गुरुवार को मीडिया की चकाचौंध के बीच जोधपुर के एक कोर्ट ने हिन्दी फिल्म अभिनेता सलमान को 1998 में सूरज बड़जात्या की ‘पारिवारिक फिल्म’ “हम साथ-साथ है” की शूटिंग के दौरान हुए काले हिरण के शिकार के मामले में दोषी करार दिया और 5 साल की सजा सुनाई। इस मामले में अन्य आरोपी उनके 4 साथी कलाकारों सैफ अली खान, तब्बू, सोनाली बेंद्रे, नीलन समेत एक स्थानीय व्यवसायी दुष्यंत सिंह को बरी कर दिया गया।
अदालत के फैसले के बाद, साम्प्रदायिक और दक्षिणपंथी विचारधारा से जुड़े लोग खुश हैं और कह रहे हैं कि इस मामले में न्याय हुआ है। और वे ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि उनमें से कई सलमान खान को एक मुस्लिम के रूप में देखते हैं। बावजूद इसके कि सलमान एक बहु-धार्मिक परिवार से आते हैं और मिश्रित-संस्कृति पर आधारित जीवन जीते हैं। इससे भी ज्यादा ताज्जुब की बात यह है कि 2014 के लोकसभा चुनावों के ठीक पहले सलमान को गुजरात में बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी के साथ पतंग उड़ाते हुए देखा गया था। और, सलमान ने मौजूदा सरकार के खिलाफ कभी एक भी शब्द नहीं कहा है और इसका हमेशा समर्थन किया है। इसी खास वजह से, कई अन्य वजहों के अलावा, उदारवादियों और खासतौर से मोदी-विरोधियों उदारवादियों के बीच सलमान को लेकर बहुत ज्यादा नफरत है। और वे भी कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले से खुश हैं।
यह पहला मुकदमा नहीं है जिसे सलमान ने झेला है और न ही वे पहली बार किसी मुकदमे में दोषी करार दिए गए हैं। मई 2015 में मुंबई की एक ट्रायल कोर्ट ने उन्हें 2002 के कार हादसे के मामले में दोषी करार दिया था। इसमें एक व्यक्ति की मौके पर ही मौत हो गई थी और 4 गंभीर रूप से घायल हुए थे। उसी साल दिसंबर में मुंबई हाई कोर्ट ने इस फैसले पर रोक लगा दी थी और सलमान को सारे आरोपों से बरी कर दिया था। इस मामले में कुछ लोगों को लगा था कि न्याय नहीं हुआ और कुछ ने सलमान ने बरी होने का जश्न मनाया, खासतौर से उनके बॉलीवुड के दोस्तों और प्रशंसकों ने।
जनमत सलमान खान को लेकर हमेशा से विभाजित रहा है। ऐसा माना जाता है कि ज्यादा बौद्धिक और शिक्षित वर्ग सलमान खान से घृणा करता है और ‘जनता’ उन्हें प्यार करती है। तो जनता उन्हें क्यों प्यार करती है? सलमान के लाखों प्रशंसक हैं। 1990 के दशक के मध्य में कड़ी मेहनत से तैयार हुआ उनका सुडौल शरीर बॉलीवुड के जगमगाते इतिहास में एक खास मोड़ था। कुछ हद तक, सलमान हालिया दशक में युवाओं के भीतर जिम-संस्कृति को पैदा हुए जुनून के लिए अकेले जिम्मेदार हैं। उनकी कुछ खास अर्थ नहीं रखने वाली फिल्मों ने दर्शकों के दिमाग में एक खास जगह बनाई है और हिन्दी सिनेमा के कथ्य-वाणिज्य रिश्ते को बदल कर रख दिया है। उनकी फिल्मों के जरिये एक नया दर्शक वर्ग तैयार हुआ है। उनकी परोपकारी गतिविधियों को काफी सम्मान के साथ देखा जाता है।
लेकिन, एक अलग सलमान भी हैं जिनसे ‘उदारवादी’ शायद पूरी तरह नफरत करते हैं। इसकी वजहें काफी जानी-पहचानी हैं। सलमान ने एक लापरवाह जिंदगी जी और इंसान से लेकर जानवरों तक को मारने के आरोपों में मुकदमे झेलते रहे। उन पर स्त्रियों की मौखिक और शारीरिक प्रताड़ना के आरोप लगे और यह आरोप उन स्त्रियों ने लगाए जो उनकी दोस्त थीं। समय-समय पर उन्होंने अपमानजनक बयान दिए जिनसे लोगों को काफी तकलीफ हुई। ऐसा माना जाता है कि बॉलीवुड में सलमान की यह हैसियक है कि वे किसी के करियर को बिगाड़ या बना सकते हैं। और ताकत को जितनी खुशामद मिलती है, उतनी ही नफरत भी।
सलमान आज फिर से उस जेल में पहुंच गए हैं जहां वे पहले भी रह चुके हैं। शायद कल या किसी और दिन उन्हें जमानत मिल जाए। वे शायद कोर्ट के सारे मुकदमों से आजाद हो जाएं। या, उन्हें आजाद होने से पहले कुछ साल जेल में बिताना पड़े। यह सारी संभावनाएं बरकरार हैं, लेकिन एक चीज निश्चित है। हमेशा उनके लिए जान देने और रोने वाले लोग होंगे और उनके घनघोर आलोचक जैसे आज हैं।
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