विचार

विष्णु नागर का व्यंग्यः ‘न्यू इंडिया’ में नेहरू के भारत वाली आजादी की कल्पना देशद्रोह, सपने देखना भी गुनाह!

आजादी के बाद संसद में एक बुजुर्ग महिला ने देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का कॉलर पकड़ लिया था। इस युग में अगर कोई सपने में भी प्रधानमंत्री का गिरेबान पकड़ ले तो उसके सपने की स्कैनिंग हो जाएगी और उसका काम तमाम कर दिया जाएगा और सब उसके वीडियो फुटेज को ‘एनज्वाय’ करेंगे।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया 

हाल में एक मित्र ने याद दिलाया कि संसद परिसर में एक बुजुर्ग महिला ने देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का कॉलर पकड़ कर उनसे पूछा था: 'भारत आजाद हो गया, तुम देश के प्रधानमंत्री बन गए, मुझ बुढ़िया को क्या मिला?' नेहरू जी का जवाब था: 'आपको ये मिला कि आप प्रधानमंत्री का गिरेबान पकड़ कर खड़ी हैं।'

ऐसी बातें याद मत दिलाया करो मित्रों, रोना आ जाता है। इस युग में बता रहे हो कि आजाद भारत ने इसके नागरिकों को प्रधानमंत्री का गिरेबान पकड़ने तक की आजादी दी है। अब बता रहे हो, जब आज के राजनीतिक शिखर-पुरुष को अपना पुरुषार्थ नेहरू जी के बारे में अल्लम-गल्लम झूठ फैलाने में नजर आ रहा है, जब पाठ्यक्रम से भी धर्मनिरपेक्षता गायब की जा रही है। पता नहीं है क्या कि अब यह देशद्रोह की श्रेणी में आता है! जेल जाना चाहते हो क्या?

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इस युग में तो अगर कोई सपने में भी प्रधानमंत्री का गिरेबान पकड़ ले तो उसके सपने की स्कैनिंग हो जाएगी और बीच चौराहे पर उसका काम तमाम कर दिया जाएगा और सब उसके वीडियो फुटेज को 'एनज्वाय' करेंगे। प्रत्यक्षदर्शी उस आदमी की यह हालत होते देख कर हंसेंगे, ताली-थाली बजाएंगे। खुशी से पागल हो जाएंगे, मिठाई बांटेंगे, पटाखे फोड़ेंगे। एक दूसरे के मुंह और सिर पर गुलाल मलेंगे। दिये जलाएंगे। मोदी जी के जयकारे लगाएंगे, 'जय मोदी हरे' आरती गाएंगे।

और यह सब टीवी चैनलों पर गौरवपूर्वक प्राइम टाइम में दिखाया जाएगा। सिर्फ यह नहीं दिखाया जाएगा कि उसकी बीवी दहाड़े मार कर रो रही है, कि उसके बच्चों को समझ में नहीं आ रहा है कि यह आखिर हुआ क्या है, पापा को जमीन पर क्यों लेटाया गया है! इनकी तबीयत खराब है तो इन्हें अस्पताल क्यों नहीं ले जाते? और मृतक की मां गश खाकर गिर पड़ी है।

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लोग किसी भी तरह के सपने देखने से डरने लगेंगे- चाहे वह 'कौन बनेगा करोड़पति' में सात करोड़ रुपये जीतने का सपना हो! आज अच्छा सपना आया तो कल गिरेबान पकड़ने वाला सपना भी आ सकता है, जैसे उसे आया था! और कोई जरूरी है कि सपना उतना ही भयंकर आए, उससे भयंकर नहीं आएगा! लोग सपने से इतने डरेंगे कि कोई भी सपना आए, लोग रात को उठ बैठेंगे, पसीने -पसीने हो जाएंगे। ईश्वर या अल्लाह से दुआ मांगेंगे कि आइंदा कोई भी सपना न आए।

लोग डॉक्टर के पास जाएंगे कि डाकसाब! ऐसी दवा दो कि नींद आए मगर अच्छे या बुरे सपने न आएं! सुन कर डाक्टर खुल कर हंसेगा। कहेगा, यही तो मेरी भी समस्या है, मेरी भी बीमारी है, तुमको इसका क्या इलाज बताऊं! ईश्वर में आस्था रखो, सोने से पहले रात को उसका स्मरण कर लिया करो, मैं भी यही करता हूं। इसी से ऊपरवाला बेड़ा पार करेगा तो करेगा वरना मंझधार। हिम्मत रखो।

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मत दिलाया करो इस तरह कि याद बंधु, अब तो आडवाणी भी उनके कंधे पर हाथ रख कर खड़े नहीं हो सकते। वे भी सुरक्षा के लिए खतरा मान लिए जाएंगे और पता नहीं, उनका बाकी जीवन कहां और कैसे बीते!

मत रुलाया करो बंधु, मत रुलाया करो। रोने को बहुत कुछ है और अब भी पता नहीं क्यों कोई गांधी, कोई नेहरू, कोई अंबेडकर, कोई भगत सिंह, कोई लालबहादुर शास्त्री, कोई सीमांत गांधी, कोई मौलाना आजाद की बातें याद दिला देता है। देखो आजकल 'न्यू इंडिया' बनाया जा रहा है, यह उन सब बातों को भूलने का समय है।

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बंधु, अतीत में ले जाना बंद करो। ले ही जाना हो तो सभी मुगलों, सभी मुसलमानों के मुंह पर कालिख पोतने के लिए ले जाओ। ले जाना हो तो इतने पीछे ले जाओ कि सोमनाथ मंदिर तोड़ने का दर्द हरा हो जाए और 2002 का दर्द भूल जाएं। याद दिलाना हो तो ऐसे तमाम किस्से याद दिलाओ कि हम किस प्रकार उस समय जगद्गुरु थे, जब हमें पता भी नहीं था कि जगत् होता क्या है, हां गुरु का पता था!

इस तरह तुम याद दिलाते रहे तो फिर तुम पूरे स्वतंत्रता संघर्ष की याद भी दिलाने लगोगे! मत करो ऐसे उल्टे काम। आज तो वे तुम्हें और हमें शायद माफ कर दें, कल ऐसी याद को वे कानूनन गुनाह घोषित कर देंगे। 'झूठ' फैलाने और 'सांप्रदायिक सौहार्द' खत्म करने के आरोप में तुम्हें-हमें अंदर कर देंगे और कोई यानी कोई भी बाहर नहीं ला पाएगा।

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लोकतंत्र अब हमारे यहां बहुत ही अधिक 'विकसित' हो चुका है, बहुत ही ज्यादा। इतना ज्यादा कि दुनिया दांतों तले ऊंगली दबा रही है और मोदीजी को चेतावनी दे रही है कि अरे-अरे, तुम यह क्या कर रहे हो, इतना 'लोकतंत्र' भी ठीक नहीं है और जरा उस अमित शाह से भी कहो कि गृहमंत्री होकर भी वह क्यों लोकतंत्र का इतना 'विकास' और 'विस्तार' कर रहा है? क्यों वह आपके और अपने पैरों पर कुल्हाड़ी चला रहा है? रोको उसे और खुद भी रुक जाओ। कदम पीछे की ओर ले जाओ। लोगों को सिखाओ कि पीछे की ओर देखे बिना कदमताल कैसे किया जाता है और इसे देशप्रेम कैसे समझा जाता है!

ये गिरेबान पकड़ने वाली बातें साझा मत करा करो बंधु और गिरेबान पकड़ने की याद दिलाते हो तो यह बता दिया करो कि ये हकीकत नहीं, किस्से-कहानियां हैं, लोककथाएं हैं, गप हैं, ये वे सपने हैं, जो तब लोग देख लिया करते थे। ये सच नहीं था। तब भी यही निजाम था, अब भी यही है। आगे भी यही रहेगा। सच अगर कुछ है तो बस यही है!

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