सबसे पहले हम सब ‘देशभक्त’ और ‘देशद्रोही’ बांटे गए। फिर उनमें से सारे हिंदू ‘देशभक्त’ और मुसलमान-ईसाई ‘देशद्रोही’ हो गए। फिर ‘गोरक्षक’ उर्फ मोदीभक्त ‘देशभक्त’ हो गए और हिंदुओं में भी जो सेकुलर हैं, वे ‘देशद्रोही’ हो गए। फिर पूरा कश्मीर ‘देशद्रोही’ हो गया और पूरा जम्मू ‘देशभक्त’। फिर जम्मू और कश्मीर के सभी हिंदू ‘देशभक्त’ हुए और सभी मुसलमानों का तो कहना ही क्या, वे तो ‘देशद्रोही’ होने का जन्मसिद्ध अधिकार लेकर ही इस धरती पर पैदा हुए हैं।
फिर कॉरपोरेट का विरोध करना,अडानी-अंबानी का विरोध करना, ‘देशद्रोह’ हुआ और जंगल, समुद्र, नदी पर कॉरपोरेट का कब्जा करके आदिवासियों-दलितों आदि को उजाड़ना ‘देशभक्ति’ हुआ। सरकारी कंपनी एचएएल से राफेल का सौदा छीनना ‘देशभक्ति’ हुआ, अनिल अंबानी जैसे दिवालिया उद्योगपति को राफेल बनाने का ठेका दिला देना ‘देशभक्ति’ हो गया। फिर रक्षा मंत्रालय से राफेल की फाइलें गायब करवाना ‘देशभक्ति’ हुआ और एन राम, प्रशांत भूषण, यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी ‘देशद्रोही’ हो गए। ये ‘देशद्रोही’ हुए तो अर्णब गोस्वामी, सुधीर चौधरी, अंजना ओम कश्यप ‘देशभक्त’ बन गए।
इस तरह ‘देशभक्ति’ और ‘देशद्रोह’ की विभाजन रेखाएं खिंचती चली गईं। 1947 के बाद एक और विभाजन हुआ और होता चला जा रहा है। मोदी जी चूंकि ‘न्यू इंडिया’ बनाना चाहते हैं, इसलिए उन्होंने भारतीय संविधान में एक अघोषित संशोधन कर दिया है। अब उनसे सवाल पूछना ‘देशद्रोह’ है और वे और उनके भक्त जिनसे भी, जब भी, जहां भी, जो भी चाहें, सवाल पूछें ‘देशभक्ति’ है। यहां तक कि बीजेपी सांसद और विधायक का जूतमपैजार भी देशभक्ति है और पाकिस्तान के लिए जासूसी करना तक ‘देशभक्ति’ हो गया है!
अगर 2019 के चुनाव के बाद मोदी जी का ‘न्यू इंडिया’ बनता रहा- जिसका खतरा कम है- तो और भी बहुत कुछ ‘देशभक्ति’ या ‘देशद्रोह’ हो जाएगा। अक्ल का इस्तेमाल करना तो अभी से ‘देशद्रोह’ है, कल से मोदी जी की तरह दाढ़ी-मूंछ न रखना, उनकी तरह कोचीन को कराची न कहना, तक्षशिला को हिंदुस्तान में न बताना, मोदी जी की डिग्री पर सवाल करना ‘देशद्रोह’ हो जाएगा। थोड़ा इंतजार कीजिए, किसी के मुंह से मोदी विरोधी एक वाक्य निकला और आपके मुंह और आपके कान ने ऐसी बात सुनी तो फिर आपका मुंह और कान ‘देशद्रोही’ हो जाएगा!
आपका रंग, आपकी भाषा भी ‘देशद्रोही’ अथवा ‘देशभक्त’ होने के लिए विवश हो जाएगी। अभी ‘न्यू इंडिया’ ठीक से बना कहां है, बन गया, तब देखिएगा आज जो फैंटेसी लग रहा है, कल सिर्फ वही सच होगा। निश्चिंत रहिए आधार कार्ड भी दो तरह के होंगे- केसरिया और हरा। कौन सा आधार कार्ड ‘देशभक्ति’ और कौन सा ‘देशद्रोह’ का सबूत होगा, यह आप समझ गए होंगे। हम और आप बांग्लादेशी या पाकिस्तानी हो जाने वाले हैं!
मोदी जी का फंडा एकदम सीधा है- उनसे सवाल मत पूछो। वे पूछें सवाल तो उसका वह जवाब दो और वह भी ऐसा, जो वह सुनना चाहते हैं। ‘देशद्रोही’ बनने के लिए अब अधिक मेहनत करने की जरूरत नहीं, बस मोदी एंड ब्रदर्स से सवाल पूछ लें। जैसे अभी 'इंडिया टुडे टीवी' के राहुल कंवल ने बालाकोट पर वायुसेना के हमले में मरने वाले आतंकवादियों की विवादित संख्या के बारे में मंत्री पीयूष गोयल से सवाल पूछ दिया तो उस ‘देशभक्त’ को अविलंब ‘देशद्रोही’ बना दिया गया।
हम तो उस दिन का इंतजार कर रहे हैं, जब हम न देशद्रोही होंगे, न देशभक्त। विष्णु नागर हैं, विष्णु नागर रहेंगे।
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