ये तो गजबै है भाई, बिल्कुल ही दिवालिया अक्ल और निराली नस्ल के हैं। इनकी जिम्मेदारी झूठ बोलने की है, पलटी मारने की है, हिंदू और मुस्लिम में लड़वाने की है, नफरत की फसल बोने से लेकर काटने तक की है, दलितों को पीटने-पिटवाने की है, विपक्षियों को किसी भी हद तक जाकर बदनाम करने की है, अपनी तारीफ सुनते-सुनते तरोताजा बने रहने की है और बहुमत न हो, तब तो जरूर ही सरकार बनाकर मजे लूटने की है। बाकी सब जिम्मेदारियां विपक्ष और दूसरों की हैं। कांग्रेस की तो खैर है ही, और उसमें भी सबसे अधिक नेहरू जी की है, जो कि दुनिया से 54 साल पहले ही विदा ले चुके हैं।
जम्मू-कश्मीर में महबूबा मुफ्ती के साथ मिलकर सरकार ये बनाएं तो भी जिम्मेदारी इनकी नहीं और गुपचुप समर्थन वापस ले लें, तो भी जिम्मेदारी इनकी नहीं, सारी जिम्मेदारी उस हालत में भी महबूबा मुफ्ती की ही है। कर्नाटक में सबसे बड़ा दल होने के बावजूद कांग्रेस या जनता दल (सेक्यूलर) के विधायकों को तोड़कर ये अपनी सरकार न बना सकें, तो भी जिम्मेदारी इनकी नहीं और गोवा में सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस हो और ये सरकार बना लें तो भी जिम्मेदारी कांग्रेस की है, इनकी नहीं। इनकी नोटबंदी फेल हो जाए, जीएसटी पिट जाए, बैंक ये लुटवा दें, नीरव मोदी को ये भगवा दें, यहां तक कि किसानों पर गोली ये चलवा दें, उन्हें मरवा दें तो भी जिम्मेदारी इनकी नहीं है, कांग्रेस और असामाजिक तत्वों की है।
इनकी नाक बहने लगे, कब्जियत हो जाए, कमर में दर्द उठ जाए, यहां तक कि इनके राज में ट्रेनें 48-48 घंटे देर से चलने लगें, तो भी बिल्कुल पक्का है कि ये इनकी नहीं, विपक्ष की जिम्मेदारी है। ये विपक्ष में हों तब तो ये जिम्मेदार हो ही नहीं सकते क्योंकि विपक्ष में हैं और सरकार में हों तो भी ये जिम्मेदार नहीं क्योंकि चुनाव ये जीते हैं, विपक्ष नहीं, जनसमर्थन इन्हें मिला है, विपक्ष को नहीं।
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अगर 2019 में जनता इनको सत्ता से बाहर कर दे तो भी इसकी भी जिम्मेदारी विपक्ष की होगी, उसका ‘दुष्प्रचार’ होगा, ये तो जिम्मेदार हो ही नहीं सकते क्योंकि जितना कांग्रेस ने 60 साल में नहीं किया था, इन्होंने तो 48 महीने में ही कर दिखाया था। जनता न माने, विपक्ष उसे मानने न दे तो बताइए जिम्मेदार कौन हुआ? गनीमत ये है कि मोदीजी ने जसोदाबेन को छोड़ दिया, इसके लिए वह स्वयं तो किसी भी हालत में जिम्मेदार हो नहीं सकते मगर अभी तक इसके लिए कांग्रेस को जिम्मेदार क्यों नहीं माना, ऐसे सुवचन इनके श्रीमुख से क्यों नहीं निकले, यही परम आश्चर्य की बात है। खैर जरूरत पड़ी तो किसी दिन यह भी साबित करके दिखा देंगे और यहां तक भी सिद्ध कर देंगे कि इसके लिए भी राहुल गांधी जिम्मेदार हैं। जब भक्त हों और मोदीजी जैसे उनके भगवान हों, तब आप जो चाहे सिद्ध करवा लो।
2002 के नरसंहार के लिए जब गुजरात का उस समय का मुख्यमंत्री जिम्मेदार नहीं हो सकता तो बताइए 2014 से 2019 तक जो प्रधानमंत्री रहेगा, वह अपनी पार्टी और सरकार की हार के लिए जिम्मेदार कैसे माना जा सकेगा? ये तो उद्घाटन करने, हार पहनने, सेल्फी लेने, विदेश यात्राएं करने, हर-हर और जय-जय मोदी करवाने के अलावा किसी के लिए जिम्म्मेदार नहीं हैं। ये तो सरकार चलाने के लिए भी जिम्मेदार नहीं हैं क्योंकि कांग्रेस ने पहले ही इतना कबाड़ा कर रखा है कि उसे दुरुस्त करने में इन्हें अगले 60 साल तो कम से कम लग ही जाएंगे, बशर्ते कि मोदीजी अगले 56 साल तक भी यानी 123 साल की उम्र होने तक योग के बल पर प्रधानमंत्री बने रह सकें और भक्तों की खेती लाभ का सौदा बनी रहे। यानी आपमें से जो भी 2074 तक जिंदा रहे और पूछने लायक रहे तो जरूर पूछकर देख ले, शायद उस वक्त तक मोदीजी के कान भी सुनने लायक रहें और दिमाग समझने योग्य भी संभवतः रहे। मैं तो रहूंगा नहीं तो ये जिम्मेदारी आपको निभानी होगी।
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