वैसे तो इस हफ्ते भी मैं बुरी खबरों पर लिख सकता था। इधर मोदीजी की विशेष कृपा से बुरी खबरों की फसल देश में सर्वत्र लहलहा रही है। उत्पादक लाभ में हैं, उपभोक्ता घाटे में। इसके बावजूद मैंने सोचा कि इस बार कुछ नया करते हैं। बुरी नहीं, अच्छी खबरों पर ध्यान देते हैं। अभी मलयालम के दो टीवी चैनलों को दिल्ली पुलिस और संघ के खिलाफ बोलने पर सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया था, इसलिए सकारात्मक खबरों पर ध्यान देना ही आज की तारीख में सबसे सुरक्षित है।
वैसे पहली अच्छी खबर आपके पास होगी कि प्रधानमंत्री आज से यानी इस रविवार से सोशल मीडिया छोड़ने की सोच रहे थे। छोड़ नहीं रहे हैं, यह अलग बात है। वह सोच रहे थे, यह बहुत बड़ी बात है। वैसे आशा है कि सोचकर भी वह इसी निष्कर्ष पर पहुंचेंगे कि इस दुनिया में पत्नी के अलावा कुछ भी छोड़ने योग्य नहीं है। उनके लाखों-करोड़ों भक्त आश्वासत रहें कि उनके भगवान उनको अनाथ छोड़कर नहीं जाने वाले। आपको अनाथ छोड़ा तो पक्का समझिए, वह भी अनाथ हो जाएंगे!
Published: undefined
वैसे ये भक्त भी कोई भक्त हैं! सोशल मीडिया छोड़ने की बात पर इन्हें तूफान उठा देना चाहिए था, देश भर में तिरंगा जुलूस निकाल देने चाहिए थे, मगर लगता है कि उनकी सेहत पर इस खबर से कोई फर्क ही नहीं पड़ा! लानत है। खैर छोड़िए। भक्त कब किसके हुए हैं, जो मोदीजी के होंगे!
हां तो फिर भी मोदीजी की साइड से दूसरी अच्छी खबर यह है कि प्रधानमंत्री अब सोचने लगे हैं।और तो और सोचने में एक-एक हफ्ते का समय लेने लगे हैं! मतलब तो इसका यह निकलना चाहिए कि वह गहन चिंतन करने लगे हैं! अब सवाल यह पैदा होता है कि क्या गहन चिंतन उन्हें इसकी अनुमति देगा?
क्या इसका आशय यह भी है कि प्रधानमंत्री संघ-बीजेपी की परंपरा से हटने लगे हैं? अगर यह सच है तो संघ के लिए इससे बुरी खबर कुछ और हो ही नहीं सकती। इसलिए संघ के लिए संघ-दक्ष होने का समय आ चुका है। संघ प्रमुख दक्षता से इसका नोटिस लें। समय पर चेतें वरना इसके दुष्परिणाम उन्हें झेलने पड़ सकते हैं।
Published: undefined
तीसरी खबर यह है कि प्रधानमंत्री ने इस बीच इस खबर को बेहद गोपनीय रखा कि उन्होंने सोचना आरंभ कर दिया है। किसी को इसकी हवा तक नहीं लगने दी। उनके किसी भाषण से, किसी कदम से यह आभास नहीं हुआ। अगर वह स्वयं इस गोपनीयता को भंग न करते तो हमें पता भी नहीं चलता कि 'सबका साथ, सबका विकास' के साथ ऐसी घटना या दुर्घटना घट चुकी है। हमें नहीं मालूम कि उन्होंने इसे अपने परम मित्र ट्रंप से शेयर किया या नहींं! वैसे दोस्ती का तकाजा तो यह है कि उन्हें ऐसा करना चाहिए था।
चौथी खबर यह है कि प्रधानमंत्री भी हम साधारण मनुष्यों की तरह दुविधा का शिकार होने लगे हैं।दुविधा न होती तो फौरन पिछले सोमवार को ही वह ट्वीट करके अपना निर्णय घोषित कर देते। वैसे कहते हैं कि दुविधा में- न माया मिलती है, न राम- जबकि आज उनके पास माया भी है और रामलला भी!
खुशफहमी पालने के लिए मान लेते हैं कि अंततः प्रधानमंत्री सोच-विचार के बाद सोशल मीडिया वाकई छोड़ देते हैं तो हो जिसे हताश होना हो, हम नहीं होंगे। हम इसलिए हताश नहीं होंगे, क्योंकि पत्नी के बाद पहली बार इस बंदे ने कुछ छोड़ा है! एक ही चीज मैं चाहता हूं कि वह न छोड़ें और वह है उनका कथित फकीरी झोला। वह झोला जिसे उठाकर प्रधानमंत्री पद छोड़ने की धमकी उन्होंने कुल एक बार दी थी। तो यह झोला न छोड़ें वरना पद तो जाएगा ही, भक्तों के मन में बसी उनकी 'फकीर' की इमेज भी चली जाएगी। अटैचियां लेकर चल देने वाले को भारतीय परंपरा में फकीर नहीं माना जाता।
Published: undefined
वैसे मैं मोदीजी को सुझाव देने की काबिलियत तो नहीं रखता लेकिन नाकाबिल ही आजकल सबसे काबिल माने जा रहे हैं और नाकाबिल ही नाकाबिलों को सुझाव दे रहे हैं, तो मैं भी एक सुझाव दूंगा कि जब मोदीजी आप सोचने ही लग गए हैं तो मन की बात करना छोड़कर, तन की बात किया कीजिए! आम राय है कि आपके पास मन है नहीं, तन ही तन है। इस तन के लिए आप न जाने क्या-क्या उपाय करते हैं। इसके हित महीने में न जाने कितने किलो, कितने लाखों के आयातित मशरूम खाते हैं। महीने में न जाने कितने कपड़े सिलवाते हैं और न जाने कितने मूल्य के कितने सारे देसी- विदेशी जूते खरीदते हैं। न जाने कितनी-कितनी कीमती घड़ियां खरीदते हैं।
इन सब के बारे में अगर वह हमारा ज्ञानवर्धन किया करें तो देश के युवक-युवतियों, अधेड़-अधेड़ियों को वास्तविक प्रेरणा मिलेगी। आखिर में वह यह भी बता दें कि तन के लिए इतना खर्च वह अपनी तनख्वाह और भत्तों से मैनेज कैसे कर लेते हैं! मैनेजमेंट का यह महत्वपूर्ण गुर वह लोगों को जरूर सिखाएं, बेशक वे 15 लाख न दें, जो वह 2014 में ही देने वाले थे!
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined