विचार

पाकिस्तान में जारी राजनीतिक उथल-पुथल और सियासत की पिच पर इमरान खान का ऑलराउंड प्रदर्शन

सत्ता में आने के बाद इमरान खान ने ऐसे समझौते किए कि न तो वह अपनी पहचान बचा सके और न ही पाकिस्तान को किसी ऊंचे मुकाम पर पहुंचा सके।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

वैसे तो इमरान खान के प्रधानमंत्री बनने के बाद और उनकी सरकार के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव पास होने के बाद से ही पाकिस्तान में कोहराम मचा हुआ है, लेकिन पिछले चार दिनों से पाकिस्तान में जो कुछ देखा-सुना जा रहा है, वो बेहद खतरनाक है। इमरान खान की रेंजरों द्वारा कोर्ट रूम से कांच तोड़कर गिरफ्तारी, इस गिरफ्तारी के खिलाफ इमरान की पार्टी के कार्यकर्ताओं द्वारा देश भर में दंगे, सरकारी संस्थानों में तोड़-फोड़ और इस्लामाबाद हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द कर दिए जाने के बाद इस्लामाबाद हाईकोर्ट द्वारा भी उनकी सभी मामलों में गिरफ्तारी पर रोक लगने के बाद यह कहना बेहद चिंताजनक है कि आखिर पाकिस्तान कहां जा रहा है?

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इस पूरी प्रक्रिया में दिलचस्प बात यह है कि इमरान खान जो इस्लामाबाद हाई कोर्ट में व्हीलचेयर पर कोर्ट रूम में आए थे और उन पर गिरफ्तारी के बाद पीटे जाने का आरोप था, वे जब खुद सुप्रीम कोर्ट गए तो बाकायदा एक स्वस्थ व्यक्ति की तरह चलकर आए। हैरानी की बात है कि इस दौरान उनके चेहरे पर किसी किस्म के दर्द या तकलीफ का एहसास तक नहीं था।

दरअसल पाकिस्तानी राजनीतिक में इमरान के आने के बाद से देश में एक तीसरी राजनीतिक ताकत उभरी है। जब तक इमरान खान ने राजनीति में प्रवेश नहीं किया था, तब तक वहां सिर्फ दो ही मुख्य राजनीतिक दल हुआ करते थे, एक शरीफ भाइयों की पाकिस्तान मुस्लिम लीग और दूसरी भुट्टो परिवार की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी थी।

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वैसे पाकिस्तान के बारे में यह मशहूर रहा है कि उसे तीन ‘ए’ यानी आर्मी, अमेरिका और अल्लाह द्वारा ही चलाया जाता है। ऐसे में पाकिस्तान की राजनीति में तीसरी ताकत के रूप में इमरान खान का उभरना दो ए यानी सेना और अमेरिका के लिए फायदेमंद साबित हुआ, जबकि तीसरी ताकत यानी अल्लाह की मदद को जरूरी समझकर इमरान खान ने बीबी बुशरा से शादी की और कहा जाता है कि अब किसी भी मौलवी की तरह इमरान खान भी हाथ में तस्बीह (मनकों की माला) घुमाते रहते हैं। कहा जाता है कि अल्लाह को मनाने के लिए इमरान की तीसरी पत्नी बीबी बुशरा ने जिन्नों को अपने काबू में कर रखा है।

इतिहास है कि इमरान खान की कप्तानी में ही पाकिस्तान ने क्रिकेट वर्ल्ड कप जीता था। एक क्रिकेटर के रूप में उनका जीवन अय्याशियों वाला रहा है, क्योंकि वह क्रिकेट जगत के सबसे हैंडसम खिलाड़ियों में से एक थे और लंदन में अपनी शिक्षा के चलते इंग्लिश लहजे में फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते थे, जिसके चलते लड़कियों में उन्हें लेकर जबरदस्त क्रेज था। उन्होंने पहली शादी लंदन में एक अमीर यहूदी परिवार की लड़की जेमिमा गोल्डस्मिथ से शादी की थी। लेकिन जब उन्हें लगा कि सिर्फ पैसे के बल पर वह पाकिस्तान की सियासी बागडोर नहीं संभाल सकते और उनकी पत्नी का यहूदी होना, पाकिस्तानी समाज को मंजूर नहीं होगा क्योंकि पाकिस्तान नेता इसे एक मुद्दा बना देंगे। इसलिए इमरान खान ने जेमिमा से दो बच्चे होने के बाद भी रिश्ता खत्म कर लिया। इसके बाद उन्होंने एक टीवी पत्रकार रेहम खान से शादी की, लेकिन कुछ दिनों के बाद ही आपसी मतभेदों के कारण उनसे भी रिश्ता खत्म हो गया।

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इसके बाद उन्होंने अल्लाह को खुश करने के लिए बीबी बुशरा से तीसरी शादी की। बीबी बुशरा पहले कैसे और किसकी बीवी थीं, क्या लिखूं इन सबके बारे में, हालांकि तीसरी शादी के बाद इमरान खान का वह सपना सच हो गया और वह सेना, प्रतिष्ठान की मदद से देश के प्रधानमंत्री बन गए।

सत्ता में आने के बाद इमरान खान ने ऐसे समझौते किए कि न तो वह अपनी पहचान बचा सके और न ही पाकिस्तान को किसी ऊंचे मुकाम पर पहुंचा सके। उन्होंने कुछ ऐसी राजनीतिक गलतियां कीं कि अल्लाह के दरबार में बुशरा बीबी की दुआ भी कबूल नहीं हुई। बाकी दो 'ए', सेना और संयुक्त राज्य अमेरिका मिल गए और उन्हें सत्ता से बेदखल कर दिया गया।

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सत्ता से बेदखल होने के बाद उनकी लोकप्रियता दो वजहों से बढ़ी, एक तो यह कि पाकिस्तान की जनता में अमेरिका के खिलाफ हमेशा गुस्सा रहा है और इमरान खान ने भी यही नैरेटिव दिया कि अमेरिका ने उन्हें हटा दिया है। और, दूसरी बात, देश की खराब आर्थिक स्थिति ने लोगों को उनकी तरफ आकर्षित किया। पाकिस्तान की मौजूदा सरकार को वैश्विक कर्ज चुकाने और पाकिस्तान को दूसरा श्रीलंका बनने से रोकने के लिए अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए लगभग हर चीज महंगी करनी पड़ी है।

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इस पूरी प्रक्रिया में पाकिस्तान की राजनीति बद से बदतर होती चली गई और मीडिया से लेकर न्यायपालिका तक पूरा समाज दो हिस्सों में बंट गया। एक जो इमरान के पक्ष में खड़ा हुआ और दूसरा जो इमरान के खिलाफ खड़ा हो गया। सुप्रीम कोर्ट ने इमरान को वो राहतें दीं जो आम लोगों को नहीं मिलतीं, बदले में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के पंख काटने की कोशिश की। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की एक न सुनी, जिसे सरकार ने अदालत कक्ष से इमरान को गिरफ्तार करने का रूप में बदल दिया, लेकिन एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट ने इमरान को राहत देते हुए इस्लामाबाद हाईकोर्ट के इमरान को गिरफ्तार करने के फैसले को अवैध घोषित कर दिया। लेकिन इस बार इमरान की पार्टी के कार्यकर्ताओं द्वारा किए गए हंगामे को संज्ञान में लेते हुए सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने इमरान को शांत रहने को कहा और उन्हें सतर्क राहत दी।

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पाकिस्तानी राजनीति में इमरान खान सेना के कंधों पर बैठकर इस मुकाम तक पहुंचे हैं, लेकिन अब उन्हें लगने लगा है कि पहले सेना से निपटा जाए, इसलिए उन्होंने अपने हमलों का रुख अमेरिका और पाकिस्तान सरकार से हटाकर सेनी की तरफ मोड़ दिया है। उनका यह कदम या तो उनके राजनीतिक जीवन की अब तक की सबसे बड़ी गलती साबित होगा या फिर यह उन्हें पाकिस्तानी राजनीति में एक सफल नेता बना देगा। पाकिस्तान के इतिहास को ध्यान में रखते हुए अगर एक बार फिर तीनों 'ए' एक जगह इकट्ठा हो गए तो इमरान के लिए आने वाले दिन मुश्किलों से भरे होंगे।

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