भारत में संवेदनशील सैन्य ठिकाने पर पहली बारड्रोन से हमले को अंजाम दिया गया है। जम्मू में भारतीय वायु सेना के बेस पर 27 जून को दो ड्रोन से भेजे कम तीव्रता वाले विस्फोटक से धमाके किए गए। पहला धमाका रात 1:37 बजे एक छत पर हुआ जबकि पांच मिनट बाद दूसरा धमाका खुले इलाके में हुआ जिसमें वायुसेना के दो जवान मामूली तौर पर जख्मी हुए।
वैसे तो इन पंक्तियों को लिखे जाने तक यह पता नहीं चल पाया है कि इसके पीछे कौन हैं और ड्रोन भी आंखों से ओझल हो गए, इन घटनाओं ने राष्ट्रीय सुरक्षा पर तो सवाल खड़े कर ही दिए हैं। यहां से पाकिस्तान के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा सिर्फ 16 किलोमीटर पश्चिम में है। निशाना वायुसेना स्टेशन रहा जो सबसे संवेदनशील स्थानों में से एक है। स्वाभाविक ही सवाल सैन्य खुफिया इकाई की संभावित विफलता और हमले से पहले और बाद में, ड्रोन के इस तरह गायब हो जाने को लेकर तो उठते ही हैं, इतने महत्वपूर्ण रक्षा संस्थान पर इस तरह के हमले की वजह से देश और इसके नागरिकों की सुरक्षा की सरकार की क्षमता को लेकर भी प्रश्न उठते हैं।
Published: undefined
जम्मू-कश्मीर सीमाई प्रदेश है। यहां करीब 30 साल से आतंकवादी घटनाएं लगातार हो रही हैं। घुसपैठ की यहां अनगिनत घटनाएं होती रही हैं। ऐसे में, इस इलाके में बहुत अधिक सतर्कता और गहराई से निगहबानी की अपेक्षा की जाती है। तब तो और भी जब देश के पहले चीफ ऑफ जनरल स्टाफ बिपिन रावत ने अभी कुछ ही दिन पहले समाचार एजेंसी एएनआई से कहा था कि पाकिस्तान के साथ नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर संघर्ष विराम जारी है लेकिन ‘ड्रोन के जरिये हथियारों और मादक पदार्थों की घुसपैठ’ के कारण आंतरिक शांति को बाधित किया जा रहा है। उन्होंने यह भी जोड़ा था कि ‘यह शांति के भविष्य के खयाल से अच्छा नहीं है क्योंकि ये मादक पदार्थ और हथियार आंतरिक शांति प्रक्रिया को बाधित करने वाले हैं।’
भारत की रक्षा स्थितियों की चीन जांच-परख कर चुका है। उसकी सेनाओं ने लद्दाख के बड़े हिस्से पर अब भी कब्जा कर रखा है। यह ड्रोन हमला देश की मारक क्षमता और अपनी सेना पर हमला रोकने या उसका प्रतिकार करने की उसकी क्षमता के आकलन के लिए टोह लेने वाला या आतंकी मिशन भी हो सकता है। आखिरकार, ये ड्रोन छोटे, कम रेन्ज, नीची उड़ान भरने, साधारण डिजाइन वाले, भारी और आधुनिक युद्ध सामग्री ढोने में अक्षम थे। संयोगवश, अगली ही रात एक अन्य हमला विफल कर दिया गया जब सेना की क्विक रिएक्शन टीमों ने जम्मू वायुसेना की तरफ बढ़ते दो अलग-अलग ड्रोन पर कालूचक सैन्य क्षेत्र में गोलियां चलाईं। फिर भी, जैसा कि रक्षा प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल देवेन्दर आनंद ने एक बयान में बताया, ये दोनों ही ड्रोन भाग निकले।
Published: undefined
सरकार पर राष्ट्रीय सुरक्षा के अतिक्रमण करने वाले इन मुद्दों को स्पष्ट करने का संवैधानिक दायित्व है क्योंकि नागरिक जानना चाहते हैं कि वे देश के तौर पर कितने सुरक्षित हैं। सरकार जिस तरह गोपनीयता बरत रही है, उससे कयासबाजियों का बाजार गर्म हो रहा है। वायुसेना के मास्टर कंट्रोल सेंटर (एमसीसी) के ट्वीट्स में ड्रोन्स का कोई उल्लेख नहीं है। इसमें कहा गया है कि ‘जम्मू एयरफोर्स स्टेशन के टेक्निकल एरिया में रविवार तड़के दो कम तीव्रता वाले धमाके हुए। एक से भवन की छत को मामूली नुकसान हुआ जबकि दूसरा खुले क्षेत्र में हुआ।’ एक अन्य ट्वीट में कहा गया किः ‘किसी उपकरण को कोई क्षति नहीं पहुंची। सिविल एजेंसियों के साथ मिलकर जांच की जा रही है। अब भी यह स्पष्ट नहीं है कि इसमें एक ड्रोन इस्तेमाल किया गया या दो। वे कहां से आए, यह भी स्पष्ट नहीं है लेकिन सूत्रों ने बताया कि ड्रोन या ड्रोन्स के जम्मू क्षेत्र के अंदर और वायु सेना स्टेशन के पास से ऑपरेट किए जाने की संभावना है।’ जम्मू टेक्निकल एयरपोर्ट पर कोई लड़ाकू विमान नहीं रखा गया है, पर इस बेस पर एमआई-17 हेलिकॉप्टर और ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट रखे गए हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनएसजी) समेत तमाम एजेंसियां जांच की जा रही हैं कि यह किसी स्थानीय स्तरके लॉन्च पैड की करतूत है या ड्रोन्स को उड़ाने के लिए किसी दूर के इलाके का उपयोग किया गया।
वैसे तो अधिकारियों ने कुछ स्पष्ट आरोप नहीं लगाए हैं, पर जम्मू- कश्मीर डीजीपी दिलबाग सिंह ने कहा है कि आतंकी संगठन लश्कर-ए- तैयबा के हाथ का संदेह है। यह घटना जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा जम्मू में 5 किलोग्राम विस्फोटक के साथ एक लश्कर आतंकी की गिरफ्तारी के कुछ ही घंटे बाद हुई। वैसे, इसमें पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई के हाथ होने की भी आशंका जताई जा रही है क्योंकि अब तक किसी आतंकी संगठन ने इसकी जिम्मेदारी नहीं ली है।
Published: undefined
जैसी कि अपने यहां रवायत है, जब बाढ़ का एक झोंका आ जाता है, तब हम सतर्क होते हैं, रक्षा क्षेत्र में ‘भविष्य की चुनौतियों’ को लेकर हमारे यहां बैठकें हो रही हैं जिनमें ड्रोन टेक्नोलॉजी समेत विभिन्न तरह के उपकरणों की खरीद आदि पर विचार किया जा रहा है। वैसे, रक्षा मंत्रालय के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने भी ड्रोन-प्रतिरोधी टेक्नोलॉजी विकसित की है। इसके चेयरमैन जी. सतीश रेड्डी ने कथित तौर पर दावा किया है कि नया विकसित सिस्टम उभर रहे वायु-जनित खतरों से निबटने के लिए सेना को ‘सॉफ्टकिल’ और ‘हार्डकिल’- दोनों किस्म के विकल्प दे सकता है। ‘सॉफ्टकिल’ के तहत ड्रोन को जाम कर देने की व्यवस्था है जबकि दूसरा लेजर-फायरिंग सिस्टम है। दोनों में सुरक्षा को खतरा पहुंचाने वाले छोटे ड्रोन्स की तेजी से पहचान करने, उन्हें बाधित करने और उन्हें मार गिराने की क्षमता है। इस सिस्टम का उपयोग कुछ अवसरों पर किया भी गया हैः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2020 में स्वतंत्रता दिवस पर जब लाल किले पर झंडा फहराया था, उस वक्त और उससे भी पहले जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अहमदाबाद के मोटेरा स्टेडियम में आए थे, तब इसका उपयोग किया गया था। डीआरडीओ अधिकारियों का कहना है कि सिस्टम अब भी प्रोटोटाइप स्टेज पर है। एक को वाहन में लगाया गया था जबकि एक अन्य को जमीन पर और डीआरडीओ ने इसका परीक्षण किया था। इसकी टेक्नोलॉजी भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) को दी गई है और इसने निजी कंपनियों को भी यह टेक्नोलॉजी देने की इच्छा जताई है। यह साफ नहीं है कि जब डीआरडीओ इसकी जांच कर चुका है, तब इसके ऑपरेशनल होने में समय क्यों लग रहा है जबकि यह प्रभावी हो जाए, तो यह सरकार के आत्मनिर्भर भारत अभियान के लिए महत्वपूर्ण उपलब्धि हो सकती है।
Published: undefined
इसकी जगह नौसना ने इसरायली कंपनी स्मार्ट शूटर द्वारा उत्पादन किए जाने वाले ड्रोन-प्रतिरोधी स्मैश 2000 प्लस फायर कंट्रोल एंड इलेक्ट्रो-ऑप्टिक साइट्स सिस्टम खरीदने का विकल्प चुना। वैसे, इसरायली कंपनी टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के जरिये भारत में इस सिस्टम को सह-उत्पादित करेगी और वह दो अन्य सेवाओं के साथ इस पर बात कर रही है। जो भी हो, अगले साल से पहले इसकी डिलिवरी नहीं होने जा रही है। यह भी साफ नहीं है कि डीआरडीओ के उत्पाद का क्या भविष्य है।
2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने राष्ट्रीय सुरक्षा को अपने प्रचार अभियान का प्रमुख मुद्दा बना दिया था और उसने पुलवामा में हुए आतंकवादी हमले में सीआरपीएफ के 20 से अधिक जवानों के शहीद होने पर बालाकोट में हवाई हमला भी किया था। आज जब चीन की सेना पूर्वी लद्दाख में डटी हुई है और पाकिस्तान की ओर से नियंत्रण रेखा का खुलकर उल्लंघन किया जा रहा है, एक बार फिर राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद को चुनावी मुद्दा बनाने की पृष्ठभूमि तैयार हो चुकी है।
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined