हाल ही में पास हुए राजस्थान स्वास्थ्य अधिकार अधिनियम को लोगों का व्यापक समर्थन मिलना चाहिए क्योंकि यह जन स्वास्थ्य अधिकारों की दिशा में एक बहुत महत्त्वपूर्ण कदम है। इसके बावजूद इसका इतना विरोध क्यों किया जा रहा है? इस स्थिति को स्पष्ट करते हुए जन स्वास्थ्य अभियान ने एक महत्त्वपूर्ण बयान जारी किया है। जन स्वास्थ्य अभियान सैंकड़ों स्वास्थ्य संगठनों का एक महत्त्वपूर्ण मंच है।
जन स्वास्थ्य अभियान द्वारा 3 अप्रैल को जारी बयान में कहा गया है कि जन स्वास्थ्य अभियान मार्च 2023 को राज्य विधान सभा में पारित राजस्थान स्वास्थ्य अधिकार अधिनियम का स्वागत करता है और भारत के स्वास्थ्य नीति के इतिहास में एक महत्त्वपूर्ण मील का पत्थर हासिल करने के लिए राजस्थान की राज्य सरकार को बधाई देता है।
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अभियान ने कहा, "राजस्थान ने देश के बाकी हिस्सों के लिए एक ऐतिहासिक उदाहरण स्थापित करते हुए राज्य में सर्वाजनिक स्वास्थ्य सेवाओं और आपातकालीन स्वास्थ्य देखभाल की कानूनी गारंटी के आधार पर बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं को एक न्यायसंगत अधिकार बनाने की प्रक्रिया शुरू की है। जन स्वास्थ्य अभियान कुछ तत्पर समूहों द्वारा फैलाई जा रही गलत सूचनाओं की आलोचना करता है जो दावा कर रहे हैं कि यह अधिनियम निजी क्षेत्र विरोधी है, जो उनकी राजनीतिक रूप से प्रेरित मांग से जुड़ा है कि अधिनियम को वापस लिया जाना चाहिए।”
इसके साथ ही जन स्वास्थ्य अभियान ने अपने सुझाव भी देते हुए कहा कि चूंकि आपातकालीन प्रबंधन जटिल हैं और इससे जुड़े प्राथमिक चिकित्सा उपायों की सीमित सेवाएं ही अधिकांश स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं द्वारा प्रदान की जा सकती हैं, इसको ध्यान में रखते हुए ‘आपातकालीन देखभाल’ की परिभाषा में अधिक स्पष्टता और सफाई लाने की आवश्यकता है।
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मंच ने मांग उठाई कि इस अधिनियम के तहत सभी प्रावधानों को पूरा करने के लिए राज्य में सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं के आवश्यक विस्तार और मजबूती के साथ अतिरिक्त संसाधन प्रदान करने के लिए राज्य के स्वास्थ्य बजट में प्रमुख रूप से वृद्धि हो। लोगों के प्रति साथ-साथ शामिल स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के प्रति नियामक प्राधिकर्ताओं की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए भी तंत्र को मजबूत किया जाना चाहिए।
जन स्वास्थ्य अभियान ने आगे कहा है, “राजस्थान सरकार ने इनमें से कई मुद्दों को राज्य विधान सभा के पटल पर, या उनके अन्य सार्वजनिक संचार में, संबोधित करने के लिए सहमति दी है। आगे के विचार-विमर्श के दौरान निजी स्वास्थ्य पेशेवरों के संघों के साथ-साथ नागरिक समाज नेटवर्क और गैर सरकारी संगठनों को भी शामिल करते हुए इन चिंताओं को सरकार द्वारा संबोधित किया जाना चाहिए।” अभियान ने कहा कि सरकार इस कानून को विकसित करने की प्रक्रिया में परामर्शी रही है और निजी डॉक्टरों के संघों से कई सुझावों को पहले ही समायोजित कर चुकी है।
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जन स्वास्थ्य अभियान के अनुसार, “राज्य सरकार द्वारा पहली बार सितंबर 2022 में विधानसभा में मसौदा विधेयक पेश करने के बाद इसे निजी डॉक्टरों के संघों की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए विधानसभा की एक प्रवर समिति को भेजा गया था। फिर विभिन्न समूहों के साथ कई दौर की चर्चा हुई, जिससे विधेयक के पहले के मसौदे में कई संशोधन हुए। परामर्श की इस पृष्ठभूमि को देखते हुए, जन स्वास्थ्य अभियान कुछ तत्पर समूहों द्वारा भ्रामक अभियान की कड़ी आलोचना करता है, जो दावा करते हैं कि डॉक्टरों की चिंताओं पर विचार नहीं किया गया है। जन स्वास्थ्य अभियान को उम्मीद है कि इस तरह के दबाव से आम जनता के स्वास्थ्य सेवा के अधिकार के प्रावधानों में कोई असर नहीं पड़ेगा।”
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जन स्वास्थ्य अभियान ने आगे कहा कि स्वास्थ्य सेवा का अधिकार एक मजबूत सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली के माध्यम से ही प्राप्त किया जा सकता है और हम आशा करते हैं कि राजस्थान सरकार सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगी। अभियान ने आगे कहा कि मजबूत निरिक्षण और जबावदेही निकायों की स्थापना करें ताकि सामान्य लोगों को सेवाएं गरिमा के साथ प्रदान करने की गारंटी दी जा सके, जबकि निजी क्षेत्र प्रदाताओं को प्रतिपूर्ति एक पारदर्शी एवं भ्रष्टाचार मुक्त वातावरण में निर्धारित समय सीमा के भीतर सुनिश्चित की जाए।
अपने बयान में निष्कर्ष के तौर पर जन स्वास्थ्य अभियान ने कहा है कि जन स्वास्थ्य अभियान की राष्ट्रीय समन्वय समिति और जन स्वास्थ्य अभियान की राजस्थान राज्य इकाई राज्य के सभी लोगों के लिए स्वास्थ्य अधिकारों को साकार करने की दिशा में राजस्थान सरकार को अपना पूर्ण समर्थन और एकजुटता प्रदान करती है।
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