बुलडोजर द्वारा मकानों को गिराया जाना ‘फैशन’ बनता जा रहा है। यह बात हम नहीं कह रहे। यह मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का मानना है। यह एक कटु सत्य भी है। कम से कम बीजेपी शासित राज्यों में अधिकारीगण जरा-जरा सी बात पर नागरिकों के मकान-दुकान बुलडोजर द्वारा ढहा रहे हैं। इस क्रूर सजा का निशाना विशेषतया मुस्लिम समाज के कार्यकर्ता बन रहे हैं। इसका ताजा उदाहरण उत्तराखंड राज्य के हल्द्वानी में होने वाली घटना है जहां रात के अंधेरे में नगरपालिका के अधिकारियों ने पुलिस की गोलियों के बीच एक मस्जिद तथा उससे सटा मदरसा गिरा दिया।
Published: undefined
हल्द्वानी में पिछले कुछ महीनों से नगरपालिका एवं कथित अवैध बस्ती के बीच रस्साकशी चल रही थी। आरोप है कि हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर कई दशकों से गरीबों ने अवैध कब्जा कर वहां अपनी बस्ती बसा ली थी। लगभग तीन-चार माह पूर्व हल्द्वानी नगरपालिका अचानक चौंकी और यह फैसला लिया गया कि इस अवैध कब्जे को खत्म करवाया जाए। बस, नगरपालिका अधिकारी पुलिस की टीम लेकर उस बस्ती पर टूट पड़ी।
जब किसी का मकान छिनता है, तो वह स्वाभाविक रूप से बेचैन हो उठता है। वहां भी ऐसा ही हुआ। उस बस्ती के लोग भी नगरपालिका की कार्रवाई रुकवाने के लिए धरना-प्रदर्शन पर बैठ गए। इलाके के कुछ लोग भागकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत हल्द्वानी नगरपालिका की कार्रवाई पर रोक लगा दी। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि नगरपालिका उस बस्ती के निवासियों को पहले किसी जगह शिफ्ट करे और फिर बस्ती को ढहाए।
Published: undefined
लेकिन ताकत के नशे में चूर नगरपालिका अधिकारियों से रुका नहीं गया। वे उसी बस्ती में स्थित एक मस्जिद और उससे सटे मदरसे को गिराने पहुंच गए। बस्ती के लोग अब उत्तराखंड हाईकोर्ट दौड़े। हाईकोर्ट में उनकी याचिका दाखिल हो गई और कोर्ट ने बाद की तारीख भी दे दी। लेकिन कैसा कोर्ट और कहां की कचहरी, नगरपालिका अधिकारी फौज-फाटा के साथ बुलडोजर लेकर रात में ही मस्जिद एवं मदरसा गिराने पहुंच गए। जाहिर है कि बस्ती में खलबली मच गई। मजमा इकट्ठा हो गया। लोगों ने अधिकारियों को उत्तराखंड हाईकोर्ट में दाखिल याचिका दिखाई और मांग की कि कोर्ट सुनवाई तक अधिकारी रुक जाएं। लेकिन वहां तो अफसरों को सबक सिखाना था।
उसी रात के अंधेरे में बुलडोजर चल पड़े। बाबरी मस्जिद की तरह कुछ घंटों में हल्द्वानी की उस मस्जिद और मदरसा को ढहा दिया गया। इस बीच वहां इकट्ठा भीड़ भड़क उठी और भीड़ ने सरकारी अधिकारियों पर पथराव शुरू कर दिया। इसी बीच पुलिस ने भीड़ पर गोली चला दी। सरकारी सूत्रों के अनुसार, पुलिस कार्रवाई में पांच व्यक्तियों की मौत हो गई। अब इलाके में कर्फ्यू लगा हुआ है और बस्ती पुलिस छावनी बन गई है।
Published: undefined
खैर, भीड़ ने हल्द्वानी में जो कुछ किया, वह निंदनीय है। लेकिन पुलिस एवं नगरपालिका अधिकारियों ने भी जो किया, वह भी उतना ही निंदनीय है। जब उत्तराखंड हाईकोर्ट में मामले पर सुनवाई होने वाली थी, तो अधिकारियों को संयम से काम लेना चाहिए था। हद तो यह है कि उत्तराखंड के एक मंत्री ने अपने बयान में सरकारी अफसरों की न केवल पीठ थपथपाई बल्कि यह भी ऐलान कर दिया कि सरकार अब मस्जिद एवं मदरसे के स्थल पर पुलिस थाना कायम करेगी। लेकिन हल्द्वानी एवं उससे पूर्व दूसरी जगहों पर जो बुलडोजर न्याय चल रहा है, उसने बुनियादी सवाल यह खड़ा कर दिया है कि क्या हम एक आधुनिक युग में हैं या फिर भारत मध्यकालीन समय में चला गया है क्योंकि मध्यकालीन समय में राजा-महाराजा अपनी प्रजा को ऐसी ही सजा दिया करते थे। अब बीजेपी के राज में वही हो रहा है जो कभी अंग्रेज या राजा-महाराजा करते थे।
Published: undefined
अब बात केवल इतनी ही नहीं है कि उत्तराखंड में जो कुछ हुआ वह नहीं होना चाहिए था। देश में मुस्लिम समाज के प्रति जिस प्रकार का माहौल बन गया है, उसके बाद तो मौलिक प्रश्न यह है कि क्या अब इस देश में मुसलमान होना पाप है। स्थिति तो कुछ ऐसी ही है कि मुसलमान अब एक अपशब्द बन चुका है। तभी तो जब जिसका मन हो, वह मुसलमान व्यक्ति की लिंचिंग कर दे। सरकारी अफसर जब चाहें हल्द्वानी की तरह मुस्लिम समाज के साथ जहां भी चाहें जो सुलूक करें क्योंकि पूरा सरकारी तंत्र मुस्लिम समाज को जिस घृणा के साथ व्यवहार करता है, उससे बदला लेने (सबक सिखाने) की बू आती है।
लेकिन सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि देश की न्यायपालिका भी ऐसे अवसरों पर वैसी प्रतिक्रिया नहीं करती जैसी कि उससे अपेक्षा की जाती है। यदि न्यायपालिका चाहे तो केवल समाचारों के आधार पर स्वतः संज्ञान लेकर कार्रवाई कर सकती है। हल्द्वानी में जो कुछ हुआ वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरुद्ध है। तब भी सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर चुप है। यह अत्यंत दुखद बात है।
Published: undefined
जहां तक BJP का सवाल है, वह तो हिन्दुत्व के सिद्धांतों का पालन कर रही है। हिन्दुत्व राज में अल्पसंख्यकों, विशेषतया मुस्लिम समाज के कोई अधिकार नहीं हैं, और बीजेपी शासन वही कर रहा है। सिद्धांतों को तो जाने दीजिए, नेता वही करता है जिससे वह चुनाव जीतता है। हल्द्वानी में जो कुछ हुआ या ऐसी किसी भी घटना को बीजेपी चुनाव में भुनाने के लिए इस्तेमाल करती है और सफल होती है।
इसका एक उदाहरण 2023 में उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार ने नगर पालिका चुनाव में चुनावी रैलियों में बुलडोजर खड़े कर चुनाव जीता। उससे तो यही आभास होता है कि जनता मुसलमानों के विरुद्ध यही चाहती है जो बीजेपी उनके साथ कर रही है। यदि ऐसा ही है तब तो अब हिन्दू समाज के लिए स्वयं अपने दिलों में झांककर देखने का समय आ गया है।
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined