विचार

विष्णु नागर का व्यंग्यः आपदा भी मैं, अवसर भी मैं, कोराना संकट में पीएम मोदी का नया राग !

अस्पताल, ऑक्सीजन, दवा, वैक्सीन का भले टोटा पड़ जाए मगर हमारी कटिबद्धता में कमी नहीं आएगी। कमी आ जाए तो आप जिस चौराहे पर चाहो, मुझे फांसी पर चढ़ा देना। जितनी बार कहोगे, उतनी बार चढ़ और उतर जाऊंगा। इस बहाने मेरा व्यायाम हो जाएगा!

फाइल फोटोः सोशल मीडिया
फाइल फोटोः सोशल मीडिया 

मैं हूं मोदी। क्या हूं, मो के बाद दी लगाने से जो बनता है, वह हूं, मो+दी हूं। प्रधानमंत्री हूं, मगर कोई और नहीं, मो दी हूं। सात साल होने आए। अब भी तुम्हें यह बात समझानी पड़ेगी? आइंदा मुझे ज्ञान देना बंद करो कि मैं क्या कर रहा हूं और मुझे क्या करना चाहिए। मोदी हूं, मनमोहन सिंह, इंदिरा गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी नहीं, समझे ओ केजरीवाल। भक्तों और गोदी चैनलों समझाओ जरा इनको वरना मुझसे बुरा कोई न होगा!

तुम कहते हो, यह शर्म की बात है कि कोरोना के एक दिन में केस का देश विश्व रिकॉर्ड बना रहा है। इसमें शर्म की बात है, बताओ? अरे, यही तो गर्व की बात है। तुमने हमेशा इसी प्रकार विकास की टांग तोड़ी है। कब सीखोगे 'उपलब्धियों' पर गर्व करना? मोदी से तुम्हें इतनी नफरत है कि उसके नेतृत्व में 'इतनी बड़ी सफलता' तुम्हारी आंखों को चुभ रही है!

Published: undefined

सुन लो, पश्चिम बंगाल का चुनाव मुझे हर हाल में जीतना है। चुनाव पांच साल में आते हैं, कोरोना तो टीवी सीरियल की तरह चलता रहेगा। जितनों को कोरोना से मरना है, मरो।। कल मरना है तो आज मरो, अभी मरो। भक्तों, तुम्हें भी मरना है तो तुम भी मरो। वैसे ये मरेंगे तो तुम बच कैसे पाओगे! अंत में हम दो और हमारे दो बचेंगे! चार काफी हैं। और बेफिक्र रहो, तुम्हारा सबका एक न एक दिन अंतिम संस्कार हो जाएगा। लाश तुम्हारी सड़ भी गई, तो तुम्हें इसकी बदबू नहीं आएगी, इसकी गारंटी मैं देता हूं!

एंबुलेंस नहीं मिलती, अस्पताल में बेड नहीं है, आक्सीजन की हाय-हाय मची है, वेंटिलेटर नहीं है, रेमडिसिवर का इंजेक्शन नहीं है, लोग मर रहे हैं, निजी अस्पतालों और श्मशानों में लूट मची है, तो इसका भी कारण है। मेरी पॉलिसी है, आपदा में अवसर तलाश करना और असली आपदा कोरोना नहीं, मैं हूं, अवसर भी मैं हूं। आज अगर ये मेरी पॉलिसी पर लोग चल रहे हैं, तो तुम क्या चाहते हो, मैं उन्हें रोकूं?

Published: undefined

मेरी सरकार ने 150 रुपये में कोविशील्ड वैक्सीन खरीदी और राज्य सरकारों को ये 400 रुपये में बेचेंगे। यह भी आपदा में अवसर है। कमाने दो इन्हें। ये कमाएंगे तो हमारे पास भी माल आएगा। तुम तो वैसे भी हमेशा से लुटते रहे हो, और लुट जाओ। अभी तो ऐसे अवसर और उपलब्ध करवाऊंगा। मैं भूला नहीं हूं, मुझे अच्छे दिन लाने हैं, न्यू इंडिया बनाना है, आपदा को अवसर में बदलना है।

आक्सीजन नहीं मिलने का जहां तक सवाल है, हम उत्पादन बढ़ाने के लिए पूर्णतया कटिबद्ध हैं। पिछले साल भी थे, अब भी हैं और तुम पचास साल तक हमें सत्ता दोगे तो भी हम कटिबद्ध रहेंगे। आक्सीजन की कमी से भले लोग मर जाएं, रेमडेसिविर भले ब्लैक में बिक जाए। वैक्सीन का भले टोटा पड़ जाए मगर हमारी कटिबद्धता में कमी नहीं आएगी। कमी आ जाए तो आप जिस चौराहे पर चाहो, मुझे फांसी पर चढ़ा देना। जितनी बार कहोगे, उतनी बार चढ़ और उतर जाऊंगा। इस बहाने मेरा व्यायाम हो जाएगा!

Published: undefined

और लोकतंत्र में जिम्मेदारी का जहां तक प्रश्न है, जब तक मोदी प्रधानमंत्री है, तब तक यह विपक्ष की है। आलोचना करना पहले भी हमारी जिम्मेदारी थी, अब भी है। हम अपनी जिम्मेदारी से डिगेंगे नहीं, तुम भी जिम्मेदार रहो। जिसे काम करना होता है, वह अधिकार नहीं मांगता और मोदी किसी को अधिकार देता भी नहीं। जिसके पास होता है, उल्टे उससे छीन लेता है!

हां, मुझे भी दुख होता है थोड़ा-थोड़ा। 2002 के नरसंहार के बारे में किसी ने पूछा था कि मोदी जी हजारों लोगों के मरने का दुख है आपको? मैंने कहा था, अरे भई, कार के नीचे कुत्ते का पिल्ला भी आ जाए तो दुख होता है। जो इधर मर गए हैं, उनके लिए भी मुझे इतना ही दुख है और अभी तो बहुत से मरेंगे, उनके लिए भी इसी मात्रा में दुख रहेगा!

Published: undefined

दुख की इस घड़ी में नकारात्मक वातावरण सरकार के खिलाफ मत बनाओ। और सुनो वोटरों, मैंने तुमसे वोट लिया था, तुम्हारी जिंदगी-मौत का ठेका नहीं। इसलिए मुझे परेशान मत करो। कान खोल कर सुन लो, मैं इस जगह तुम्हारे आंसू पोंछने नहीं बैठा हूं। इतना ही कर सकता हूं कि राष्ट्र के नाम संदेश में फेंकता जाऊं! एक बार और बंगाल चुनाव प्रचार करने चला जाऊं!

बच्चों, युवाओं तुम कोरोना से लड़ो। अच्छा अब मुझे कपड़े बदलने हैं, टैगोर टाइप दाढ़ी सजानी है। शेष कुशल। हां भई बंगाल की लेटेस्ट पोजीशन क्या है? आऊं क्या? देख लो। कोरोना-कोरोना का इधर इन लोगों ने फालतू का हल्ला मचा रखा है। वैसे मैं किसी के दादाजी से भी नहीं डरता। कहोगे तो आ जाऊंगा। ओ भई पीएम केयर फंड से कोई नया खेल किया। हर बार बताना पड़ेगा! कितनी देर करते हो यार, इतना सा काम करने में! मेरी इमेज बिगाड़ने पर तुले हो। मुझे छोड़कर सब निकम्मे हैं!

Published: undefined

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia

Published: undefined