और स्वयं ‘हिंदू अंगरक्षक’ का रूप धारण करके वह ‘हिंदू हृदय सम्राट’ बन जाते हैं। इस तरह से हिंदू समाज का एक बड़ा वर्ग बीजेपी सरकार की पांच सालों की सारी खामियों को भूलकर बीजेपी की झोली में वोट डाल देता है और इस प्रकार बीजेपी सत्ता में बनी रहती है। गोधरा स्टेशन पर घटित एक चूक को मुस्लिम नरसंहार का रूप देकर मोदी जी 12 वर्षों तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे। फिर अभी 2019 के लोकसभा चुनाव में बालाकोट कर पाकिस्तान विरोध पर फिर से प्रधानमंत्री बन बैठे।

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अब जरा बीजेपी की इस चुनावी रणनीति को तबलीगी जमात मरकज में घटित परिस्थिति के परिप्रेक्ष्य में देखिए। इस समय सारा विश्व कोरोना वायरस के प्रकोप से कांप रहा है। और यही दशा भारत की भी है। हर व्यक्ति के सिर पर कोरोना वायरस से मौत की तलवार लटक रही है। जब चीन, अमेरिका और यूरोपीय देशों में इस प्रकोप से एक दिन में हजारों लोग मर रहे हैं तो इस संबंध में भारत में बड़ी संख्या में लोग मर जाएं तो आश्चर्यजनक बात नहीं है। हर भारतीय के मन में यही भय घर कर चुका है। तब ही तो सारे देश में लॉकडाउन और सड़कों पर सन्नाटे का आलम है। सारे काम-धंधे ठप हैं। हर व्यक्ति कोरोना से बचने के लिए पनाह मांग रहा है। ऐसे भयंकर माहौल में यकायक यह समाचार गूंज उठता है कि दिल्ली के निजामुद्दीन में तबलीगी जमात की मस्जिद में तीन हजार लोग पकड़े गए जिनमें से सैकडों कोरोना पॉजिटिव हैं। फिर शहर-शहर से ये समाचार आने लगे कि आज यहां इतने जमाती, तो कल उतने जमाती लोग कोरोना से पीड़ित मिले। यह बात कितनी सच है इसमें बहुत संदेह है। लेकिन भाजपाई मीडिया तो भोंपू की तरह की यही चिल्ला रहा है। वह तो इस पूरी घटना को ‘कोरोना जिहाद’ की संज्ञा दे रहा है। जब पहले से लोग कोरोना के भय से कांप रहे हैं तो क्या इस माहौल में आम व्यक्ति के मन में मुसलमानों के प्रति शक उत्पन्न नहीं होगा। वह यह सोच सकता है कि जैसे ओसामा बिन लादेन और अबू बकर के आईएसआईएस संगठन के लोग जिहाद के नाम पर अपनी जान देकर अपने शत्रुओं की जान ले सकते हैं, वैसे ही कोरोना का शिकार होकर स्वयं जिहाद में अपनी जान देकर हजारों हिंदुओं की जान लेना चाहते हैं। तब ही तो तबलीगी जमात वाले कोरोना वायरस का शिकार होकर सारे भारत में फैल गए।

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मीडिया के हंगामे से यही भाव घर कर रहा है। शक तो जाने दीजिए, मीडिया में तबलीग के प्रति इस संबंध में जैसा झूठा प्रोपगेंडा चला उसे गांव-गांव में मुसलमानों के प्रति शक और घृणा का बीज जम गया। आम मुसलमान उसके लिए जिहादी बन गया है और समाज में मुस्लिम घृणा का भाव उत्पन्न हो गया है। मोदी और बीजेपी इस दुष्प्रचार को किसी न किसी रूप में तीन-चार साल चलाकर मुसलमानों के प्रति घृणा की एक फसल खड़ी कर देंगे। फिर चुनाव के समय नरेंद्र मोदी इस नफरत की फसल को अपने जुमलों और डायलॉग से वोट के रूप में बटोर लेंगे। जल्द ही हर दाड़ी वाला हिंदुओं को ओसामा और जिहादी नजर आएगा और वोट अंगरक्षक मोदी की झोली में। तबलीगी जमात मरकज के संबंध में जो भी मीडिया षडयंत्र है उसका लक्ष्य यही है। इस समय झूठ-सच जो भी मीडिया के माध्यम से हो सकता है वह प्रचारित किया जा रहा है। मीडिया की इस संबंध में जितनी भी निंदा हो वो कम है। और लिबरल दायरे में इसकी निंदा भी हो रही है। हम और आप मीडिया की जितनी भी निंदा करें पर तीर तो अब कमान से निकल चुका है। यह भी तय है कि मरकज से निकले इस तीर से नरेंद्र मोदी मुस्लिम समाज को ही निशाना बनाएंगे।

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अब जरा ठंडे दिमाग से यह विचार कीजिए कि इस संबंध में क्या तबलीगी जमात की कोई जिम्मेदारी नहीं थी। जमात की एक छोटी सी गलती ने पूरे मुस्लिम समाज को ‘कोरोना आतंकवादी’ का रूप दे दिया। आखिर जमात के अमीर मौलाना साद इस संबंध में क्या सोच रहे थे! सारी दुनिया में फरवरी से कोरोना वायरस से फैली महामारी का डंका बजना शुरू हो चुका था। चीन में हजारों लोगों की मौत हो चुकी थी। इस महामारी के कदम तेजी से भारत की ओर बढ़ रहे थे। दुनिया को यह पता चल चुका था कि कोरोना वायरस का मर्ज एक व्यक्ति के दूसरे व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता है। भले ही मोदी सरकार की ओर से इस समय में कोई पहल मार्च के शुरू तक नहीं हो रही थी लेकिन क्या मौलाना साद को यह नहीं समझ में आ रहा था कि ऐसे माहौल में हजारों का मजमा इकट्ठा करना खतरे से खाली नहीं है। उधर, मक्का में काबा बंद कर दिया गया। मस्जिद नबवी में जमात पर पाबंदी लग गई। फिर भी मौलाना ने हजारों लोग इकट्ठा कर लिए। फिर जब लॉकडाउन लागू हो गया तो तबलीगी जमात भागकर निजामुद्दीन पुलिस स्टेशन जाती है और फंसे हुए लोगों को बाहर निकालने की दरख्वास्त करती है। पुलिस शायद जानबूझकर मामला एसडीएम पर डाल देती है। और बस जब बीजेपी और सरकार को फंसे जमाती मिल जाते हैं तो वे अपनी स्क्रिप्ट के अनुसार मीडिया को पीछे लगा देते हैं। क्या मौलाना साद को इतनी समझ नहीं थी कि देश में चल रही राजनीतिक परिस्थितियों में तबलीगी जमात की जरा सी चूक सारे मुस्लिम समाज के लिए फांसी का फंदा बन जाएगी। स्पष्ट है कि जब जमात की इस चूक की पकी-पकाई हांडी बीजेपी को मिल गई तो भला वह और उसका गोदी मीडिया उसको क्यों नहीं भुनाएंगे।

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स्पष्ट है कि तब्लीगी जमात और उसके अमीर मौलाना साद ने अपनी एक छोटी सी गलती से संपूर्ण भारतीय मुस्लिम समाज को गंभीर संकट में डाल दिया। मौलाना साद से होने वाली गलती वैसी ही गलती है जैसी कि बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी ने मस्जिद बचाने के लिए जज्बाती तहरीक चलाकर की थी। उसके जवाब में विश्व हिंदू परिषद ने हिंदू प्रतिक्रिया उत्पन्न कर मस्जिद और मुस्लिम समाज-दोनों को धराशायी कर दिया था। इसी प्रकार मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने तीन तलाक के मामले में मुस्लिम समाज की नाक कटवाई थी। और अब तबलीगी जमात और उसके अमीर ने तो मुसलमान को जिहादी बना दिया। सत्य यह है कि मुस्लिम समाज का यह कट्टरपंथी धार्मिक नेतृत्व पिछले तीस-चालीस सालों में स्वयं मुस्लिम समाज को जितना नुकसान पहुंचा रहा है उतना नुकसान कोई और नहीं पहुंचा रहा है। पहले बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी, फिर पर्सनल लॉ बोर्ड और अब तबलीगी जमात वही कर रही है।

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जब तक मुस्लिम समाज को ऐसे नेतृत्व से छुटकारा नहीं मिलता तब तक मुस्लिम समाज का उद्धार नहीं होने वाला है। अब हम मीडिया को जितना भी बुरा-भला कहें कुछ होने वाला नहीं है। सांप तो निकल गया, अब लाठी पीटने से कछ नहीं होने वाला है।

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