मुझे वाकई समझ में नहीं आ रहा है कि मोदी जी, बीबीसी की डाक्यूमेंट्री 'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' से इतने डरे हुए, घबराए हुए क्यों हैं? क्यों इसे हर प्लेटफार्म से हटवा रहे हैं? इसमें ऐसा है क्या? वही तो है, जो 2002 में गुजरात में खुलेआम, डंके की चोट पर हुआ था और तब के मुख्यमंत्री जी ने होने दिया था। उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद, जो पूरे देश में हुआ, वह भी गाजेबाजे के साथ हुआ। इसमें खास कुछ नया तो है नहीं। जो हुआ, वही तो है। और यह 'द कश्मीर फाइल्स' जैसा अर्द्ध-विकृत सत्य भी नहीं है, जिसे उन्होंने स्वयं प्रमोट किया और करवाया था!
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और मोदी जी आप तो परले दर्जे के होशियार आदमी हैं। होशियारों के भी सरगना, मास्टर माइंड! आपको तो मालूम है कि एक बार जिन्न बोतल से बाहर आ जाता है तो फिर वापस नहीं जाता। 2002 तो वैसे भी ऐसा जिन्न है, जिसने कभी लौटने की सोचा तक नहीं। कितनी ही क्लीन चिटें मिल जाएं, वह जाता नहीं। एल आई सी का एक विज्ञापन है- 'जिंदगी के साथ भी, जिंदगी के बाद भी।' यह जिन्न उसी प्रजाति का है। यह दोनों स्थितियों में आपके साथ रहेगा! यह डाक्यूमेंट्री नहीं भी बनती तो भी वह आपके साथ छोड़ता। लोग किसी दिन शायद इस डाक्यूमेंट्री को भूल भी जाएं मगर 2002 को नहीं।
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और जहां तक इस डाक्यूमेंट्री का सवाल है तो आप होशियार हैं तो आपसे पच्चीस गुना ज्यादा आज के युवा होशियार हैं। वे अगर कुछ देखना- जानना चाहते हैं तो फिर उनके पास टैक्नोलॉजी के इतने चोर रास्ते हैं कि वे देख कर ही रहते हैं। युवा आज भी इसे देख रहे हैं। जेएनयू , दिल्ली विश्वविद्यालय, अंबेडकर विश्वविद्यालय, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज और जामिया मिल्लिया में पुलिसिया कार्रवाई के बावजूद देख रहे हैं। हैदराबाद विश्वविद्यालय में देख रहे हैं और पूरे केरल में तो बड़ी-बड़ी स्क्रीन पर देख रहे हैं। घरों में देख रहे हैं, होस्टलों में देख रहे हैं। खुलेआम देख रहे हैं, छुप कर देख रहे हैं! यहां तक कि भक्त भी देख रहे हैं। उत्सुकता तो उनमें भी जाग गई है कि मरी, इस डाक्यूमेंट्री में ऐसा है क्या,जो हमारे देवता थरथर कांप रहे हैं?
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और इसमें वही तो है, जो सब पहले से जानते हैं। जो अखबारों में आ चुका है, वीडियो में दर्ज है, जो टीवी चैनलों पर दिखाया जा चुका है, दस्तावेजों में अंकित है। और जो हुआ, वह आपके परम भक्तों से छुपा हुआ नहीं है, बल्कि उनसे तो छुपाया भी नहीं गया है, उसकी जबर्दस्त मार्केटिंग की गई है। आप चुनाव तब जीते ही इसलिए थे कि यह सब आपके 'सक्षम नेतृत्व' में हुआ था। आपको याद होगा कि इस चुनाव से पहले भविष्यवाणियां की जा रही थीं कि गुजरात में आपकी पार्टी, आपके नेतृत्व के बावजूद हार रही है। तब अचानक आपने इस 'आपदा' को 'अवसर' बदल दिया। इसे इतना भुनाया, इतना भुनाया कि गुजरात और देश की राजनीति का पासा पलट गया। यही 'विकास' का असली गुजरात माडल बन गया! कल का मुख्यमंत्री, आज का प्रधानमंत्री इसलिए है कि 2002 उसके आगे, उसके पीछे, उसके दाएं, उसके बाएं, उसके ऊपर, उसके नीचे है! तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने की उम्मीद भी उन्हें इसीलिए होगी कि 2002 के 'आभामंडल' से वह मंडित हैं।
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और आप तो मोदी जी, स्वघोषित 56 इंची हो और आप ही डर रहे हो और वह भी मात्र एक डाक्यूमेंट्री से! बनते आप शेर हो मगर डरपोक एक नंबर के हो। स्थानीय नेता तक प्रेस कांफ्रेंस करते हैं। जिसे आप कल तक 'पप्पू' कहते- कहलवाते थे, वह भी लगभग रोज प्रेस कांफ्रेंस करता है और आप है कि डरते हो! आप नेहरू जी से डरते हो, जबकि जब वह जिंदा थे, तब भी किसी को डराते नहीं थे! आप सेकुलरिज्म से डरते हो। आप तो वीर शिवाजी और महाराणा प्रताप के वंशज हो न मगर संसद में विपक्ष से डरते हो! वहां भाषण देने आते हो और गायब हो जाते हो! आप रामभक्त हो पर डरते हो। नवरात्रि में देवी की अर्चना करते हो, उपवास रखते हो, फिर भी डरते हो। मंदिर-मंदिर जाते हो, कारिडोर पर कारिडोर बनवाते हो, फिर भी डरते हो!आपके किसी मुख्यमंत्री या मंत्री को पूजापाठ का श्रेय न मिल जाए, इसलिए उसे बाहर खड़ा रखते हो, फिर भी डरते हो! कहीं ऐसा न हो कि इन कारणों से भक्त आपको वीर मानना छोड़ दें। आपका आधार खिसका दें। इसलिए यह डाक्यूमेंट्री सबको देखने दो। 'वीर' अगर हो तो फिर वीरता दिखाओ। नहीं तो साफ -साफ कह दो,'वीरता' मेरे बस की नहीं!
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इस डाक्यूमेंट्री से मोदी जी केवल इतना फर्क पड़ेगा कि 2002 या उसके बाद जो पैदा हुए या जो तब बिल्कुल बच्चे थे और अब जवान हैं, उनको भी यह ठीक से पता चल जाएगा कि उस समय क्या और किसके आशीर्वाद से हुआ था। वैसे भी आप तो 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' वाले हो। बेटियों को यह पता चल जाएगा कि मोदी जी आज से नहीं बल्कि 2002 से ही बेटियां बचाते रहे हैं। बिल्किस बानो की इज्ज़त आप ही ने तो बचाई थी न मोदी जी! सब लोग यह भी जान लेंगे कि 'सबका साथ, सबका विकास' आपने 2002 से ही शुरू कर दिया था, जिसके सबसे बड़े 'लाभार्थी' गुजरात के अल्पसंख्यक थे।
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और फिर जब आप प्रधानमंत्री बने, तब फिर से सबने देखा कि आप गुजरात ही नहीं, देश के सभी मुसलमानों के कितने बड़े 'हितचिंतक' हैं! कितने सेक्युलर हैं! गुजरात का एक-एक दंगाई आज आरोपमुक्त है! अभी बिलकिस बानो मामले के 11 दोषियों को आपकी सरकार ने स्वतंत्रता दिवस के पवित्र दिन स्वतंत्रता का 'उपहार' देकर पुण्य कमाया। आपकी उस समय की कीर्ति आज दिग्दिगंत तक फैली हुई है। इस डाक्यूमेंट्री ने उसमें चार चांद लगा दिए हैं और चार चांद लगाने का आज तक किसी ने बुरा नहीं माना, आपको भी नहीं मानना चाहिए! चुनौती दीजिए कि दिखाओ, खूब दिखाओ इसे। देखूं तो इससे मेरा क्या बिगड़ता है! व्यापार मेरे खून में है। राजनीति के इस व्यापार से मैंने आज तक दोनों हाथों से खूब कमाया है, घाटा होगा, तो भी सह लूंगा! मेवा-मिश्री बहुत खाई-चबाई है, गुजरात की मूंगफली खाकर शेष जीवन बिता दूंगा।लाओ, मुझे भी दिखाओ यह डाक्यूमेंट्री और सुनो काजू-पिस्ते की एक प्लेट जरा लेते आना!
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