पश्चिम बंगाल में केंद्र की तरफ से अंतर मंत्रालय टीम भेजने को लेकर केंद्र और राज्य सरकार आमने सामने आ गए हैं। टीम ने आरोप लगाया है कि उसे राज्य में दौरा करने नहीं दिया जा रहा है, वहीं केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस पर कड़ा ऐतराज जताया है। गृहमंत्रालय ने निर्देश दिए कि राज्य सरकार केंद्र के काम में दखलंदाजी ना करे। इस टीम को भेजे जाने पर ममता बनर्जी ने सोमवार को ही ऐतराज जाहिर किया था। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूछा था कि इस टीम को भेजे जाने की वजह बताएं, वरना वे इसे आने की इजाजत नहीं देंगी।
सवाल है कि आखिर गैर-बीजेपी शासित राज्यों में मोदी सरकार को लॉकडाउन उल्लंघन के मामले नजर आ रहे हैं। कुछ बानगी देखें :
अब यह देखें:
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तो क्या कुछ राज्य केंद्र द्वारा लागू किए गए लॉकडाउन का पालन करने में आनाकानी कर रहे हैं। लेकिन ध्यान रहे कि पीएम मोदी द्वारा लॉकडाउन 2.0 की घोषणा से पहले ही ओडिशा, पंजाब और तेलंगाना अपने यहां लॉकडाउन की अवधि बढ़ाने का ऐलान कर चुके थे।
तो क्या माना जाए कि केंद्र और राज्यों के बीच तालमेल का अभाव है या फिर इसे राजनीतिक स्टंट माना जाए?
दरअसल कोरोना महामारी जैसे संकट के जौर में केंद्र सरकार को बिना किसी भेदभाव केइस बीमारी के प्रसार को रोकने की कोशिश करनी चाहिए और ऐसे में राज्य सरकारों पर राजनीतिक छींटाकशी के बजाए उन्हें साथ लेकर फैसले करने चाहिए। लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा है।इसीलिए राज्य अपने हिसाब से कदम उठाने के लिए मजबूर हो रहे हैं।
यहां यह भी देखना चाहिए की मौजूदा संघीय व्यवस्था में राज्यों के राजस्व का बड़ा हिस्सा केंद्र सरकार से आता है, लेकिन काफी समय से वह रुका हुआ है। जीएसटी का राज्यों को बकाया नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में साफ है कि केंद्र के लिए कुछ राज्यों के लिए कुछ नियम हैं और कुछ के लिए अलग।
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हाल ही में कई गैर-बीजेपी शासित राज्य कह चुके हैं कि पीएम के साथ वीडियो कांफ्रेसिंग में उठाई गई समस्याओं में से कुछ का ही हल अभी तक निकला है और बाकी मुद्दे बचे हैं। राज्यों के पास संसाधनों की भी कमी है। इसी सिलसिले में मंगलवार को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पीएम को पत्र लिखकर 30,000 करोड़ के आर्थिक पैकेज की मांग की है। पंजाब और पश्चिम बंगाल भी कई सप्ताह से आर्थिक पैकेज की मांग कर रहे हैं, लेकिन अभी तक इस बारे में केंद्र सरकार ने कोई फैसला नहीं लिया है।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पंजाब के मुख्यमंत्री के कैप्टन अमरिंदर सिंह भी पहले ही कह चुके हैं कि कोई भी राज्य बिना केंद्र की मदद के कोरोना जैसी महामारी से नहीं निपट सकता।
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इस बात पर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर गुजरात को अपने राज्य के लोगों को हरिद्वार से वापस बुलाने की छूट कैसे दे दी गई? सूत्रों का कहना है कि इसके लिए केंद्र सरकार की तरफ से लॉकडाउन में ढील उपलब्ध कराई गई। वहीं कई राज्यों के तमाम लोग 23 मार्च के बाद से ही कई दूसरे राज्यों में फंसे हैं लेकिन उनको लेकर कुछ नहीं हो पा रहा है। इसी तरह से मार्च के आखिरी सप्ताह में दिल्ली में आनंनद विहार बस अड्डे पर गरीब, मजदूरों के इकट्ठा होने के बाद सबसे पहले बसें भेजने की घोषणा उ.प्र. के मुख्यमंत्री ने ही की थी। और अब राजस्थान के कोटा से छात्रों को लाने के लिए विशेष बसें भेजी जा रही हैं।
मध्य प्रदेश सरकार ने भी 100 बसों का इंतजाम करे राजस्थान के कोटा से छात्रों को मंगाने का निर्णय लिया है। बिहार के एक बीजेपी विधायक ने अपने परिवार के छात्र को कोटा से मंगाने के लिए रसूख का इस्तेमाल किया।
सवाल है कि जब एक राज्य के लोगों को छूट मिल रही है तो दूसरे के साथ भेदभाव क्यों हो रहा है?
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