पीएम नरेंद्र मोदी भाषण देने के लिए जाने जाते हैं। जोर-जोर से लंबा भाषण देना और एक दिन में कई-कई बार भाषण देना उनका प्रिय शगल है। चुनावों में पार्टी की जीत के बाद मोदी जी जरूर भाषण देते हैं। अब इस बार के विधानसभा चुनावों के नतीजे तो उल्टे आ गए। लेकिन मुझे फिर भी विश्वास है कि मोदी जी इस बार भी भाषण जरूर देंगे और वह भाषण कुछ इस तरह होगा।
मितरों, हमारे कुछ सांसद मित्रोंं का सुझाव था कि जब भी हम किसी राज्य में जीत दर्ज करते थे तो पार्टी मुख्यालय पर विजय रैली किया करते थे, तो इस बार पराजय रैली भी करनी चाहिए। आप तो जानते हो, मेरा छप्पन इंंच का सीना है, तो मैंने उसे साठ इंच फुलाते हुए कहा ठीक है, करते हैं। तो मितरों, यह हमारी पराजय रैली है। मैंने तो राहुल गांधी से कहा था कि हमारी पराजय रैली में पराजय का हार आप पहना जाओ पर उन्होंने विनम्रतापूर्वक इनकार कर दिया। मैंने उनसे कहा कि अरे भाई मुझे नहीं, शाहजी को पहनाना है तो भी वह नहीं माने, अजब इंसान हैं। इससे भी उन्होंंने इनकार कर दिया। खैर।
तो बात यह है मितरों कि आज मैं यह बात साफ करना चाहता हूं कि मोदी को किसी राहुल गांधी, किसी कांग्रेस ने नहीं हराया। ऐसा नहीं है कि हम मोदी-शाह भाइयों को चुनाव जीतना नहीं आता। खूब आता है, सबसे ज्यादा हमीं को आता है, लेकिन सच बात यह है कि इस बार हमने तय किया था कि हमीं कब तक जीतते रहें। जीतते-जीतते भी मैं भी थक गया था, अमित शाह भी थक गया था। उधर शिवराज भी कह रहा था कि भाई साहब मैं कुर्सी पर बैठे-बैठे थक ही नहीं, ऊब भी चुका हूं। मुझे इससे मुक्ति दिलाओ। प्रभो, कमर दुखने लगी है। उधर रमन की भी यही डिमांड आई। वसुंधरा को तो पांच ही साल हुए थे पर हमारी पार्टी के नामदार भी ऐसे हैं न, जल्दी थक जाते हैं।
हमारे मंत्री, एम एल ए भी कह रहे थे कि मोदीजी बेचारी कांग्रेस को भी मौका दो न, राहुल गांधी को भी अवसर देकर देखो। नया खून है, लोकतंत्र का भार उठाकर वह भी तो देखे। मन की बात करने का मुझे अभ्यास है, इसलिए सिर्फ आपको बता रहा हूं कि 12 साल तो हो गए थे मुझे मुख्यमंत्री रहते-रहते और पांच साल समझो हो ही गए प्रधानमंत्री बने। अब मैंने भी समझ लिया है कि अनथक परिश्रम करने से कोई फायदा नहींं होता, चाहे वह ड्रेस बदलने और विदेश यात्राएं करने का अथक परिश्रम हो और आप नहीं थकते तो जनता आपसे थक जाती है तो अब मैं भी आराम करना चाहता हूं। कम से कम पांच साल तो मैं भी आराम चाहता हूं, आपकी इजाजत हो तो दस साल भी। उसके बाद तो कोई पूछेगा भी नहीं कि मोदीजी आप ठीक हो? तो फिर परमानेंट आराम रहेगा!
तो मितरों, हारना हमारी नियति नहीं थी, हमारी ठोस, सोची-समझी रणनीति थी। जिसे नोटबंदी की तरह मैंने और पार्टी अध्यक्ष ने बड़े गोपनीय ढंग से, सोच-समझकर बनाया था ताकि हम तीनों राज्यों मेंं निश्चित रूप से हार जाएं। और इस रणनीति को बनाएं इस तरह कि सबको लगे कि हम जीतने की जीतोड़ कोशिश कर रहे हैं और किसी को समझ में न आए कि हम दरअसल हारने की कोशिश जीजान लगाकर कर रहे हैं। इस रणनीति को कोई समझ नहीं पाया,राहुल गांधी तो बिल्कुल ही नहीं। इसलिए आप देखेंगे कि जहां-जहां मैं गया, पार्टी हारी। जहां-जहां यह शाह गया, पार्टी हारी। जहां-जहां योगी गया, भाई ने वहां ऐसा कमाल का योग किया कि जो लुटिया डुबने को तैयार नहीं थी,उसे डुबाकर ही आया। ऐसा नहीं है कि हम संतों के जहां-जहां पैर पड़े, बंटाधार ही हुआ।
कुछ विधायक हारने को तैयार ही नहींं थे, मान ही नहीं रहे थे। जिद पर अड़े हुए थे कि हम हार गए तो हमें हार्ट अटैक आ जाएगा तो हमने कहा चल नहीं मानता तो जीत के देख ले। पछताएगा, जब कुच्छो हाथ नहीं लगेगा तो जा विधानसभा में हाथ पर हाथ रखकर बैठ या वहां जाकर राम नाम जप। पराया माल, जब खाने को नहीं मिलेगा तब हार्टअटैक आएगा, भुगत!
तो यह कांग्रेस की, राहुल गांधी की रणनीतिक जीत नहीं, हमारी जीत है। हम जीते हैं, राहुल हारे हैं।हम जीते हैं, कांग्रेस हारी है, हम जीते हैं, जनता हारी है और अभी और भी हारेगी, जब मैं भी उसे उल्लू बनाकर हराऊंगा। जनता समझेगी, वह जीती है, हम समझेंगे हम जीते हैं और राहुल गांधी समझेंगे, वह जीते हैं। कितनी बढ़िया, कितनी अनोखी! कितनी मेरी जैकेट, मेरे कुर्ते, मेरे पायजामे की तरह एकदम न्यू-न्यू रणनीति है! 2019 के चुनाव के बाद लोगों को मैंं खुद यह बात बताऊंगा, ये मेरे मन की बात है, बताऊंगा जरूर।
तो एक तरह से यह भी हमारी विजय रैली ही है। आखिर में बोलो जय मोदी, जय मोदी, जय मोदी।
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined