मैं 'विद्वान' मंत्री पीयूष गोयल जी को ट्रोल करने के सख्त खिलाफ हूं। एक तो मोदीजी को मुश्किल से ही अपने अलावा कोई 'विद्वान' नजर आता है। उससे भी अधिक मुश्किल यह है कि उनमें से कोई ही मंत्री बनाने लायक लगता है, मगर फिर भी उन्होंने गोयल साहब को न केवल मंत्री बनाया बल्कि उनकी योग्यता का परीक्षण अनेकानेक मंत्रालयों में किया। इसके लिए मोदी जी को आज तक किसी ने धन्यवाद तक नहीं दिया। बताइए उन्हें इस बात का कितना बुरा लगा होगा! मन मसोस कर रह गए होंगे। धन्यवाद तो नहीं दिया मगर उनके 'विद्वान' मंत्री को छोटी-सी बात पर ट्रोल करने में किसी ने पांच मिनट की देरी भी नहीं की! गोयल साहब से कहा गया कि हुजूर,आपको इतना भी नहीं पता कि गुरुत्वाकर्षण की खोज आइंस्टीन ने नहीं बल्कि उनके जन्म से 200 साल पहले न्यूटन ने किया था!
ऐसा है कि मोदी-काल में उनकी और उनके किसी मंत्री की गलती को गलती मानना अलग बात है मगर कहना हिमाकत से कम नहीं बल्कि राष्ट्रद्रोह है। और गलती तो 'विद्वान' से ही हो सकती है, कोई मूर्ख तो गलती करने में सक्षम होता नहीं! मोदी जी ही मूर्खों को सक्षम बना सकते थे, कांग्रेस में तो यह क्षमता थी ही नहीं। मोदी जी बना देते तो वे भी गलती करने लगते! तब मोदीजी, गोयल जी और मूर्ख जी एक ही धरातल पर आ जाते। तब एक तरह का समाजवाद स्थापित हो जाता मगर मोदी जी को समाजवाद के नाम तक से इतनी चिढ़ है कि उसका नाम लेना तक नहीं पसंद करते।
Published: undefined
खैर छोड़िए जी। विद्वान वाली बात पर फिर लौटें। जैसे मेरा ही उदाहरण लें। मैं अपने को विद्वान समझने की गलती कभी-कभी कर लिया करता हूं, मगर देखिए मुझसे भी मोदीजी के मंत्री गोयल जी को 'विद्वान' मानने की गलती आखिर हो ही गई न! तो कहने का मतलब यह है कि गलती विद्वानों से हो जाती है अक्सर, भले ही विद्वान कोई मेरे टाइप ही क्यों न हो। मंत्री हो और ऊपर से विद्वान भी हो तो फिर गलती होना अनिवार्य जैसा है। और तो और मोदीजी और संघ प्रमुख मोहन भागवत जैसे 'विद्वान' भी इससे बच नहीं पाते तो गोयल जी तो फिर गोयल जी ही हैं, मोदी जी तो हैं नहीं!
अब गोयल जी ने जो कहा, उसका सकारात्मक पक्ष देखिए। मेरे खयाल से मोदीजी समेत उनके मंत्रिमंडल के वह शायद पहले और एकमात्र मंत्री हैं, जिन्होंने किसी खोज का श्रेय किसी विदेशी को देने की मेहरबानी की। यह कोई छोटी बात नहीं है, वह भी आर्थिक और बौद्धिक मंदी के इस दौर में! यह एक पाजिटिव डेवलपमेंट है, जिसकी तारीफ मैं तो कहूंगा सोनिया जी को भी करनी चाहिए थी मगर देश का दुर्भाग्य कि नीतीश जी ने भी नहीं की।
Published: undefined
मैं इसके लिए सोनिया जी और नीतीश जी की कठोर शब्दों में भर्त्सना करता हूं। मुझे भर्त्सना करने के लिए कठोर शब्द ही आज तक सिखाए गए हैं। मैं इसके लिए श्राद्ध पक्ष में भी अपने पूर्वजों, श्रद्धेयों और अनुजों की समान रूप से निंंदा करता हूं। यह सोचनीय है कि पिछले पांच साल में भारत वहां तो पहुंच गया, जहां पिछले सत्तर साल में नहीं पहुंचा था, मगर आज भी वह भर्त्सना के मामले में कठोर शब्दों से आगे नहीं बढ़ पाया है।
मोदी जी इस पर विशेष ध्यान दें, क्योंकि यह 'कांग्रेस कल्चर' है और मोदीजी से भी अधिक हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर इसके खिलाफ हैं। उन्होंने इसे प्रमोट करने वाले अपनी पार्टी के छुटभैये नेता को फरसा दिखाया था और कहा था- 'गर्दन काट दूंगा तेरी'। क्योंकि गर्दन काटना 'बीजेपी कल्चर' है और वह छुटभैया उन्हें चांदी का मुकुट पहनाकर 'कांग्रेस कल्चर' को बढ़ावा दे रहा था!
Published: undefined
खैर बात गोयल साहब की हो रही थी। उन्होंने जो कहा, उसका नकारात्मक पक्ष यह है कि आपको मालूम नहीं कि इसके लिए उन्हें हेडक्वार्टर से कितनी खरी-खोटी सुननी पड़ी होगी। हेडक्वार्टर ने उनसे स्पष्टीकरण मांगा होगा कि आपको किसने यह इजाजत दी कि आप कहें कि गुरुत्वाकर्षण की खोज किसी विदेशी गोरे ने की थी? क्या आपको मालूम नहीं कि विमान बनाने से लेकर प्लास्टिक सर्जरी तक की सारी खोजें लाखों साल पहले भारत में हो चुकी हैं? (और बाकी खोजें संघ आजकल कर ही रहा है)।
उन्हें कहा गया होगा कि जो इतनी बड़ी- बड़ी खोजें कर सकते थे, क्या वे गुरुत्वाकर्षण जैसी मामूली खोज नहीं कर पाए होंगे? गुरुत्वाकर्षण की खोज का श्रेय आइंस्टीन को देने से पहले आपने मोदीजी से इसकी इजाजत ली थी? मान लो, वह अक्सर विदेश में रहते हैं और उनके पास भारत के लिए समय नहीं होता तो आप इसकी अनुमति अमित शाह जैसे 'विद्वान' से प्राप्त कर सकते थे और अगर वह भी व्यस्त थे तो हम तो यहां खाली बैठे हैं, हमसे क्यों नहीं लिया? ऊपर से आपने अपनी गलती भी मान ली और वह भी आइंस्टीन के कथन के हवाले से ही! हद है। डबल जूता मारा बीजेपी-संघ कल्चर पर? आइंदा ऐसा किया तो आप बाहर कर दिए जाएंगे मिस्टर। रहे होंगे आपके पिताश्री भी बीजेपी के बड़े नेता और केंद्रीय मंत्री!
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined