नुपूर शर्मा से आज मोदी जी, शाह जी, योगी जी आदि डरे हुए से हैं। जब वह भाजपा की प्रवक्ता थी तो भाजपाइयों में से महज एक थी। शायद सौ में से एक या पांच सौ में से एक। मोहम्मद साहब पर टिप्पणी करने के बाद उसका तो मानो 'भाग्य' सा खुल गया है। भाजपा से कथित रूप से वह बाहर जरूर कर दी गई है, मगर वह अब पहले से बहुत ज्यादा भाजपा के अंदर है।
भाजपाइयों में, नफरतियों में उसकी लोकप्रियता आसमान छू रही है। वह आज इनकी सबसे बड़ी हीरो है। हीरोइन नहीं, हीरो! बताते हैं कि मोदी जी, शाह जी, योगी जी के बाद उसका नंबर आने लगा है। बाकी नफ़रतियों की वर्षों की 'तपस्या' उसकी एक टिप्पणी के आगे धूल है। बुलडोजर तक अभी उल्टा पड़ा हुआ है।
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हर भाजपाई नेता सोच रहा है कि काश ऐसा 'सुनहरा' अवसर मुझे मिला होता। हम इतने बदनाम हुए होते। सुप्रीम कोर्ट हमारी वजह से कन्हैयालाल की हत्या हुई है, यह कहती। हमारा नाम देश-विदेश में पहुंचा होता। पत्रकार मोहम्मद ज़ुबैर ने हमारा बुरा करके इतना सा भला कर दिया होता तो हमारी किस्मत पलट जाती। कहते हैं, घूरे का भाग्य भी बारह साल बाद पलट जाता है। हम तो बीस-तीस साल से घूरे बने हुए हैं। किसी ने पूछा तक नहीं।
भाजपा में कइयों सिंहासन डोलते से लग रहे हैं। क्या पता कल उनका आगे क्या हो! कल नुपूर को पार्टी में वापस लाया जाए और धीरे-धीरे ऐसी नौबत आ जाए कि हमें उसके आगे सिर झुकाना पड़े! यह डर उन्हें भी है, जो सिर न झुकाने वाले का सिर नपवा देते हैं। अभी तो वह चालीस की भी नहीं हुई है। अनपढ़ों की जमात में लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पढ़ी हुई है। नफ़रत में पीएचडी के बाद पोस्ट डाक्टरल है। कोई डिग्री फर्जी नहीं। उम्र अभी उसके साथ है। वह नफ़रत की अनेक सीढ़ियां एकसाथ लांघकर भाजपा में आगे और आगे जा सकती है।
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क्या पता कल हमें इसकी तुलना पार्वती, लक्ष्मी, काली से करना पड़ जाए! इसलिए सुप्रीम कोर्ट कुछ भी कहे, दुनिया कितनी भी लानत भेजे, विरोधी जो कहें, कितने ही केस दर्ज हो जाएं मगर मोदी जी-शाह जी उसे भरसक गिरफ्तार नहीं होने देंगे। डर यह है कि अगर वह गिरफ्तार हो गई तो पता नहीं कल वह कितने कदम और आगे बढ़ जाएगी! 'हिन्दुत्व के जंगल की शेरनी बन जाएगी। उसे फिर से गाय बनाना मुश्किल हो जाएगा! उसे उसकी जगह फिर से दिखाना कठिन हो जाएगा।
पहले भाजपा जिसे भी बाहर का रास्ता दिखाती थी, वह हीरो से जीरो हो जाता था। यह अकेली ' वीरांगना' है, जो जीरो से हीरो हो गई है। मोदी जी ने खाड़ी के देशों के कोप के डर से उसे कुछ समय के लिए बाहर का रास्ता क्या दिखाया कि भाजपा में उसका जोर बढ़ता गया। उसके लाखों समर्थक पैदा हो गए। मोदी जी ने सिर मुंड'वाया और ओले पड़ने लगे। उन्होंने अपना सिर किसी तरह बचाया तो सुप्रीम कोर्ट तक मोहतरमा नुपूर जा पहुंचीं।
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माननीय न्यायाधीशों की कड़ी टिप्पणी से फिर उसका भाव बढ़ गया। उसके समर्थक ट्विटराटियों में इतनी हिम्मत आ गई कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को 'सुप्रीम कोठा' कहना शुरू कर दिया। इससे किसी की भावना आहत नहीं हुई। संविधान की पोथी के आगे सिर झुकानेवाले सज्जन की तो कतई नहीं। कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई। किसी के यहां छापा नहीं पड़ा। किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई। उल्टे, जिनकी कमीज मैली थी, सर्फ से धुल कर बेहद सफेद हो गई!
तो भारत का वर्तमान मोदी जी हैं, भविष्य नुपूर शर्मा टाइपों का हो सकता है। उसे धमकी दोगे, उसके वक्तव्य के आधार पर किसी की हत्या करोगे तो तुम्हारा जो होगा, वह होगा ही, उसका फ्यूचर 'ब्राइट' हो जाएगा। यही हिन्दुत्व की रीत है।
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