विचार

खरी-खरी: मोदी के ‘न्यू हिन्दू इंडिया’ में भारत की आत्मा भी पीड़ित

भले ही संविधान अभी भी भारत को एक सेकुलर देश कहता हो लेकिन केवल एक मूर्ख ही अभी भी देश को एक सेकुलर रिपब्लिक मान सकता है। यह एक कटु सत्य है कि भारत मोदी जी की छत्रछाया में अब एक हिन्दू राष्ट्र हो चुका है। यही आठ वर्षों में मोदी जी की सबसे अहम उपलब्धि है।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया 

नरेंद्र मोदी के सत्ता में आठ साल पूरे हो गए। इस समय चारों ओर मीडिया में मोदी जी की उपलब्धियों के गुणगान हो रहे हैं। ऐसा प्रतीत होता है, मानो मोदी जी से पूर्व इस देश में कोई दूसरा प्रधानमंत्री हुआ ही नहीं। पिछले 70 वर्षों में मानो देश में कोई कार्य एवं प्रगति हुई ही नहीं। यह आप जो कुछ देखते हैं, वह सब कुछ मोदी के नेतृत्व में देश ने प्राप्त किया है। पिछले आठ वर्षों में एक क्रांति हुई जिसने देश की कायापलट दी। इसमें कोई संदेह नहीं कि 2014 से 2022 के बीच आठ वर्षों में देश की कायापलट तो हो गई। आज हम जिस भारत में जी रहे हैं, वह भारत नहीं जिसमें हम जन्मे थे। सामाजिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक रूप से आज हम मोदी जी के ‘न्यू इंडिया’ में जी रहे हैं। यह ‘न्यू इंडिया’ संघ के सपनों का हिन्दू राष्ट्र है। भले ही संविधान अभी भी भारत को एक ‘सेकुलर’ देश कहता हो लेकिन केवल एक मूर्ख ही अभी भी देश को एक सेकुलर रिपब्लिक मान सकता है। यह एक कटु सत्य है कि भारतवर्ष मोदी जी की छत्रछाया में अब एक हिन्दू राष्ट्र हो चुका है। यही आठ वर्षों में मोदी जी की सबसे अहम उपलब्धि है। लेकिन भारत को किस आधार पर हिन्दू राष्ट्र कहा जा सकता है?

संघ का हिन्दू राष्ट्र लगभग मनुवादी सिद्धांतों पर आधारित उच्च जातीय हितों का राष्ट्र होना चाहिए। यदि आप पिछले आठ वर्षों में होने वाले परिवर्तनों को परखें, तो यह साफ नजर आता है कि भारत में इस समय केवल उच्च जातीय हितों का डंका बज रहा है। स्वयं प्रधानमंत्री पिछड़ी जाति से हैं। लेकिन पिछड़ों एवं दलितों की पिछले आठ वर्षों में जितनी हानि हुई है, उतनी किसी और वर्ग की नहीं हुई है। मंडल राजनीति ने पिछले तीन दशकों में पिछड़ों एवं किसी हद तक दलितों की राजनीतिक एवं सामाजिक स्तर पर इस देश में पहली बार एक क्रांति उत्पन्न कर दी थी।

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देश के दो सबसे महत्वपूर्ण राज्य उत्तर प्रदेश एवं बिहार पर लगभग पिछले तीस वर्षों में मुलायम, लालू, नीतीश, मायावती एवं अखिलेश जैसे पिछड़े एवं दलित नेताओं का राज रहा। इनके नेतृत्व में पिछड़ों एवं दलितों का वर्चस्व रहा। ऐसा शायद भारतीय इतिहास में पहली बार हुआ था। लेकिन आज इसी उत्तर प्रदेश और बिहार में पिछड़े फिर हाशिये पर हैं और सत्ता की धुरी पुनः उच्च जातियों के हाथों में है। कहने को बिहार में नीतीश कुमार जैसा पिछड़ा अभी भी बिहार का मुख्यमंत्री है लेकिन बिहार विधानसभा में भाजपा की संख्या सबसे अधिक होने के कारण नीतीश केवल मुखौटा हैं। सत्ता की कमान बिहार में भी अगड़ों के हाथों में है। सत्ता की कमान लालू, मुलायम एवं मायावती जैसों के हाथों से छीन मोदी जी ने योगी जैसे उच्च जातीय नेताओं के हाथों में फिर देकर उत्तर प्रदेश जैसे प्रमुख राज्य में उच्च जातीय टोली को पुनः स्थापित कर दिया। यह हिन्दू राष्ट्र स्थापना का एक बड़ा मील का पत्थर है।

हिन्दू राष्ट्र का दूसरा सबसे बड़ा लक्ष्य देश में हिन्दू धर्म एवं हिन्दू सभ्यता की सर्वोच्च स्तर पर स्थापना था। पिछले आठ वर्षों में मोदी जी इस लक्ष्य की प्राप्ति में भी लगभग सफल रहे हैं। अयोध्या में बाबरी मस्जिद के स्थान पर भव्य राम मंदिर की स्थापना हो रही है। काशी एवं मथुरा की मस्जिदों को हटाने का बिगुल बज चुका है। यह कार्य भी पूरा हो ही जाएगा। उधर, मुसलमान की अजान, नमाज एवं मस्जिद- सभी हर समय खतरे में हैं।

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बहुसंख्यक मुस्लिम आबादी वाले जम्मू कश्मीर में धारा 370 समाप्त कर मोदी ने वहां भी मुसलमानों के पर कतर दिए। नए परिसीमन के बाद घाटी में भी जल्द ही एक हिन्दू मुख्यमंत्री के लिए रास्ता साफ हो चुका है। सारे देश में पिछड़ों एवं दलितों के हाथों से केवल सत्ता ही नहीं बल्कि सरकारी नौकरियों में आरक्षण भी केवल नाम का होता जा रहा है। आठ वर्षों में पिछड़ों एवं दलितों को हाशिये पर पहुंचाकर देश में उच्च जातीय हिन्दू धार्मिक स्थलों का पुनर्निर्माण कर मोदी जी ने प्राचीन उच्च जातीय हिन्दू धर्म स्थापित कर सभ्यता के स्तर पर भारत का नक्शा बदल दिया है।

संघ के हिन्दू राष्ट्र में मुस्लिम समाज अपने तमाम अधिकारों से वंचित केवल दूसरी श्रेणी के नागरिक का जीवन व्यतीत कर सकता है। आठ वर्षों में मुस्लिम वोट बैंक मिट्टी हो चुका है। उसका जीवन हर समय असुरक्षित है। उसकी अजान और नमाज तक खतरे में है। उसकी मस्जिदें निशाने पर हैं। नौकरियों में पहले ही वह नमक के बराबर था। अब सड़कों पर उसकी रेहड़ी-पटरी की दुकान एवं खोंचे जैसी दुकान पर हर समय बुलडोजर का साया है। उसका सब्जी एवं फलवाला हिन्दू बस्ती में घुसकर अपना सामान बेचने में कठिनाई महसूस कर रहा है। उसका सड़क किनारे बना छोटा-सा मकान कभी भी कहीं भी बुलडोजर की नजर हो सकता है। पहले वह केवल दंगों से डरता था।

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मोदी जी के राज में जीवन से लेकर धंधे-पानी एवं मकान तक सब अब सरकार के रहमोकरम पर है। इसको आप दूसरे श्रेणी का जीवन नहीं तो और क्या कहेंगे? यह भी मोदी जी की आठ वर्ष की मुख्य उपलब्धि नहीं है? मोदी जी के राज में आर्थिक स्तर पर देश में जिस प्रकार का ध्रुवीकरण आरंभ हुआ है, उससे केवल कुछ पूंजीपतियों के हाथों में देश की पूंजी सिमटती जा रही है। गरीब एवं अमीर के बीच की खाई बढ़ती जा रही है। अंबानी, अडानी एवं टाटा जैसे कुछ पूंजीपति फल-फूल रहे हैं। उधर, आम आदमी की कमर महंगाई से टूट रही है। देश के छोटे धंधे और कारोबार बंद होते जा रहे हैं। देश में बेरोजगारी का सैलाब है। आठ वर्षों में भारतीय गरीब के लिए अब केवल सरकारी मुफ्त राशन का आसरा बचा है। बाकी सब खत्म है। यह भी हिन्दू राष्ट्र का एक चिह्न है।

आठ वर्षों में मोदी जी ने निःसंदेह एक ‘न्यू हिन्दू भारत’ का निर्माण तो कर लिया लेकिन यह भारत कितना संवहनीय (सस्टेनेबल) है, यह कहना कठिन है। देश में सामाजिक एवं राजनीतिक स्तर पर नफरत का सैलाब है। राहुल गांधी के अनुसार, माचिस की एक तीली से कभी भी नफरत का सैलाब फूटकर देश को झुलसा सकता है। पिछड़े एवं दलित अभी धर्म की अफीम से मस्त हैं। लेकिन जब भी यह नशा टूटेगा, संपूर्ण हिन्दू समाज को एक खतरा उत्पन्न हो सकता है। देश की आर्थिक दुर्दशा से देश को श्रीलंका जैसे संकट का खतरा पैदा हो सकता है। लेकिन मोदी जी इस मंडराते संकट के बीच अभी भी जनता के सर्वप्रिय नेता हैं। आठ वर्षों में वह भाजपा को चुनाव जिताते रहे और अभी भी चुनाव जिताने की क्षमता रखते हैं।

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संघ के हिन्दू राष्ट्र की स्थापना तो मोदी की छत्रछाया में पिछले आठ वर्षों में हो गई। लेकिन पिछले आठ (2014-22) वर्षों के बीच देश की दुर्गति भी हो गई। भले ही देश में आर्थिक संकट श्रीलंका की श्रेणी का न हुआ हो लेकिन भारत इन आठ वर्षों में आर्थिक तौर पर बहुत पीछे चला गया। नोटबंदी जैसे फैसले के बाद से देश आर्थिक तौर पर पनप ही नहीं सका। उधर, देश का सामाजिक ढांचा नफरत की राजनीति से चरमरा उठा। देश की सरकारी संपत्तियों को नीलाम कर दिया जा रहा है। आगे यह संकट और गहरा सकता है। भले ही पिछड़े और दलित अभी हिन्दुत्व के नशे में अपनी दुर्गति भूले हों लेकिन इनकी आंखें जब भी खुलेंगी, तो यह स्वयं हिन्दू समाज के लिए खतरा बन सकते हैं। मोदी जी की हिन्दुत्व राजनीति उनके जीवनकाल में सफल रह सकती है लेकिन उनके बाद फिर खाई ही है। सदन से लेकर न्यायपालिका, मीडिया और देश की सारी लोकतांत्रिक संस्थाएं खोखली हो चुकी हैं। देश में संकट से उबरने का कोई माध्यम नहीं बचा है। मोदी जी एवं उनकी हिन्दुत्व राजनीति का पिछले आठ सालों में भले ही डंका बज उठा हो लेकिन इन आठ वर्षों में भारत की आत्मा तक पीड़ित हो उठी है। आगे-आगे देखिए होता है क्या!

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