विचार

विष्णु नागर का व्यंग्यः मोदीजी तो आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं, पैदल चलने वाले देश को बदनाम करने पर तुले हैं!

सब जानते हैं कि मोदीजी सुंदर पैकेजिंग की कला में माहिर हैंं! खुद जब वह टीवी पर आते हैं तो अपनी बढ़िया सी डिजाइनर पैकेजिंग करके आते हैं। दो लाख की घड़ी, सवा लाख का पेन और न जाने कितने का कुर्ता-पायजामा, जैकेट पहन और जाने कितनी बार शीशे में चेहरा देखकर आते हैं।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया 

मुझे छोड़कर मेरे करीब-करीब सभी मित्र मोदीजी के पीछे पड़े रहते हैं (मैं झूठ तो नहीं बोल रहा!)।छह साल से एक आदमी इनके बोलों के लट्ठ पर लट्ठ खाए जा रहा है। सोचो, उसके दिल-दिमाग पर क्या गुजरती होगी? अब मोदीजी ने' आत्मनिर्भर भारत अभियान' की घोषणा की, बीस लाख करोड़ के पैकेज की घोषणा की तो मित्रगणों ने फिर अपने-अपने लट्ठ उठा लिए और पिल पड़े हैं!

अटल जी होते तो कहते, ये अच्छी बात नईं है, मगर आज की तारीख में यह कहने वाला भी कोई नहीं तो लोग बेलगाम हुए जा रहे हैं। इस भारत में लगता है, असली दया-ममता बिल्कुल खत्म हो चुकी है। सोचिए जिस देश में लोग प्रधानमंत्री के प्रति भी दया-ममता न दिखाते हों, उस देश का भविष्य क्या होगा? इसे जो लोग आज नहीं समझ रहे हैं, उन्हें समय कल समझा देगा। कुछ को अभी से समझा दिया है, कुछ की बारी अभी आनी है!

Published: 17 May 2020, 7:59 AM IST

अरे जब मजदूर सपरिवार दो-दो हजार किलोमीटर की पैदल यात्रा पर शहर से गांव के लिए निकल पड़ते हैं, रास्ते में कटते-मरते हैं, पुलिस के डंडे खाते हैं, तब तो तुम्हारा हृदय बड़ा पिघला जाता है, मगर जब देश का प्रधानमंत्री 130 करोड़ देशवासियों के हित में 'आत्मनिर्भर भारत अभियान' चलाता है, बीस लाख करोड़ का पैकेज घोषित करता है, तब तुम्हारा दिल पत्थर हो जाता है!

तब तुमने कभी कहा कि ये पैदल चलने वाले लोग भी असली में देश को दुनिया में बदनाम करने की साजिश कर रहे हैंं? तुमने एक बार भी कहा हो तो एक भी उदाहरण देकर बताओ। यह भी बेचारे भक्तों को ही कहना पड़ा है! अरे आजादी के लिए देशभक्तों ने बड़े-बड़े त्याग किए थे, ये महीने- दो महीने भोजन का त्याग नहीं कर सकते थे? अपना नाम बलिदानियोंं की सूची में सुनहरे अक्षरों में नहीं लिखवा सकते थे?

Published: 17 May 2020, 7:59 AM IST

चलो मान लेते हैं कि ‘भारत आत्मनिर्भर अभियान’ भी महज एक खोखला नारा है। होना कुछ नहीं है। मिलेगा केवल बाबाजी का झुनझुना। फिर भी, भलेमानसो, तुम लोगोंं को बैठे-बिठाए प्रधानमंत्री ने एक नारा दे दिया है तो क्या आराम से इसका जाप, मंत्र समझ कर नहीं कर सकते थे? और क्या इस देश के प्रधानमंत्री को लोक कल्याण मार्ग के बंगले में बैठे-बैठे लोक कल्याण के नए-नए नारे गढ़ने का हक भी नहीं है? अरे इसके अलावा उन्होंने बीस लाख करोड़ का पैकेज भी तो दिया है। यह नारा विद पैकेज है। भारत के सत्तर साल के इतिहास में किसने ऐसा किया? है कि नहीं, 'न्यू इंडिया' का न्यू आइडिया!

अब प्रधानमंत्री की हर बात में खोखलापन ढूंढने वाले आज पूछ रहे हैं कि 2015 में प्रधानमंत्री जी ने सवा लाख करोड़ का जो पैकेज बिहार को दिया था, उसका क्या हुआ? क्यों जी नीतीश कुमार जी, मिल गया क्या आपको यह पैकेज? लोग समझते नहीं बात को। वो बिहार में चुनावी जुमलेबाजी करने का साल था। फिर वहां चुनाव आने वाले हैं, इस बार डेढ़ लाख करोड़ का या जनता की इच्छा होगी तो सवा दो लाख करोड़ का पैकेज दे देंगे! उसमें कौन सी बड़ी बात है?

Published: 17 May 2020, 7:59 AM IST

अरे उन्हें पैकेजिंग ही तो करना है और दुनिया जानती है कि मोदीजी सुंदर पैकेजिंग करने की कला में सिद्धहस्त हैंं! आप इसी से समझ लो कि जब वह टीवी के सामने भी आते हैं तो अपनी बढ़िया सी डिजाइनर पैकेजिंग करके आते हैं। आते हैं या नहीं आते हैं? दो लाख की घड़ी, एक लाख तीस हजार का पेन और न जाने कितने का कुर्ता-पायजामा, जैकेट पहन कर और न जाने कितनी बार शीशे में चेहरा देखकर आते हैं।

और आपको बीस लाख करोड़ की पैकेजिंग में हजार छेद तो दीख रहे हैं, मगर यह नहीं दीख रहा कि लाखों मजदूरों को उनके मां-बाप, पत्नी-बच्चों समेत कड़ी धूप में चलने का, भूख से, धूप से, थकान से, दुर्घटना से मरने का कितना लंबा-चौड़ा पैकेज उन्होंने दिया है, वह आत्मनिर्भरता की दिशा में कितना बड़ा कदम है! उससे खुद उन गरीबों के और सरकार के भी कितने हजार करोड़ रुपये बचे होंगे, इसका अंदाजा भी नहीं किसी को।

Published: 17 May 2020, 7:59 AM IST

और फिर उन्होंने राज्य सरकारों से मजदूरों से बारह-बारह घंटे काम करवाने का, श्रम कानूनों को स्थगित करवाने का जो पैकेज दिलवाया है, उसकी साइज तुम्हें मालूम है? और बताऊं, उन्होंने सरकारी कर्मचारियों के भत्ते काटने, न्यूनतम मजदूरी तक से मजदूरों को मुक्ति दिलाने, ट्रेनों में बुजुर्गों को मिलने वाली छूट खत्म करने, जैसे भी कई और आर्थिक पैकेज दिए हैं।

और अभी तो ऐसे न जाने कितने पैकेज देते चले जाएंगे! इतने पैकेज देंगे कि आपके होश उड़ जाएंगे, कंप्यूटर गिनती करना भूल जाएगा! अरे तुम क्या जानो मोदीजी के पैकेज और पैकेजिंग कला को! ठहरो बदमाश सिक्युलरों, वामियों, अर्बन नक्सलों और धर्मविशेष के लोगों, तुम्हें पहले भी उदारतापूर्वक मोदीजी-शाहजी के 'पैकेज' मिले हैंं और भी अभी मिलेंगे, तुम्हारे भी लगता है, अब 'अच्छे दिन' आ ही गए हैं! तुम ऐसे नहीं मानोगे!

Published: 17 May 2020, 7:59 AM IST

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Published: 17 May 2020, 7:59 AM IST