लालू यादव ने पटना के गांधी मैदान में कहा कि बीजेपी समाज में नफरत फैला रही है, अखिलेश यादव भी इसे कहते हैं और राहुल गांधी तो पिछले कुछ महीनों से इसे लगातार कह रहे हैं। हाल में ही न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल स्टैण्डर्ड अथॉरिटी ने तीन समाचार चैनलों – टाइम्सनाउ, न्यूज़-18 और आजतक - पर समुदाय विशेष के विरुद्ध नफरत फैलाने और साम्प्रदायिक विभाजन को भड़काने के कारण जुर्माना लगाया है। यह सब कुछ उदाहरण हैं जो बताते हैं कि बीजेपी के सत्ता में आने के बाद से मुस्लिमों के विरुद्ध नफरती भाषण और वक्तव्य सत्ता और मीडिया की मुख्यधारा की भाषा बन चुके है, और पुलिस और क़ानून इसमें नफरत फैलाने वालों का खूब साथ दे रही है।
हाल में ही अमेरिका के वाशिंगटन डीसी में स्थित अनुसंधान संस्थान, इंडिया हेट लैब, ने वर्ष 2023 में भारत में मुस्लिमो के विरुद्ध हेटस्पीच पर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की है, जिसके अनुसार भारत में हरेक दिन औसतन 2 ऐसे कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं, जिनमें मुस्लिमों के विरुद्ध जहर उगला जाता है। ऐसे मामले साल-दर-साल बढ़ते जा रहे हैं क्योंकि कट्टरपंथी और हिंसक हिन्दू संगठनों की संख्या बढ़ती जा रही है, इन्हें सत्ता से पूरी छूट मिली होती है, पुलिस का संरक्षण प्राप्त रहता है। इन संगठनों का अस्तित्व ही नफरती सम्मेलनों, समारोहों और वक्तव्यों पर टिका है। इंडिया हेट लैब भारत में नफरती भाषणों का बारीकी से आकलन करता है।
Published: undefined
इस रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2023 में ऐसे 668 आयोजन किये गए थे, जिसमें नफरती भाषण दिए गए – इसमें से 498 यानि लगभग 75 प्रतिशत आयोजन बीजेपी शासित राज्यों में किये गए। वर्ष 2023 के शुरू के 6 महीनों में ऐसे 255 आयोजन किये गए, पर इसके बाद अनेक राज्यों में विधान सभा चुनावों के दौरान इनकी संख्या तेजी से बढ़ी और अंतिम 6 महीनों में इनकी संख्या 413 तक पहुँच गयी – यह बृद्धि शुरू के 6 महीनों की तुलना में 62 प्रतिशत है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि हेटस्पीच या नफरती भाषणों की वास्तविक संख्या इससे बहुत अधिक है, पर केवल इतने आयोजनों की खबरें ही मीडिया में आईं थीं। ऐतिहासिक तौर पर यह साबित हो चुका है कि नफरती भाषणों और वक्तव्यों से समाज में अस्थिरता आती है, एक दूसरे के प्रति दुर्भावना बढ़ती है और यह नरसंहार को भी जन्म दे सकता है। इसलिए
Published: undefined
भारत में आज जो हो रहा है, सत्ता जिसे बढ़ावा दे रही है, यह स्थिति भविष्य के लिए भयानक है। यहाँ वर्ष 2014 के बाद से मुस्लिमों के विरुद्ध नफरती भाषणों और वक्तव्यों को कानूनी मान्यता मिल गयी है। तमाम तथाकथित साधू, साध्वियां, धार्मिक गुरु, संघ की छत्रछाया में पनप रहे संगठन, पत्रकार और सत्ता में बैठे नेता ऐसे वक्तव्य लगातार दे रहे हैं, तो दूसरी तरफ तमाम मुस्लिम बुद्धिजीवियों को इसी आरोप में जेल में डाल दिया जाता है, और न्यायालय भी खामोश रहता है।
ऐसे समारोहों को आयोजित करने में 118 समारोहों के साथ पहले स्थान पर महाराष्ट्र, 104 आयोजनों के साथ दूसरे स्थान पर उत्तर प्रदेश, और 65 आयोजनों के साथ मध्य प्रदेश तीसरे स्थान पर है। इसके बाद उत्तराखंड, हरियाणा और असम का स्थान है। इसमें से 46 प्रतिशत, यानि 307 आयोजन विश्व हिन्दू परिषद्, बजरंग दल जैसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े कट्टर दक्षिणपंथी संगठनों ने आयोजित किया था। ऐसे 50 आयोजनों का संचालन स्वयं भारतीय जनता पार्टी ने किया था।
नफरती भाषणों में 63 प्रतिशत आरोप केवल मुस्लिमों को बदनाम करने के लिए आधारहीन आरोप हैं। इन आरोपों में तमाम बीजेपी शासित राज्यों की सत्ता द्वारा आगे बढाया जाने वाला “लव जिहाद” प्रमुख है, इसके बाद लैंड जिहाद, पापुलेशन जिहाद और हलाल जिहाद शामिल है। कुल 169 आयोजनों में मुस्लिम पूजा स्थलों और प्रार्थना स्थलों पर हमले के लिए भड़काया गया था। कुल 239 आयोजनों, यानि 36 प्रतिशत में तो सीधे मुस्लिमों पर हिंसा का आह्वान किया गया था, जिसमें से 77 प्रतिशत आयोजन बीजेपी शासित राज्यों में किया गया था। लगभग 100 आयोजनों में तो बीजेपी नेताओं ने ही ऐसे नफरती भाषण दिए थे।
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined