आज हम उस व्यक्ति का जन्मदिन मना रहे हैं, जो संभवत: धर्ती पर आया सबसे महान व्यक्ति था। गांधी जयंती के मौके पर उन मूल्यों और विचारों को याद करना बहुत महत्वपूर्ण है जिसके लिए गांधी जी ने अपना जीवन तक त्याग दिया। महात्मा गांधी के विचारों और दर्शन को जितनी मजबूती से समझने और उस पर अमल करने की जरूरत है, उतनी ही जरूरत इस बात की भी है कि उन लोगों को गांधी का नाम इस्तेमाल करने से रोका जाए, जिन्होंने गांधी जी के विचारों की हत्या की है।
केंद्र सरकार गांधी जयंती को स्वच्छ भारत दिवस के तौर पर मना रही है, ताकि उसके स्वच्छ भारत अभियान को जन समर्थन मिल सके। लेकिन यह तथ्य है कि स्वच्छ भारत अभियान अभी तक नाकाम ही साबित हुआ है। इतना ही नहीं, सरकार ने ऐसे विज्ञापन पेश कर दिए हैं, जिनमें महात्मा गांधी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बराबर दिखाया गया है। काश, अगर आज गांधी जी होते तो उन्होंने निश्चित तौर पर ऐसे पोस्टरों और विज्ञापनों की निंदा की होती।
दरअसल, इस प्रचार का स्वच्छ भारत अभियान से लेना-देना नहीं हैं, यह तो एक साजिश है गांधी जी के नाम का अपने मकसद के लिए इस्तेमाल करने की। इससे यह भी साबित होता है कि बीजेपी का मूल संगठन गांधी जी को लेकर कितना दोमुंहापन दिखाता रहा है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि गांधी जी का हत्यारा नाथूराम गोडसे, एक समय आरएसएस का ही सदस्य था। गांधी जी की हत्या में उसके पकड़े जाने पर संघ ने उसे अपनाने से इनकार कर दिया था, लेकिन उसके भाई गोपाल गोडसे जनवरी 1994 को फ्रंटलाइन पत्रिका को दिए इंटरव्यू में साफ कहा था कि उसका भाई आरएसएस का ही सदस्य था। उसने कहा था:
Published: 02 Oct 2017, 12:56 AM IST
“हम सभी भाई आरएसएस में थे। नाथूराम, दत्तात्रेय, मैं और गोविंद। आप कह सकते हैं कि हमारा पालन पोषण हमारे घर के बजाय संघ में ही हुआ। संघ हमारे लिए परिवार था। नाथूराम संघ में एक बौद्धिक कार्यवाह बन गया था। उसने अपने बयान में भले ही कहा हो कि उसने संघ छोड़ दिया था। ऐसा उसने इसलिए कहा था, क्योंकि गांधी जी की हत्या के बाद गोलवलकर और संघ बहुत बड़ी मुश्किल में फंस गए थे। लेकिन उसने कभी आरएसएस छोड़ा नहीं था।” <b></b><b>-- 28 जनवरी, 1994 को फ्रंटलाइन पत्रिका को दिए इंटरव्यू में गोपाल गोडसे का बयान</b>`
हमें आज के दिन यह भी याद करना होगा कि गांधी जी की हत्या के बाद, आरएसएस के सदस्यों ने मिठाइयां बांटी थीं। आरएसएस पर पाबंदी भी लगाई गई थी। संघ परिवार या उसकी राजनीतिक शाखा बीजेपी को गांधी जी का गुणगान करने में बहुत मुश्किल होती है। संघ के लिए बाइबिल और गीता समान पुस्तक ‘बंच ऑफ थॉट्स’ के लेखक और आरएसएस के दूसरे सरसंघचालक और इसके मुख्य विचारक एम एस गोलवलकर ने लिखा है कि:
Published: 02 Oct 2017, 12:56 AM IST
“वे लोग जिन्होंने बिना हिंदू-मुस्लिम एकता के स्वराज को मानने से इनकार किया था, दरअसल उन्होंने हमारे समाज के साथ बहुत बड़ी साजिश की थी। ऐसा करके उन्होंने प्राचीन समाज और उसके लोगों की जीवात्मा को मारने का जघन्य पाप किया था।”
(Those who declared 'No swaraj without Hindu Muslim unity' have thus perpetrated the greatest treason on our society. They have committed the most heinous sin of killing the life-spirit of a great and ancient people.")
इसके अलावा गांधी जी के स्वतंत्रता आंदोलन पर गोलवलकर के विचार तो और भी अपमानजनक हैं। गोलवलकर ने कहा है, “कांग्रेस की अगुवाई वाले आंदोलन से देश पर बेहद विनाशकारी और खतरनाक प्रभाव हुआ है। बीते कुछ दशकों में और आज भी, हमारे देश पर जो भी आपदाएं आई हैं या उस पर अनिष्टकारी शक्तियों का हमला हुआ है, यह सब उसी आंदोलन का परिणाम है।”
आरएसएस, गांधी जी के अहिंसा के सिद्धांत की हमेशा आलोचना करता रहा है और संघ ने इसे नंपुसकता का नाम दिया है। संघ परिवार के सदस्यों के लिए हिंदू-मुस्लिम एकता और धर्म निरपेक्षता यानी सेक्युलरिज्म, एक गाली की तरह हैं। जबकि गांधी जी इन्हीं मूल्यों के लिए संघर्ष करते रहे।
लेकिन, आज बीजेपी और उसकी सरकार को गांधी जी की जरूरत आन पड़ी है, ताकि उसकी जुमलेबाज़ियां जारी रह सकें। लेकिन, इस सबसे उसका दोगलापन और बौद्धिक दिवालियापन ही सिद्ध होता है। प्रधानमंत्री मोदी, दिल से संघी हैं, शाखा से निकले व्यक्ति हैं। राष्ट्रीय राजनीति में उनका उत्थान आरएसएस के समर्थन का ही नतीजा है। धार्मिक अल्पसंख्यकों के बारे में मोदी के विचार बाकायदा दर्ज हैं और जिसे सब जानते हैं, उन्हें यहां दोहराने की जरूरत नहीं हैं।
इस गांधी जयंती पर भी जब मोदी, महात्मा गांधी के बारे में अपना बड़बोलापन दिखाएंगे, तो हमेशा की तरह उनकी आवाज का खोखलापन स्पष्ट नजर आएगा। देश सत्य जानता है, और उनका पाखंड ज्यादा दिन नहीं चलने वाला।
Published: 02 Oct 2017, 12:56 AM IST
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Published: 02 Oct 2017, 12:56 AM IST