बीते हफ्ते 25 जून का दिन बिहार और उत्तर प्रदेश के लिए बड़ी आपदा का दिन रहा। इस दिन आकाशीय बिजली गिरने से बिहार में 83 लोगों की मौत हो गई, जबकि पूर्वी उत्तर प्रदेश में 27 लोगों की मौत हो गई। इससे पहले आकाशीय बिजली गिरने से एक ही दिन में इतनी अधिक मौतें बहुत कम देखी गई हैं। वैसे इसी साल मई में भी बिहार में आकाशीय बिजली गिरने की घटना हुई थी, जिसमें अनेक मौतें हुई थीं।
जलवायु परिवर्तन के इस दौर में ऐसे अनेक मौसमी बदलाव देखे गए हैं, जिनसे आकाशीय बिजली गिरने की संभावना बढ़ती है। इस स्थिति में आकाशीय बिजली गिरने से होने वाली मौतों के समाचार अधिक मिल रहे हैं। विशेषकर बिहार, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ में आकाशीय बिजली गिरने की अधिक वारदातों के समाचार मिलते रहे हैं, हालांकि अनेक अन्य राज्य भी प्रभावित होते रहे हैं। हिमालय क्षेत्र भी इस दृष्टि से संवेदनशील है।
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भारत में आकाशीय बिजली गिरने से अधिक मौतें होने का एक कारण यह है कि वर्षा-तूफान के समय में भी बाहर रहने वाले लोगों की संख्या यहां अधिक है। चरागाहों में पशु चरा रहे गड़ेरिये हों, घुमंतू समुदाय हों, जंगलों में विभिन्न वन-उत्पाद बीन रहे लोग हों, किसान या खेत-मजदूर हों या बेघर लोग हों, वे प्रायः वर्षा-तूफान के समय भी खुले में ही पाए जाते हैं और इस स्थिति में आकाशीय बिजली गिरने पर उसकी चपेट में आ जाते हैं।
इससे मिला-जुला एक अन्य कारण है कि इनमें से अनेक लोग जैसे गड़ेरिये, घुमंतू समुदाय, प्रायः एक समूह में होते हैं, जिससे पूरे एक समूह के आकाशीय बिजली गिरने पर उसकी चपेट में आ जाने की संभावना बढ़ जाती है। सैनीटेशन का कार्यक्रम चलने के बावजूद अभी भी बहुत से लोगों के आवास में शौचालय नहीं हैं और वे वर्षा-तूफान की स्थिति में भी घर से काफी दूर शौच के लिए जाते हैं।
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यदि पर्याप्त चेतावनी के यंत्र लगाए जाएं तो इसकी चेतावनी 45 मिनट पहले तक मिल सकती है। इस चेतावनी को लोगों तक पहुंचाने वाले ऐप भी उपलब्ध हैं। इस तरह भरपूर प्रयास किए जा सकते हैं और जरूर किए जाने चाहिए ताकि आकाशीय बिजली गिरने की पूर्व चेतावनी लोगों तक पंहुच सके। यह काम सरल नहीं है और सफलता की पूरी संभावना तो बहुत ही कठिन है। फिर भी प्रयास यह होना चाहिए कि जितना संभव हो अधिकतम लोगों तक पूर्व चेतावनी पहुंच सके।
आकाशीय बिजली गिरने के समय क्या सावधानियां अपनानी चाहिए, इसका प्रचार-प्रसार विभिन्न क्षेत्रों की विशिष्ट स्थितियों के आधार पर किया जाना चाहिए। जितनी तैयारियां बाढ़ जैसी बड़ी आपदाओं के संदर्भ में की जाती हैं, प्रायः इस तरह का ध्यान आकाशीय बिजली गिरने की आपदा की ओर नहीं दिया जाता है। पर इससे बढ़ रही मौतों की स्थिति को देखते हुए आकाशीय बिजली गिरने पर आपदा से सुरक्षा प्राप्त करने पर अधिक ध्यान देना बहुत जरूरी हो गया है।
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सैनीटेशन की स्थिति सुधारने से भी वर्षा-तूफान और आकाशीय बिजली गिरने से बेवक्त बचाव संभव होगा। आकाशीय बिजली की चपेट में आने से जिन लोगों को तुरंत इलाज की आवश्यकता होती है, उसकी अपेक्षाकृत कहीं बेहतर तैयारी सामुदायिक और जिला अस्पतालों में उपलब्ध होनी चाहिए।
कब और कहां आकाशीय बिजली गिरेगी, इस पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं है, पर इससे होने वाली क्षति को हम अवश्य कम कर सकते हैं और प्रभावित व्यक्तियों या उनके परिवारों की बेहतर सहायता भी की जा सकती है। इन स्तरों पर प्रयासों में हमें पीछे नहीं रहना चाहिए।
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