विचार

कमला हैरिसः हीरो वही जो सच के लिए खड़ा हो, अमेरिका की पहली महिला उपराष्ट्रपति से दुनिया को उम्मीद

कमला मानती हैं कि एक प्रगतिशील अभियोजक का काम उन असमानताओं और गैर-वाजिब पहलुओं पर प्रकाश डालना है, जिसके कारण अन्याय होता है। यह समझने की जरूरत है कि हर किसी को दंडित करने, सजा देने की जरूरत नहीं। बड़ी तादाद ऐसे लोगों की है जिन्हें बस मदद की जरूरत होती है।

फोटोः gettyimages
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कमला हैरिस के मां-बाप प्रवासी हैं। वह ऐसी अमेरिकी उपराष्ट्रपति हैं, जिनके बारे में शायद सबसे ज्यादा लिखा गया है। इस शानदार शख्सियत पर अब तक कई किताबें आ चुकी हैं और इस कड़ी में ताजातरीन किताब का नाम है ‘कमला हैरिस: द अमेरिकन स्टोरी दैट बिगैन ऑन इंडियाज शोर।’ हैशे इंडिया से प्रकाशित इस जीवनी को हंसा मखीजानी जैन ने लिखा है।

अमेरिकी उपराष्ट्रपति की मां एक भारतीय प्रवासी हैं और पिता जमैका मूल के अमेरिकी। कमला विदुषी महिला हैं और उन्होंने खुद भी तमाम किताबें लिखी हैं। 2019 में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव का प्रचार शुरू होने से ऐन पहले उनकी एक किताब आई थी- ट्रूथ्स वी होल्ड। इस किताब में कमला उन मूल्यों की बात करती हैं, जिन्हें वह अहम मानती हैं। इस किताब से उनके कॅरियर के खास पड़ावों से लेकर उनके जीवन दर्शन के बारे में जानकारी मिलती है। कमला को सालों-साल प्रेरणा देने वाले लोगों और ऐसे रिश्तों के बारे में भी इस किताब में बताया गया है।

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इस किताब में कमला हैरिस के तमाम वक्तव्यों का इस्तेमाल किया गया है जिससे पता चलता है कि अपने सार्वजनिक जीवन में उनका जो नजरिया रहा, उसके पीछे का दर्शन क्या है। किताब में एक जगह उन्हें ऐसे उद्धृत किया गयाः ‘वह व्यक्ति देशभक्त नहीं जो अपने देश के हर ऐसे-वैसे काम को नजरअंदाज कर दे। देशभक्त वह व्यक्ति है जो देश के आदर्शों के लिए हर दिन लड़ता है।’

वह टिप्पणी करती हैं, ‘हम अपने सामने खड़ी सबसे मुश्किल समस्याओं को तब तक हल नहीं कर सकते जब तक हम उन्हें ईमानदारी से समझ नहीं लेते, जब तक हम कठिन बातचीत के लिए खुद को तैयार नहीं करते और जो भी तथ्य हो, उसे स्वीकार नहीं करते। हमें सच बोलने की जरूरत है कि इस देश में नफरत की तमाम ताकतें अस्तित्व में हैं जैसे नस्लवाद, लिंगवाद, होमोफोबिया, ट्रांसफोबिया और यहूदी-विरोध। हमारे लिए जरूरी है कि हम इनका मुकाबला करें।’

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बड़ी बेबाकी से वह कहती हैं, ‘मूल अमेरिकियों को छोड़कर हम सभी ऐसे मां-बाप की संतानें हैं, जिनका जन्म यहां की धरती पर नहीं हुआ। चाहे हमारे पूर्वज एक सुख-सुविधासंपन्न भविष्य की उम्मीद में स्वेच्छा से यहां आए, या कैदियों से लदे जहाज में भरकर जबर्दस्ती यहां लाए गए या फिर अपने खौफनाक अतीत से भागते हुए यहां आ पहुंचे।’

अमेरिकी उपराष्ट्रपति ने बच्चों के लिए भी एक किताब लिखी है। यह पुस्तक तीन से सात साल की उम्र के नन्हे पाठकों के लिए है। यह एक सचित्र पुस्तक है। कौन सी खासियत किसी को सुपरहीरो बनाती है? क्या यह उड़ान भरने की क्षमता है- या यह दया, बहादुरी और विपरीत परिस्थितियों में भी सही काम करने की काबलियत है? वह अपने युवा पाठकों को बताती है कि ‘सुपर पावर’ का मिलना मुश्किल ही है। वह तर्क देती हैं कि किसी व्यक्ति का हीरो जैसा काम करना चरित्र और चुनने की बात है। वह यह कहते हुए अपने युवा पाठकों में आदर्श मूल्यों के बीज डालने की कोशिश करती हैं कि सुपरहीरो तो हर जगह मौजूद होते हैं। वह कहती हैं: ‘हीरो वही होता है जो सच के लिए खड़ा हो। आपके जीवन में सच के लिए कौन खड़ा होता है?’

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सार्वजनिक जीवन में प्रवेश करने से पहले कमला हैरिस एक वकील और प्रोसेक्यूटर थीं। वर्ष 2003 में कमला पहली बार सैन फ्रांसिस्को डिस्ट्रिक्ट की अटॉर्नी चुनी गईं। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के प्रचार के दौरान कमला हैरिस की डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी के रूप में भूमिका चर्चा का विषय रही। पुस्तक लेखिका के तौर पर कमला हैरिस का सफर वर्ष 2009 में शुरू हुआ। उनकी पहली पुस्तक का विषय आपराधिक न्याय था। इसमें उन्होंने मौजूदा आपराधिक न्यायिक प्रक्रिया और उसकी प्रासंगिकता की बात की।

वह लिखती हैं, ‘एक प्रगतिशील अभियोजक का काम उन बातों और तथ्यों को प्रकाश में लाना है जिनकी ओर लोगों का ध्यान नहीं जाता, उन लोगों की ओर से बोलना जिनकी आवाज नहीं सुनी जा रही है, अपराध के कारणों को समझना और उनका निराकरण करना। अपराध के परिणामों ही नहीं, उनके कारणों पर भी गौर करना। उन असमानताओं और गैर-वाजिब पहलुओं पर प्रकाश डालना जिसके कारण अन्याय होता है।’ उनके नजरिये को इस बात से भी समझा जा सकता हैः ‘यह समझने की जरूरत है कि हर किसी को दंडित करने, सजा देने की आवश्यकता नहीं। बड़ी तादाद ऐसे लोगों की है जिन्हें बस मदद की जरूरत होती है।’

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कमला हैरिस की भतीजी हैं मीना हैरिस। मीना हैरिस ने कमला और अपनी मां माया के सम्मान में 2020 में एक किताब लिखी। इस किताब का नाम था- कमला एंड मायाज बिग आइडिया। यह किताब एक सच्ची घटना से प्रेरित है। कमला हैरिस और माया दोनों की उम्र तब कम ही थी। उनके अपार्टमेंट का कोर्टयार्ड खाली ही रहा करता था। ऐसे में इन दोनों बहनों ने इसे कम्युनिटी गार्डन में बदलने का फैसला कर लिया। इसके लिए दोनों ने फल और सब्जियों के बीज लगाए।

साफ है, कमला आगे चलकर कैसे व्यक्तित्व में ढलने वाली हैं, समाज के प्रति उनका नजरिया क्या रहने वाला है और इसके लिए वह निजी तौर पर कुछ करने के लिए कितना श्रम करेंगी- ये बातें उनके बचपन से ही दिखने लगी थीं। माना जा सकता है कि अमेरिका के उपराष्ट्रपति के रूप में कमला हैरिस का कार्यकाल शायद मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील रहे और दुनिया को उम्मीदों की नई रोशनी देने वाला साबित हो।

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