विचार

एडवांस में किसानों से चौथाई फसल खरीद उसी गांव में बांटे सरकार, कोरोना संकट से देश को बचाने में मिलेगी मदद

एक चौथाई फसल के लिए उचित और न्यायसंगत दर पर अग्रिम भुगतान से किसानों की तुरंत मंडी भागने की मजबूरी दूर हो जाएगी और किसानों के हाथ कुछ नकदी भी आ जाएगी। लेकिन एडवांस देते समय यह शर्त हो कि किसान मजदूरों को फसल कटाई की मजदूरी तुरंत न्यायसंगत दर पर दे देंगे।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया 

कोरोना संकट की वजह से देशव्यापी लॉकडाउन की वजह से गांवों में फसल कटाई में अनेक कठिनाईयां आ रही हैं, जिससे किसान एक बड़ी तबाही के कगार पर खड़ा है। वहीं, इस संकट से सीधे प्रभावित एक बड़ी आबादी के सामने भूखमरी की स्थिति मुंह बाए खड़ी है। ऐसे में हालात को देखते हुए एक ऐसी योजना बनाई जा सकती है, जिससे किसानों के साथ सबसे गरीब और भूमिहीन तबकों को भी बड़ी राहत मिल सकती है। गांवों में तुरंत भूख दूर करने के लिए विभिन्न खाद्यों की कमी भी स्थानीय स्तर पर ही दूर हो सकती है।

कोरोना संकट से पैदा हुई परिस्थितियों में सरकार को चाहिए कि किसानों की फसल के लगभग एक चौथाई हिस्से के लिए उन्हें उचित और न्यायसंगत दर पर अग्रिम भुगतान कर दे। इससे किसानों की तुरंत मंडी भागने की मजबूरी दूर हो जाएगी और किसानों के हाथ कुछ नकदी भी आ जाएगी। अग्रिम राशि देते समय यह शर्त हो कि किसान मजदूरों को तुरंत फसल कटाई की मजदूरी न्यायसंगत दर पर दे देंगे।

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फसल के इस एक चौथाई हिस्से को उसी गांव में भंडारण कर इसका उपयोग राशन वितरण, घोषित निःशुल्क राशन वितरण, मिड डे मील, आंगनवाड़ी और सबला कार्यक्रमों के लिए किया जाना चाहिए। इस तरह सबसे गरीब तबकों की भूख और कुपोषण की समस्या भी स्थानीय स्तर ही शीघ्र कम हो सकेगी और इसके लिए दूर से मंगवाए जाने वाले अनाज और अन्य खाद्यों पर निर्भरता समाप्त हो जाएगी।

इसके साथ ही इस साल कटाई के समय प्रत्येक जिले में एक वरिष्ठ कृषि अधिकारी को फसल कटाई कार्य की देखरेख और सहायता की जिम्मेदारी देनी चाहिए, जिससे फसल कटाई में भी कोरोना को लेकर सभी सावधानियां स्थानीय आवश्यकतानुसार जैसे सोशल डिस्टेंसिंग, स्वच्छता इत्यादि सुनिश्चित हो सके। खेतों में पानी, साबुन आदि की व्यवस्था भी होनी चाहिए।

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26 मार्च को राशन में मिलने वाले खाद्य पदार्थों के लिए जो विशेष घोषणाएं (प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के अंतर्गत) की गई हैं, उसके आधार पर राशन का वितरण सुनिश्चित किया जाना चाहिए, जिसमें अतिरिक्त निःशुल्क राशन व्यवस्था का भी जिक्र है। राशन वितरण में बायोमेट्रीक मिलान संबंधी बाध्यताओं में छूट देना भी आवश्यक है। इसका सबसे बड़ा कारण तो यही है कि मेहनतकशों-मजदूरों-किसानों के बायोमैट्रिक मिलान में कठिनाईयां आती हैं, क्योंकि उनकी अंगुलियों की छाप श्रम के कारण प्रायः स्पष्ट नहीं आ पाती है।

इसके साथ ही जिन राशन कार्डों को वर्तमान में निरस्त कर दिया गया है, उन्हें तत्काल फिर से चालू कर कमजोर वर्ग को राशन उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया जाना अतिआवश्यक है। कई राशन कार्डों में परिवार के पूरे सदस्यों के नाम नहीं हैं। इस संकट की स्थिति में सभी जरूरतमंदों को पूरे परिवार के लिए ही राशन मिलना चाहिए।

कुछ समय के लिए सोशल डिस्टेंसिंग (सामाजिक दूरी) की आवश्यकता को देखते हुए अधिकांश स्थानों पर स्कूल और आंगनवाड़ी केंद्र बंद कर दिए गए हैं, जिस कारण वहां चलने वाले पोषण कार्यक्रम भी अभी बंद हैं। जब तक इनका संचालन पुनः आरंभ नहीं होता तब तक इन पोषण कार्यक्रमों में मिलने वाली कच्ची खाद्य सामग्री को निःशुल्क राशन में जोड़कर गांववासियों को दे देना चाहिए।

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निश्चित तौर पर यह प्रयास मजबूत सामुदायिक सहयोग और सहभागिता के आधार पर ही संभव हैं। इस तरह कमजोर वर्ग के सभी समुदायों जैसे- किसानों, खेत मजदूरों, बंटाईदार कृषकों, अप्रवासी मजदूरों तक लाभ पहुंचा पाना संभव होगा। इन प्रयासों के सुचारू रूप से संचालन के लिए समाज की एकता, बहुत जरूरी है और इस प्रक्रिया में समाज की एकता और आगे बढ़ेगी। समुदाय की सहभागिता में महिलाओं और कमजोर वर्गों का सहयोग भी प्राप्त करना बहुत जरूरी है।

इसके लिए, गांवों में आजकल मोबाईल और स्मार्ट फोनों की अच्छी-खासी उपस्थिति है, जिससे ऐसे प्रयासों के संचालन में बहुत सहायता मिलेगी और सामाजिक दूरी बनाए रखने की आवश्यकता का निर्वहन भी संभव हो सकेगा। साथ ही इस प्रयास कोे भ्रष्टाचार से बचाने के लिए भी पूरी सर्तकता बरतनी होगी। यह प्रयास कई समस्याओं जैसे- उत्पादों को जल्दबाजी में लंबी दूरी तक मंडी पंहुचाने, वितरण के लिए भारी यातायात की आवश्यकता से राहत दिलाएगा और सोशल डिसटेंसिंग बनाए रखने में मदद करेगा। सभी कमजोर वर्गों तक शीघ्रता से सहायता पहुंचाने की दृष्टि से यह एक सक्षम माॅडल है। सरकार को इस पर गंभीरता से विचार कर इसे व्यापक स्तर पर लागू करना चाहिए।

इस वर्ष जिन गांवों में कम्बाईंड हारवेस्टर से कटाई होती थी, वहां कम्बाईंड हारवेस्टर प्रायः नहीं पहुंच पा रहे हैं। अतः यह अच्छा अवसर है कि किसानों और मजदूरों के जो रिश्ते कमजोर हो गए हैं उन्हें नए सिरे से मजबूत करने का प्रयास किया जाए। यदि मशीन के बिना हाथ से कटाई होगी तो इससे पशुओं के लिए अधिक चारा बचेगा और आने वाले दिनों में यह बहुत उपयोगी सिद्ध होगा।

इस योजना में स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार थोड़ा-बहुत बदलाव किया जा सकता है पर इसका मूल स्वरूप बने रहना चाहिए।

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