अजी सुनते हो?
अब आज फिर कोई नई बकवास लाई हो?
हमारी लाई अच्छी खबर भी अगर तुम्हें बकवास लगती है तो भगवान ही तुम्हारा मालिक है। जाओ हम नहीं सुनाते। तुम्हें मालूम है कि आजकल तुम घर पर पड़े-पड़े, हमें न जाने कितनी बकवास सुनाते रहते हो। हम सब बर्दाश्त करते हैं या नहीं? कभी मुंह भी खोलते हैं?
अरे तुम तो फौरन नाराज हो जाती हो। अच्छा बताओ बात क्या है?
तुम सुनोगे तो तुम्हारा दिल खुशी से उछल पड़ेगा। इतना उछल पड़ेगा कि दिल की जो बीमारी है न तुम्हारी, वह एकदम से ठीक हो जाएगी। ऐसी फर्स्ट क्लास खबर लाई हूं। जिंदगी भर में ऐसी बढ़िया खबर नहीं पढ़ी मैंने।
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पहले सुनाओ तो क्या कुछ ऐसा गजब हो गया?
सुनोगे, अच्छा सुनो। अपना इंडिया है न, आज से मुसलमानों का स्वर्ग बन गया है। अखबार में ऐसा छपा है। यह कोई ख्वाब नहीं है, हकीकत है। इधर लॉकडाउन लगा, उधर इंडिया हमारा स्वर्ग बन गया। लॉकडाउन जिंदाबाद। पढ़ो खबर पढ़ो।
अखबार तो बाद में पढ़ेंगे। पहले तुम इसे मुसलमानों का स्वर्ग कहना छोड़ो। भगत लोग वैसे ही छोटी-छोटी बातों से हम पर दिन-रात पिले रहते हैं। और नई मुसीबत मत खड़ी करो। क्या कहते हैं उसे, हां,उनकी भावनाएं आहत हो जाती हैं। इसलिए स्वर्ग नहीं, जन्नत कहो, जन्नत। तुम भी सेफ रहोगी और हम भी!
अच्छा भई जन्नत कह लो। कुछ भी कह लो, क्या फरक पड़े है।
आजकल बहुत पड़ता है। अच्छा तो क्या कह रही थीं तुम, आज से हमारा ये मुल्क मुसलमानों की जन्नत बन चुका है?
हां, जी और क्या? मिठाई खिलाओ, मिठाई। आज से या मुमकिन है, कल से ही बन चुका होगा और हमें आज खबर यह लगी होगी। मैं कहती थी न कि मोदीजी एक न एक दिन इसे हमारी जन्नत बनाकर ही मानेंगे और उन्होंने बनाकर दिखा दिया! अब बताओ, अकल के मालिक तुम हो या हम हैं?
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अच्छा भई तुम हो। अमां अब मेरा टैम खराब मत करो। अखबार-वखबार में कुछ न छपा होगा, दिन में जागते-जागते, तुमने कोई ख्वाब देखा होगा। आजकल तुम ख्वाब बहुत देखने लगी हो।यहां रोज जान सांसत में पड़ी रहती है और तुम्हें रोज ऐसे सुनहरे ख्वाब दिखने लगे हैं। गजब हो भाई। तुम्हारे बाप ने एक नमूना पैदा किया और हमारे गले में बांध दिया। गलती हमारे अब्बा हुजूर की भी थी। क्या करें। पछता रहे हैं अब।
यही तो गड़बड़ है तुम में। जरा धीरज नहीं है। मेरे अब्बा हुजूर को अगर ये पहले पता होता तो वे कतई तुम्हारे पल्ले मुझे न बांधते। ये ख्वाब नहीं जनाब, हकीकत है, हकीकत। तुम्हारे जैसे लोग हकीकत भी नहीं देख सकते। आज ये खबर अखबार में छपी है, देखो तो, ये है, यहां है। वो अपने मनिस्टर हैं न मुख्तार अब्बास नकवी साहब, उन्होंने यह कहा है।
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जो अपना जमीर बेच चुके, उनकी बात पढ़कर तुम मुझे सुना रही हो? मुसलमानों के नाम पर मनिस्टर बने बैठे हैं तो ऐसी बकवास तो करेंगे ही, वरना उनकी नौकरी जाती रहेगी। उनको अपनी नौकरी की परवाह है, तुम्हारी जिंदगी की नहीं, समझीं।
अजी तुमसे तो हम बहुत समझ चुके अब तक। अरे कैबिनेट मनिस्टर हैंं। तुमसे तो चाय-बिस्कुट की एक दूकान तक नहीं चलाई गई। वो पूरे मुल्क की मनिस्ट्री चला रहे हैंं। वो भी किसी और के नहीं, मोदीजी के मंत्रिमंडल में। वो बकवास करेंंगे कि तुम कर रहे हो?
अब मेरी जान भी छोड़ोगी? हो गई न तुम्हारी खुशखबरी की खबर पूरी? कि और भी कुछ है अब?
तुम्हें तो कोई भी अच्छी बात, अच्छी नहीं लगती। अभी हम कहते कि अब यह मुल्क मुसलमानों का ही नहीं, हर सच्चे हिंदुस्तानी का नरक बन चुका है तो तुम कहते, हां आज तुमने बड़े दिनों बाद पते की बात कही है। कहते कि नहीं कहते, बताओ? मेरी कसम सच कहना, झूठ मत बोलना। झूठ से नफरत है हमें।
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सच तो यही है, जो मैं कहता हूं।
नहीं मैं तो नकवी साहब की बात पर ही यकीन करूंगी।
करो भई करो। मुझे छोड़कर सबकी बात पर यकीन करो। तुम्हारा बड़ा सगा है न वो, करो। उसी की बात पर यकीन करो।
अरे वो मनिस्टर है। ऊपर से हुक्म आया होगा कि इस मुल्क को आज से मुसलमानों की जन्नत बताना है। नीचे के बाबुओं ने ऐसी फाइल बनाई होगी। मनिस्टर ने साइन किए होंगे। प्राइम मनिस्टर साहब ने भी इस पर साइन किए होंगे। तब जाकर नकवी साहब ने यह मुनादी की होगी।तुम्हें तो पता ही है कि पिछले छह साल से मोदीजी ने इसके लिए खून-पसीना बहाया है। देखा नहीं आजकल मोदीजी को देखकर साफ लगता है कि इस आदमी में खून ही नहीं बचा है, वह हड्डियों का ढांचा बनकर रह गए हैंं।
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फिर भी बेचारे इस मुल्क को मुसलमानों की जन्नत बनाने में लगे हैंं। हिंदू खफा हो रहे हैं, कह रहे हैं कि मोदी जी इस्तीफा दो, वोट हमसे लिया और जन्नत इसे मुसलमानों की बना दिया। धोखेबाज। उधर मोदीजी कह रहे हैं, चाहे जो हो जाए, मेरी हड्डियां गल जाएं, मगर मैं हिंदुस्तान को मुसलमानों की जन्नत बना कर ही रहूंगा। यही ख्वाब लेकर मैं मुल्क का प्राइम मिनिस्टर बना था।
तुम अब मजाक कर रही हो या सीरीयस हो?
हे खुदा, हमने तुमसे कभी मजाक किया है? जवानी में नहीं किया तो अब बुढ़ापे में करेंगे?
तुम्हें मोदीजी हड्डियों का ढांचा नजर आ रहे हैं?
अरे ये देखने के लिए आंखें चाहिए आंखें, जिनके पास बटन हैंं, वे यह नहीं देख सकते। समझे कुछ?बटनी आंखों वाले मियां। मोरा बलमा है बटनी आंखों वाला, मोरा बलमा।
तुम्हारा दिमाग फिर तो नहीं गया है कहीं? लगता है पागलखाने में तुम्हें भरती करना पड़ेगा।
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मोदी है तो मुमकिन है। मोदीजी, तुम्हारी किरपा से बशीरन अब जन्नत में रहने लगी है। देखा मोदी का कमाल। यहां भी जन्नत, वहां भी जाऊंगी तो वहां भी जन्नत हाजिर मिलेगी। मैं जन्नती हूं, मियां, अब। तुम भी जल्दी बन जाओ। मैं खुदा हाफिज़ कहूं, उससे पहले लगाओ मेरे साथ तुम भी नारा, मोदी है तो मुमकिन है। लगाओ वरना मैंं तुम्हारा भुरता बना दूंगी और भुरता खाना मुझे बहुत, बहुत ही पसंद है, बहुत लजीज़ होता है भुरता। बहुत लजीज़।
अरे सुनो. कोई है? मेरी बीवी लगता है, पागल हो गई है। लॉकडाउन में इसे पागलखाने भी नहीं ले जा सकता। हे खुदा, हे परवरदिगार, मेरी मदद कर। चालीस साल से ये मेरी बीवी है। इसका ये हाल तो कभी नहीं हुआ था। बशीरन, बशीरन, होश में आओ। तुम्हारे बगैर तो मैं जीते जी मर जाऊंगा, बशीरन। हमारे दो बच्चे पहले हलाक हो चुके हैं और अब बीवी का ये हाल है। उठा ले अल्लाह मेरे, मुझे भी उठा ले अब।
मोदी है तो मुमकिन है। लगा ए मेरे मियां, लगा नारा। तू देशभगत है या देशद्रोही। बता, जल्दी बता।
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